कोलकाता : भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई से सारी उम्मीदें खत्म हो गई हैं यही वजह है कि अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सीधे यहां की जमीनी राजनीतिक वास्तविकताओं पर गहन सर्वेक्षण करेगा. अब प्रश्न यह है कि सर्वेक्षण का क्षेत्र क्या होगा. सूत्रों ने बताया कि सर्वेक्षण का पहला बिंदु यह होगा कि आरएसएस पश्चिम बंगाल में कितनी सक्रिय है और राज्य में संगठन की ओर से क्या सामाजिक गतिविधियां चलाई जा रही हैं.
दूसरा बिंदु यह होगा कि आरएसएस के उन कार्यकर्ताओं की संख्या का अनुमान लगाया जाएगा जो पहले सक्रिय थे, अब निष्क्रिय हो गए हैं. साथ ही सर्वेक्षण उन बुनियादी बाधाओं की भी पहचान करेगा जो राज्यों में अपनी गतिविधियों को जारी रखने के लिए आरएसएस के सामने आ रही हैं.
हर ब्लॉक में दो क्षेत्र सर्वेक्षण कार्यकर्ता नियुक्त होंगे
निष्कर्षों के आधार पर सर्वेक्षण टीम एक रिपोर्ट तैयार करेगी कि आरएसएस के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच कैसे बनाई जा सकती है, और वह भी राज्य के दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में. राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में सर्वेक्षण किया जाएगा और इसके लिए आरएसएस प्रत्येक ब्लॉक में कम से कम दो क्षेत्र सर्वेक्षण कार्यकर्ता नियुक्त करेगा.
आरएसएस के सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र के नागपुर में आरएसएस मुख्यालय से एक विशेष टीम पश्चिम बंगाल आएगी. पूरी सर्वेक्षण प्रक्रिया की निगरानी ये टीम करेगी. सर्वेक्षण प्रक्रिया छह महीनों तक जारी रहेगी, जिसके बाद रिपोर्ट नागपुर को सौंपी जाएगी. इसी आधार पर आरएसएस राज्य में अपने संगठनात्मक नेटवर्क के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू करेगा.
सूत्रों ने बताया कि सर्वे मुख्य रूप से 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया जाएगा, जिसके लिए आरएसएस राज्य में अपना नेटवर्क मजबूत करना चाहता है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में पश्चिम बंगाल की अपनी नौ दिवसीय यात्रा के दौरान राज्य में आरएसएस के नेटवर्क को मजबूत करने के लिए कई रणनीतियां बनाईं. उन्होंने पश्चिम बंगाल में आरएसएस के पदाधिकारियों को विशेष कार्य सौंपा.
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सूत्रों ने बताया कि इस दौरे के दौरान भागवत ने भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष और केंद्रीय मंत्री डॉ. सुभाष सरकार से भी मुलाकात की थी. पश्चिम बंगाल में आरएसएस के एक वयोवृद्ध पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर 'ईटीवी भारत' को बताया कि पश्चिम बंगाल में आरएसएस के कामकाज की शैली में कुछ बदलाव लाने की जरूरत है. हमें पहले पश्चिम बंगाल के लोगों की आकांक्षाओं के बारे में जानना होगा और यहीं पर सर्वेक्षण करना आवश्यक है. उन्होंने कहा पश्चिम बंगाल में हिंदू नब्ज को टटोलने के लिए यह सर्वेक्षण बहुत पहले किया जाना चाहिए था, इसलिए हमने इसकी बार-बार मांग की.'