चंडीगढ़: नूंह में हुई हिंसक घटना के बाद एक तरफ विपक्षी दलों के नेता मुख्यमंत्री मनोहर लाल से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं. वहीं, हिंसक वारदात होने के बाद अब पुलिस प्रशासन एक्शन में नजर आ रहा है. अब तक हिंसक घटनाओं के लिए अलग-अलग जिलों में 93 एफआईआर दर्ज हो चुकी है. जिनमें 46 नूंह, 3 फरीदाबाद, 23 गुरुग्राम, 3 रेवाड़ी और 18 एफआईआर पलवल में हुई है. वहीं, 176 लोगों को अभी तक गिरफ्तार किया गया है. 78 लोगों की प्रीवेंटिव डिटेंशन की गई है. लेकिन, इस मामले को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं.
खुफिया विभाग की क्या रही भूमिका?: नूंह हिंसा में जो सबसे बड़ा फेलियर नजर आता है, वह है इंटेलिजेंस का. इंटेलिजेंस का फेलियर इसलिए सबसे ज्यादा नजर आता है, क्योंकि जिस तरीके से खुद प्रदेश के मुखिया मनोहर लाल हों या फिर तमाम मंत्री सभी को इस मामले में साजिश की बू आ रही है. जिस तरीके से बड़ी संख्या में लोगों ने इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया, वह भी हैरान करने वाला है. क्योंकि, वारदात के लिए बड़ी संख्या में उपद्रवियों ने पत्थर इकट्ठा किए थे और साथ ही गाड़ियों को फूंकने के लिए पेट्रोल बमों का भी इस्तेमाल किया गया. ऐसे में सवाल यह है कि अगर यह साजिश थी और इस स्तर पर उपद्रवियों ने तैयारियां कर रखी थी, तो फिर प्रदेश सरकार का खुफिया विभाग क्या करता रहा? क्या खुफिया विभाग को इस सब के बारे में कोई इनपुट नहीं थी? अगर थी तो फिर आखिर यात्रा के लिए पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए थे?
'ब्रज मंडल यात्रा पर हमला प्री प्लांड': गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद कहते हैं कि, यात्रा पर हमला प्री प्लांड था. हमले के बाद हमने बहुत जल्दी वहां पर फोर्स को डिप्लॉय किया. टीवीएसएन प्रसाद कहते हैं कि, ये यात्रा 3 साल से हो रही है, 2 शौर्य यात्रा भी निकाली गई है. जब भी यात्रा होती है, उससे पहले पीस कमेटी के साथ चर्चा होती है. पीस कमेटी में आश्वासन दिया गया था कि सब कुछ शांतिपूर्ण रहेगा. यात्रा को लेकर कोई विवाद नहीं था. वे कहते हैं कि इस मामले में जो भी इनपुट मिले थे, उनको पीस कमेटी के सामने रखा गया था. लेकिन, वे यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि आखिर खुफिया विभाग के पास किस तरह की इनपुट थी. यानी कहीं ना कहीं वे इससे बचते नजर आए.
साइबर क्रिमिनल का हिंसा में रोल?: इसके साथ ही नूंह में हिंसा के लिए एक और कड़ी को भी अहम माना जा रहा है. जिसको लेकर सरकार इशारों ही इशारों में बातें करते हुए नजर आती है. वह है साइबर क्राइम और नशा तस्करों के खिलाफ सरकार की मुहिम. दरअसल कुछ महीने पहले मेवात इलाके में हरियाणा साइबर सेल ने एक बहुत बड़ा ऑपरेशन चलाया था, जिसके तहत बड़े पैमाने पर साइबर क्राइम से जुड़े लोगों को हिरासत में लिया गया. इस दौरान बड़े पैमाने पर सिम भी बरामद किए गए थे. यानी एक तरह से हरियाणा पुलिस ने साइबर क्राइम से जुड़े लोगों की कमर तोड़ दी थी. वहीं, अवैध कब्जों को भी हटाने की सरकार ने मुहिम छेड़ रखी थी. सरकार यह मानकर चल रही है कि इस कार्रवाई की वजह से जिन लोगों का धंधा चौपट हुआ था, वह मौके की तलाश में थे. ऐसे में उन लोगों ने भी हिंसा में अपने मंसूबों को पूरा करने की कोशिश की. इसी वजह से सबसे पहले साइबर थाने को आग के हवाले किया गया.
गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद कहते हैं कि, इस पूरे मामले में हैरान करने वाली बात यह है कि उपद्रवियों ने आखिर थाने को ही क्यों निशाना बनाया. वे कहते हैं कि हमने साइबर क्राइम के खिलाफ बड़ी मुहिम शुरू की है. इससे पहले हमने साइबर क्राइम के मामले में 150 लोगों को गिरफ्तार किया था. यानी वे कह रहे हैं कि साइबर क्राइम से जुड़े लोगों ने इस वारदात को अंजाम दिया. हालांकि वे मानते हैं कि यह भी जांच का विषय है. आखिर नूंह में साइबर थाने पर ही हमला क्यों किया गया, साइबर थाने पर हमले से किसको फायदा होगा? इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, नूह में ड्रग्स और आपराधिक मामले में शामिल अपराधियों के खिलाफ हमने कार्रवाई की और करीब 70 अवैध निर्माणों को हाल ही में गिराया भी था. हालांकि भी इशारों-इशारों में इसको भी इस हिंसा की एक वजह मान रहे हैं.
मोनू मानेसर का क्या रहा रोल?: नूंह में हिंसा के लिए मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. दरअसल, मोनू मानेसर ने यात्रा कि पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया था. माना जा रहा है कि, नूंह में हुई हिंसा की वजह मोनू मानेसर भी बना. भीड़ को लगा कि मोनू मानेसर भी यात्रा में शामिल है, जिसके बाद यह सब घटनाक्रम घटा. वहीं, मोनू मानेसर का साथी बिट्टू बजरंगी भी सोशल मीडिया में एक वीडियो में उसके साथ यात्रा में शामिल होता हुआ देखा गया. इसलिए इन दोनों को भी इस पूरी घटनाक्रम का जिम्मेदार माना जा रहा है.
'हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई': हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज इस मामले में कह चुके हैं कि, अगर कोई अपराधी वीडियो डालता है उसका ये मतलब नहीं है कि लोग उसके नाम पर आगजनी कर दें. उन्होंने एक अपराधी के नाम पर इस तरह से आगजनी को सही नहीं ठहराया है. हालांकि सरकार की ओर से यह भी स्पष्ट है कि अगर इस हिंसा में मोनू मानेसर या अन्य किसी भी तरह सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले का योगदान होगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.
गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद कहते हैं कि, मोनू मानेसर के मामले में मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं हम राजस्थान सरकार की पूरी मदद करेंगे. लेकिन, मेरी जानकारी के अनुसार अभी तक कोई रिक्वेस्ट राजस्थान पुलिस की तरफ से नहीं मिली. राजस्थान पुलिस अगर हमसे सहायता मांगती है तो पूरा सहयोग करेंगे. फिलहाल के मामले में कौन दोषी है कौन नहीं ये जांच का विषय है.
सोशल मीडिया कंटेंट की भी हो रही जांच?: इधर सरकार अब इस पूरी घटनाक्रम की जांच करने में जुट गई है. सरकार का मानना है कि सोशल मीडिया पर डाली गई कई तरह की आपत्तिजनक पोस्ट भी नूंह में और अन्य जिलों में हिंसक वारदातों की वजह बनी. इसके देखते हुए जहां टीम सोशल मीडिया से जुड़े लोगों पर तीन एफआईआर दर्ज की गई है.
सोशल मीडिया की निगरानी के लिए 4 सदस्यीय कमेटी गठित: वहीं, प्रदेश के गृह मंत्री भी कह चुके हैं कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाह पर लोग ध्यान ना दें और बेतहाशा किसी भी चीज को फॉरवर्ड ना करें. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर पुलिस प्रशासन की पैनी नजर भी बनी हुई है. वहीं, सरकार ने सोशल मीडिया की निगरानी के लिए 4 सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया है. जो यह बताता है कि सरकार सोशल मीडिया पर फैल रही अलग-अलग तरह की अफवाह पर भी कड़ी नजर बनाए हुए हैं और जांच का दायरा सोशल मीडिया भी है.
क्या इस हिंसा का है कोई राजनीतिक पहलू?: इधर इस मामले को राजनीतिक रंग भी दिया जा रहा है. कांग्रेस पार्टी के विधायक मामन खान का बजट सत्र के दौरान उनके द्वारा मोनू मानेसर को लेकर दिए गए एक विवादास्पद बयान का वीडियो ट्वीट कर बीजेपी उन पर निशाना साध रही है. इस मामले में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि सारी बातें ध्यान में है, जिन लोगों की जो गलती है उस पर कार्रवाई होगी. लेकिन, अभी हम वहां शांति स्थापित कर रहे हैं.
मामन खान का जो विधानसभा का वक्तव्य था निश्चित तौर पर वह आपत्तिजनक था. मैंने उस वक्त भी विधानसभा में कहा था कि मामन खान जो बोले हैं, वह सही भाषा नहीं है आपत्तिजनक है. लेकिन, कांग्रेस के किसी विधायक ने नहीं कहा कि आप किस तरीके की भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल कर रहे हो. उन्होंने कहा कि इस मामले में दोषी कौन है, वह जांच के बाद पता चलेगा. लेकिन, वह चाहे कोई पॉलिटिकल व्यक्ति हो फिर नॉन पॉलिटिकल हो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. - कंवर पाल गुर्जर, कैबिनेट मंत्री मंत्री