मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने कवि-कार्यकर्ता वरवर राव को जमानत पर रिहा होने के लिए मुचलका पत्र भरने तक सोमवार को अस्थाई रूप से नकदी मुचलका भरने की अनुमति दे दी. वह एल्गार परिषद्- माओवादियों के बीच संबंधों के मामले में आरोपी हैं.
राव (82) को पिछले महीने उच्च न्यायालय ने चिकित्सीय आधार पर छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दी थी और उनसे 50 हजार रुपये का व्यक्तिगत मुचलका भरने और इतनी ही राशि के दो जमानती पेश करने का आदेश दिया था.
बाद में कार्यकर्ता ने उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर कर तुरंत रिहाई के लिए नकदी मुचलका भरने की अनुमति मांगी क्योंकि मुचलका पत्र भरने में ज्यादा समय लग सकता था. बीमार होने की वजह से वह पिछले वर्ष नवंबर से नानावती अस्पताल में भर्ती हैं.
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की खंडपीठ ने सोमवार को राव को 50 हजार रुपये का नकदी मुचलका देने की अनुमति प्रदान करने के साथ ही पांच अप्रैल तक इतनी ही राशि की दो जमानतें पेश करने का समय दिया.
मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) कर रही है.
राव ने 24 फरवरी को यहां एनआईए की अदालत में आवेदन दायर कर जमानत आदेश में संशोधन करने की मांग की और नकदी मुचलका भरने की अनुमति देने का आग्रह किया.
राव के वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि मुचलका पत्र हासिल करने में समय लगेगा.
जमानत की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद राव को अस्पताल से छुट्टी मिलेगी.
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उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत देते हुए रिहाई के लिए कई शर्तें लागू कर दीं जिसमें उन्हें मुंबई में एनआईए अदालत के अधिकार क्षेत्र के तहत ही रहने की शर्त भी शामिल है.
राव को छह महीने बाद या तो निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा या जमानत की अवधि बढ़ाने के लिए उच्च न्यायालय में जाना होगा.
पुलिस ने दावा किया कि मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में 'एल्गार परिषद्' के सम्मेलन में कथित तौर पर दिए गए भड़काऊ भाषण से जुड़ा हुआ है. पुलिस ने कहा कि इसके अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्धस्मारक के पास हिंसा भड़क उठी थी.
पुलिस ने दावा किया है कि सम्मेलन का आयोजन कथित तौर पर माओवादियों से जुड़े लोगों ने किया था.