नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बुधवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह पहले से ही असंवैधानिक (unconstitutional) घोषित किए गए क़ानून से प्रावधानों को हटाने की मांग करने वाले एक प्रतिनिधित्व पर विचार करे.
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने कहा कि अभ्यावेदन पर निर्णय जल्द से जल्द और व्यावहारिक रूप से लिया जाना चाहिए. कोर्ट ने केंद्र को सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 ए (संचार सेवा के माध्यम से आपत्तिजनक संदेश भेजने की सजा) सहित असंवैधानिक घोषित की गई धाराओं को हटाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली एक याचिका का निपटारा किया.
अधिवक्ता और याचिकाकर्ता अंशुल बजाज ने अपनी याचिका में कहा है कि कई आपराधिक कानून धाराएं हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है, लेकिन पुलिस अधिकारी इनका इस्तेमाल कर रहे हैं.
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याचिका में एक समाचार लेख का हवाला दिया गया था, जिसमें कहा गया है कि आईटी अधिनियम की धारा 66 ए के तहत लोगों पर मुकदमा चलाया जा रहा है. पूरे भारत में पुलिस के साथ-साथ ट्रायल कोर्ट इसका इस्तेमाल करना जारी रखे हुए हैं. कुछ मामलों में निचली अदालतों ने सुप्रीम कोर्ट के 2015 के फैसले का संज्ञान लेने के बाद भी निष्क्रिय आईटी अधिनियम के प्रावधान के तहत आरोप तय किए.
(पीटीआई)