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येदियुरप्पा को दोहरा कानूनी झटका, HC ने भ्रष्टाचार मामलों में दी जांच की अनुमति

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ भूमि निस्तारण करने वाले मामले में दायर शिकायत को उच्च न्यायालय ने बहाल कर दिया है.

येदियुरप्पा
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Published : Jan 7, 2021, 11:05 AM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को दोहरा झटका देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भूखंड उपयोग के लिए मंजूरी के आदेश को वापस लेने में हुई कथित फर्जीवाड़े की एक शिकायत को बहाल कर दिया है और भूमि अधिसूचना अवैध तरीके से वापस लेने के 2015 के मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया है.

न्यायमूर्ति जॉन माइकल कुन्हा ने बुधवार को अलाम पाशा की एक याचिका आंशिक तौर पर स्वीकार कर ली और इसके अनुरूप अतिरिक्त नगर दीवानी एवं सत्र न्यायालय के 26 अगस्त 2016 के येदियुरप्पा समेत चार में से तीन आरोपियों के संबंध में उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पाशा की शिकायत खारिज कर दी गई थी.

यह मामला येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रथम कार्यकाल के दौरान 2012 में कथित रूप से पाशा द्वारा जारी किए गए दस्तावेजों की जालसाजी और आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों से संबद्ध है. इस मामले में येदियुरप्पा (तत्कालीन मुख्यमंत्री) के अलावा पूर्व उद्योग मंत्री मुरुगेश निरानी, पूर्व प्रमुख सचिव वी पी बालिगर और कर्नाटक उद्योग मित्र के पूर्व प्रबंध निदेशक शिवस्वामी के. आरोपी हैं.

शुरुआत में निचली अदालत ने 2013 में पाशा की शिकायत इस आधार पर खारिज कर दी थी कि आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी नहीं ली गई है. इसके बाद याचिकाकर्ता ने 2014 में येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद फिर से शिकायत दायर की, लेकिन निचली अदालत ने 26 अगस्त, 2016 को इसी आधार पर इसे खारिज कर दिया. हालांकि, उसने याचिकाकर्ता को सक्षम प्राधिकार से पूर्व में मंजूरी लेने के बाद अदालत में आने की छूट दी.

याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में कहा कि प्रतिवादियों के पद पर नहीं रहने को लेकर उनके खिलाफ अभियोग के लिए मंजूरी आवश्यक नहीं है.

उच्च न्यायालय ने इस पर सहमति जताई और कहा कि मंजूरी नहीं लिए जाने के कारण पहली शिकायत को खारिज करना प्रतिवादियों के पद से हटने के बाद 2014 में दर्ज शिकायत को बरकरार रखने में बाधा नहीं बनेगा, लेकिन उसने तीसरे प्रतिवादी बालिगर के मामले में निचली अदालत का आदेश बरकरार रखा, क्योंकि सरकार ने उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी नहीं दी थी.

इससे पहले, मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को झटका देते हुए उच्च न्यायालय ने उनकी वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें कथित तौर पर अवैध तरीके से भूमि अधिसूचना वापस लेने को लेकर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया गया था.

पढ़ें :- भूमि निस्तारण मामले में CM येदियुरप्पा के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका

इसके साथ ही, अदालत ने मुकदमे के खर्च के तौर पर मुख्यमंत्री को 25 हजार रुपये जमा कराने का भी आदेश दिया.

येदियुरप्पा की याचिका मंगलवार को जब न्यायमूर्ति कुन्हा की अदालत में सुनवाई के लिये आई तो उन्होंने उसे खारिज करते हुए लोकायुक्त पुलिस को मामले की जांच जारी रखने का निर्देश दिया.

उल्लेखनीय है कि एक पखवाड़े में यह दूसरी बार है जब अदालत ने येदियुरप्पा की याचिका खारिज की है.

इससे पहले 23 दिसंबर को अदालत ने भूमि अधिसूचना वापस लेने के एक अन्य मामले में चल रही आपराधिक कार्रवाई रद्द करने के येदियुरप्पा के अनुरोध को खारिज कर दिया था.

यह मामला गंगनहल्ली में 1.11 एकड़ जमीन की अधिसूचना वापस लेने का है जो बेंगलुरु के आरटी नगर में मातादहल्ली ले आउट का हिस्सा है और इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी एवं अन्य भी आरोपी हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता जयकुमार हीरेमठ की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने वर्ष 2015 में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-420 के तहत मामला दर्ज किया था.

बेंगलुरु : कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को दोहरा झटका देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भूखंड उपयोग के लिए मंजूरी के आदेश को वापस लेने में हुई कथित फर्जीवाड़े की एक शिकायत को बहाल कर दिया है और भूमि अधिसूचना अवैध तरीके से वापस लेने के 2015 के मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया है.

न्यायमूर्ति जॉन माइकल कुन्हा ने बुधवार को अलाम पाशा की एक याचिका आंशिक तौर पर स्वीकार कर ली और इसके अनुरूप अतिरिक्त नगर दीवानी एवं सत्र न्यायालय के 26 अगस्त 2016 के येदियुरप्पा समेत चार में से तीन आरोपियों के संबंध में उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पाशा की शिकायत खारिज कर दी गई थी.

यह मामला येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रथम कार्यकाल के दौरान 2012 में कथित रूप से पाशा द्वारा जारी किए गए दस्तावेजों की जालसाजी और आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों से संबद्ध है. इस मामले में येदियुरप्पा (तत्कालीन मुख्यमंत्री) के अलावा पूर्व उद्योग मंत्री मुरुगेश निरानी, पूर्व प्रमुख सचिव वी पी बालिगर और कर्नाटक उद्योग मित्र के पूर्व प्रबंध निदेशक शिवस्वामी के. आरोपी हैं.

शुरुआत में निचली अदालत ने 2013 में पाशा की शिकायत इस आधार पर खारिज कर दी थी कि आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी नहीं ली गई है. इसके बाद याचिकाकर्ता ने 2014 में येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद फिर से शिकायत दायर की, लेकिन निचली अदालत ने 26 अगस्त, 2016 को इसी आधार पर इसे खारिज कर दिया. हालांकि, उसने याचिकाकर्ता को सक्षम प्राधिकार से पूर्व में मंजूरी लेने के बाद अदालत में आने की छूट दी.

याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में कहा कि प्रतिवादियों के पद पर नहीं रहने को लेकर उनके खिलाफ अभियोग के लिए मंजूरी आवश्यक नहीं है.

उच्च न्यायालय ने इस पर सहमति जताई और कहा कि मंजूरी नहीं लिए जाने के कारण पहली शिकायत को खारिज करना प्रतिवादियों के पद से हटने के बाद 2014 में दर्ज शिकायत को बरकरार रखने में बाधा नहीं बनेगा, लेकिन उसने तीसरे प्रतिवादी बालिगर के मामले में निचली अदालत का आदेश बरकरार रखा, क्योंकि सरकार ने उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी नहीं दी थी.

इससे पहले, मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को झटका देते हुए उच्च न्यायालय ने उनकी वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें कथित तौर पर अवैध तरीके से भूमि अधिसूचना वापस लेने को लेकर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया गया था.

पढ़ें :- भूमि निस्तारण मामले में CM येदियुरप्पा के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका

इसके साथ ही, अदालत ने मुकदमे के खर्च के तौर पर मुख्यमंत्री को 25 हजार रुपये जमा कराने का भी आदेश दिया.

येदियुरप्पा की याचिका मंगलवार को जब न्यायमूर्ति कुन्हा की अदालत में सुनवाई के लिये आई तो उन्होंने उसे खारिज करते हुए लोकायुक्त पुलिस को मामले की जांच जारी रखने का निर्देश दिया.

उल्लेखनीय है कि एक पखवाड़े में यह दूसरी बार है जब अदालत ने येदियुरप्पा की याचिका खारिज की है.

इससे पहले 23 दिसंबर को अदालत ने भूमि अधिसूचना वापस लेने के एक अन्य मामले में चल रही आपराधिक कार्रवाई रद्द करने के येदियुरप्पा के अनुरोध को खारिज कर दिया था.

यह मामला गंगनहल्ली में 1.11 एकड़ जमीन की अधिसूचना वापस लेने का है जो बेंगलुरु के आरटी नगर में मातादहल्ली ले आउट का हिस्सा है और इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी एवं अन्य भी आरोपी हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता जयकुमार हीरेमठ की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने वर्ष 2015 में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-420 के तहत मामला दर्ज किया था.

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