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कोरोना गाइडलाइन के अनुपालन पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को लताड़ा - उच्च न्यायालय

हाई कोर्ट ने विरोध प्रदर्शन और रैलियों में कोरोना दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं करने पर कर्नाटक सरकार को फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने एफआईआर दर्ज किए बिना, केवल जुर्माना लगाने पर राज्य सरकार के इस कदम पर नाराजगी व्यक्त की है.

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Published : Mar 23, 2021, 3:50 PM IST

बेंगलुरु : हाई कोर्ट ने विरोध प्रदर्शन और रैलियों में कोरोना दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं करने पर कर्नाटक सरकार को फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने एफआईआर दर्ज किए बिना, केवल जुर्माना लगाने पर राज्य सरकार के इस कदम पर नाराजगी व्यक्त की है.

चीफ जस्टिस ए.एस ओका की अध्यक्षता वाली एक डिवीजनल बेंच ने दायर याचिका कोविड के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर सुनवाई की. कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर सुनवाई के लिए एडवोकेट गीता मिश्रा और लेट्सकिट फाउंडेशन ने अलग-अलग जनहित याचिका दायर की थी.

उच्च न्यायालय ने कर्नाटक सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अधिकारी बिना किसी रोक-टोक के रैली, मार्च, बैठक और समारोह की अनुमति दे रहे हैं. इन रैली, बैठक और समारोह में हिस्सा लेने वाले लोग कोरोना गाइडलाइन नियमों का उलंघन कर रहे हैं, जबकि रैली आयोजकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

हाई कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों से केवल जुर्माना वसूल किया जाता है. जबकि उन लोगों के लिए जुर्माना भरना मुश्किल नहीं है, जिन्होंने इतनी बड़ी संख्या में रैली निकाली. कोरोना एक बार फिर से फैल रहा है और लोग लाखों की संख्या में रैली निकाल रहे हैं. कोविड-19 संक्रमण के खतरे को देखते हुए यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. इसलिए 'कर्नाटक महामारी निवारण अधिनियम' के तहत रैली के आयोजनकर्ताओं पर और रैली में शामिल होने वालों पर केस दर्ज कर कार्रवाई की जाए.

पढ़ें : बेंगलुरु हिंसा: आरोपियों को जमानत देने के खिलाफ याचिका दायर, राज्य सरकार को नोटिस

बेंच ने सरकार को निर्देश दिया कि रैली में भाग लेने वाले सभी लोगों से जुर्माना वसूला जाए और इस पर रिपोर्ट सौपने के लिए कहा. हालांकि, इस मामले पर अगली सुनवाई 24 मई तक के लिए टाल दी गई है.

बेंगलुरु : हाई कोर्ट ने विरोध प्रदर्शन और रैलियों में कोरोना दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं करने पर कर्नाटक सरकार को फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने एफआईआर दर्ज किए बिना, केवल जुर्माना लगाने पर राज्य सरकार के इस कदम पर नाराजगी व्यक्त की है.

चीफ जस्टिस ए.एस ओका की अध्यक्षता वाली एक डिवीजनल बेंच ने दायर याचिका कोविड के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर सुनवाई की. कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर सुनवाई के लिए एडवोकेट गीता मिश्रा और लेट्सकिट फाउंडेशन ने अलग-अलग जनहित याचिका दायर की थी.

उच्च न्यायालय ने कर्नाटक सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अधिकारी बिना किसी रोक-टोक के रैली, मार्च, बैठक और समारोह की अनुमति दे रहे हैं. इन रैली, बैठक और समारोह में हिस्सा लेने वाले लोग कोरोना गाइडलाइन नियमों का उलंघन कर रहे हैं, जबकि रैली आयोजकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

हाई कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों से केवल जुर्माना वसूल किया जाता है. जबकि उन लोगों के लिए जुर्माना भरना मुश्किल नहीं है, जिन्होंने इतनी बड़ी संख्या में रैली निकाली. कोरोना एक बार फिर से फैल रहा है और लोग लाखों की संख्या में रैली निकाल रहे हैं. कोविड-19 संक्रमण के खतरे को देखते हुए यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. इसलिए 'कर्नाटक महामारी निवारण अधिनियम' के तहत रैली के आयोजनकर्ताओं पर और रैली में शामिल होने वालों पर केस दर्ज कर कार्रवाई की जाए.

पढ़ें : बेंगलुरु हिंसा: आरोपियों को जमानत देने के खिलाफ याचिका दायर, राज्य सरकार को नोटिस

बेंच ने सरकार को निर्देश दिया कि रैली में भाग लेने वाले सभी लोगों से जुर्माना वसूला जाए और इस पर रिपोर्ट सौपने के लिए कहा. हालांकि, इस मामले पर अगली सुनवाई 24 मई तक के लिए टाल दी गई है.

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