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हरियाणा : किसानों ने पूर्व सीएम चौटाला को नहीं दिया माइक, जानिए क्यों

किसान आंदोलन का समर्थन करने खटकड़ टोल प्लाजा पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला को किसानों ने बोलने के लिए माइक तक नहीं दिया. चौटाला को बिना जनसभा करे ही लौटना पड़ा.

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Published : Jul 25, 2021, 8:25 PM IST

पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला
पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला

जींद: जेबीटी भर्ती घोटाले (JBT Recruitment Scam) में सजा पूरी करने के बाद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला एक बार फिर एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं. बीते कई दिनों से किसानों के धरने पर जाकर किसान आंदोलन को अपना समर्थन दे रहे हैं. इसी कड़ी में ओपी चौटाला जींद (Om Prakash Chautala Farmers Protest) पहुंचे थे. जहां किसानों ने उन्हें बोलने के लिए माइक तक नहीं दिया.

दरअसल, कृषि कानूनों के खिलाफ जींद के खटकड़ टोल प्लाजा पर किसानों का धरना लगातार जारी है. इसी धरने में शामिल होने रविवार को ओपी चौटाला को आना था. लेकिन किसानों की ओर से पहले ही एलान कर दिया गया था, कि वो ओपी चौटाला को न मंच साझा करने देंगे और ना ही उन्हें बोलने के लिए माइक देंगे.

आंदोलन का समर्थन करने खटकड़ टोल प्लाजा पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला

किसानों के मना करने के बाद भी ओपी चौटाला रविवार को खटकड़ टोल प्लाजा पर पहुंचे, जहां किसानों ने उन्हें बोलने का मौका तक नहीं दिया. ओपी चौटाला माइक मांगते रह गए. लेकिन किसानों ने उन्हें माइक नहीं दिया. ओपी चौटाला ने यहां तक कहा कि एक बार जनता से पूछ लो कि माइक देना है कि नहीं, लेकिन इसके बाद भी किसान अपनी फैसले पर अड़े रहे.

ओपी चौटाला को नहीं मिला माइक

इस दौरान ओपी चौटाला ने किसान नेताओं से कई बार माइक मांगा, लेकिन किसानों ने माइक नहीं दिया. एक वक्त तो ऐसा आया कि चौटाला ने कहा कि एक सेकेंड के लिए ही माइक दे दो. इसके बाद गुस्से में आकर ओपी चौटाला किसानों के धरने से लौटने पर मजबूर हो गए. जब इस बारे में ओपी चौटाला से बात की तो उन्होंने अपना गुस्सा मीडिया कर्मियों पर दिखाया. उन्होंने कहा कि अब यहां क्या करने आए हो, तब वहां तुम लोगों ने क्यों नहीं कुछ कहा.

उधर, आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता सतबीर पहलवान ने आरोप लगाया कि जाते-जाते चौटाला गुस्से में उसके पांव पर डोगा (छड़ी) भी मार गए. किसान नेता ने कहा कि आंदोलन के शुरू होने पर ही ये फैसला लिया गया था कि किसी भी राजनेता को मंच पर नहीं आने दिया जाएगा और ना ही किसी को माइक दिया जाएगा. अगर हम राजनेताओं को माइक देंगे तो हजारों राजनीतिक मेंढक यहां कूद जाएंगे और उनका आंदोलन फेल हो जाएगा.

इसे भी पढ़े-जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में चार आईईडी बरामद

जींद: जेबीटी भर्ती घोटाले (JBT Recruitment Scam) में सजा पूरी करने के बाद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला एक बार फिर एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं. बीते कई दिनों से किसानों के धरने पर जाकर किसान आंदोलन को अपना समर्थन दे रहे हैं. इसी कड़ी में ओपी चौटाला जींद (Om Prakash Chautala Farmers Protest) पहुंचे थे. जहां किसानों ने उन्हें बोलने के लिए माइक तक नहीं दिया.

दरअसल, कृषि कानूनों के खिलाफ जींद के खटकड़ टोल प्लाजा पर किसानों का धरना लगातार जारी है. इसी धरने में शामिल होने रविवार को ओपी चौटाला को आना था. लेकिन किसानों की ओर से पहले ही एलान कर दिया गया था, कि वो ओपी चौटाला को न मंच साझा करने देंगे और ना ही उन्हें बोलने के लिए माइक देंगे.

आंदोलन का समर्थन करने खटकड़ टोल प्लाजा पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला

किसानों के मना करने के बाद भी ओपी चौटाला रविवार को खटकड़ टोल प्लाजा पर पहुंचे, जहां किसानों ने उन्हें बोलने का मौका तक नहीं दिया. ओपी चौटाला माइक मांगते रह गए. लेकिन किसानों ने उन्हें माइक नहीं दिया. ओपी चौटाला ने यहां तक कहा कि एक बार जनता से पूछ लो कि माइक देना है कि नहीं, लेकिन इसके बाद भी किसान अपनी फैसले पर अड़े रहे.

ओपी चौटाला को नहीं मिला माइक

इस दौरान ओपी चौटाला ने किसान नेताओं से कई बार माइक मांगा, लेकिन किसानों ने माइक नहीं दिया. एक वक्त तो ऐसा आया कि चौटाला ने कहा कि एक सेकेंड के लिए ही माइक दे दो. इसके बाद गुस्से में आकर ओपी चौटाला किसानों के धरने से लौटने पर मजबूर हो गए. जब इस बारे में ओपी चौटाला से बात की तो उन्होंने अपना गुस्सा मीडिया कर्मियों पर दिखाया. उन्होंने कहा कि अब यहां क्या करने आए हो, तब वहां तुम लोगों ने क्यों नहीं कुछ कहा.

उधर, आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता सतबीर पहलवान ने आरोप लगाया कि जाते-जाते चौटाला गुस्से में उसके पांव पर डोगा (छड़ी) भी मार गए. किसान नेता ने कहा कि आंदोलन के शुरू होने पर ही ये फैसला लिया गया था कि किसी भी राजनेता को मंच पर नहीं आने दिया जाएगा और ना ही किसी को माइक दिया जाएगा. अगर हम राजनेताओं को माइक देंगे तो हजारों राजनीतिक मेंढक यहां कूद जाएंगे और उनका आंदोलन फेल हो जाएगा.

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