चंडीगढ़: इस समय हरियाणा के शहर प्रदूषण में रिकार्ड बना रहे हैं. चार शहरों का एअर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 200 से ज्यादा चल रहा है. प्रदूषण से परेशान लोगों के लिए एक राहत देने वाली खबर आई है. हरियाणा सरकार एक नवंबर से 70 साल से अधिक उम्र के पेड़ों को पेंशन देने की शुरूआत करने जा रही है. इस स्कीम के सर्वे और रजिस्ट्रेशन का काम पूरा कर लिया गया है. क्या ये प्राण वायु देवता पेंशन स्कीम का फायदा शहरों को मिलेगा ? ये अब बड़ा सवाल बनकर उभर रहा है.
पेड़ों को पेंशन देने वाला देश का पहला राज्य हरियाणा: पेड़ों के पेंशन देने की स्कीम की घोषणा हरियाणा सरकार ने करीब एक साल पहले की थी. बहुत सोच समझकर सरकार ने इसका नाम प्राण वायु देवता पेंशन स्कीम रखा. इस तरह की स्कीम लाने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य बनने जा रहा है. पर्यावरण मंत्री कंवर पाल गुर्जर कहते हैं,' पुराने पेड़ों को सुरक्षित रखने के लिए ये योजना हम लेकर आए हैं.' सरकार ने स्कीम घोषित करने के बाद इसमें तय मांपदंड़ों के तहत पेड़ों का रजिस्ट्रेशन शुरू किया था. रजिस्ट्रेशन पूरा होने और पेड़ों की पहचान करने में ज्यादा वक्त गुजर गया. अब सब काम पूरा हो गया है.
1 नवंबर से पेड़ों को मिलेगी पेंशन : हरियाणा के पर्यावरण एवं वन मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा है,'प्राण वायु देवता पेंशन योजना के तहत चार हजार पेड़ों की पहचान कर ली गई है. इसके तहत 2,750 रुपए सालाना पेंशन दी जाएगी. जिन पेड़ों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है, उनके मालिक या देखभाल करने वाले भी अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.' पर्यावरण को बेहतर बनाने के नजरिए से शुरू की गई ये स्कीम अलग इसलिए क्योंकि अब तक सरकारें बुजुर्ग पेंशन, दिव्यांग पेंशन, विधवा पेंशन दे रही थीं. यह स्कीम दूसरे राज्यों के लिए भी नजीर बनेगी है.
किसे मिलेगा इस स्कीम का लाभ?: प्राण वायु देवता पेंशन स्कीम का लाभ हर उस पेड़ को मिलेगा जिसकी उम्र 70 साल से अधिक है. योजना के मुताबिक गांव की सरकारी जमीन पर पेड़ है तो ग्राम पंचायत को ये रकम मिलेगी. खेत में 70 साल से अधिक आयु का पेड़ है तो खेत के मालिक किसान को इसका फायदा मिलेगा. अगर शहर में 70 साल से अधिक आयु का पेड़ है तो स्थानीय प्रशासन को पेड़ की देखभाल के लिए रकम मिलेगी. जंगल में पेड़ है तो वन विभाग इस पेंशन का हकदार होगा. किसी के घर में पेड़ है तो घर के मालिक को देखभाल के लिए रकम मिलेगी.
क्या प्रदूषण से मिलेगी मुक्ति ? : हरियाणा सरकार की इस स्कीम को लेकर पर्यावरणविद भी विचार रख रहे हैं. कुछ कह रहे हैं कि सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए. ऐसे स्कीम का प्रदूषण कम करने में ज्यादा फायदा नहीं होगा क्योंकि सख्ती के बावजूद हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में पराली जलाने के मामलों में पिछले साल के मुकाबले अभी तक 4 गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है. आंकड़ों के अनुसार 15 सितंबर से 5 अक्टूबर तक प्रदेश में 190 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. पीजीआई चंडीगढ़ में पर्यावरण स्वास्थ्य और वायु प्रदूषण विभाग के एचओडी रविंद्र खाईवाल का मानना है,'पेड़ पौधे हेरिटेज हैं. इनके प्रोटेक्शन और मेंटेनेंस के लिए कुछ पैसा सरकार दे रही है तो यह एक सराहनीय कदम है. इससे पेड़ के लिए खाद और अन्य आवश्यकताएं पूरी की जा सकती है. लोगों को अपनी जिम्मेदारी का भी एहसास होगा. जिन पेड़ों ने कई दशकों को देखा है. उनकी देखभाल जरूरी है.' हालांकि वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि लोगों को पेड़ लगाना भी चाहिए. वहीं फरीदाबाद के ट्री-मेन जसवंत पवार का कहना है कि ये एक अच्छी योजना है. पर सरकार को देखना होगा कि अन्य योजनाओं की तरह इसका हाल ना हो जाए. समय-समय पर इसकी मॉनिटरिंग भी होनी चाहिए.
देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में हरियाणा के 4 शहर: इस बार अभी से पराली जलाने का असर प्रदेश की आब-ओ-हवा पर भी दिखने लगा है. प्रदेश के कई शहरों में एयर क्वालिटी काफी खराब देखने को मिली है. हाल ही के सर्वे में देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में हरियाणा के 4 शहर शामिल हैं. हरियाणा के सोनीपत का एक्यूआई राजधानी दिल्ली से अधिक पाया है. पराली जलाने से हरियाणा के विभिन्न जिलों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. फरीदाबाद में एक्यूआई लेवल 324, कैथल में 299, सोनीपत में 297, गुरुग्राम में 292 और धारूहेड़ा में एक्यूआई 229 दर्ज किया गया.
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