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हरियाणा: सरकार के इस फैसले से किसानों की बल्ले-बल्ले, MSP से भी ज्यादा मिल रहे दाम - हरियाणा में सरसों की डिमांड

हरियाणा में सरसों की डिमांड अब काफी ज्यादा बढ़ गई है. किसान भी इससे काफी खुश हैं. किसानों को एमएसपी से ज्यादा दाम मंडियों में मिल रहा है. जो सरसों पहले 5 हजार से 5500 तक बिक रहा था वही अब 6 से 6500 हजार रुपये में बिक रहा है.

haryana farmers are getting more price of mustard crop
हरियाणा सरसों फसल खरीद
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Published : Mar 13, 2021, 10:45 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में सरसों की खेती करने वाले किसान खुश दिखाई दे रहे हैं. किसानों की खुशी की वजह है सरसों की फसल पर मिलने वाला दाम. हरियाणा के कुरुक्षेत्र और पलवल में किसानों को फसल का दाम एमएसपी से अधिक मिल रहा है. इसके पीछे कारण है तेल पर लगने वाला आयात शुल्क.

दरअसल, हाल में पेश किए केन्द्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पाम ऑयल पर एग्रीकल्चर और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस लगाने का ऐलान किया है. अब उनके इस ऐलान के बाद से सरसों की खेती करने वाले किसानों मालामाल हो रहे हैं. कुरुक्षेत्र में सरसों का दाम 5 हजार से 5500 रुपये मिल रहा था, लेकिन अब किसानों की फसल छह से 6500 हजार रुपये में खरीदी जा रही है.

कुरुक्षेत्र मंडी में आए किसान महावीर सिंह बताते हैं कि इस साल काली सरसों 5500 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर ही बिक रही है, जबकि पिछले साल इसके दाम 3500 रुपये शुरू होकर 4000 रुपये प्रति क्विंटल ही रहे थे. पीली सरसों छह हजार रुपये के आस-पास बिक रही है. बीत वर्ष इसके भाव 4800 से 5200 रुपये प्रति क्विंटल तक रहे थे.

सरसों पर MSP से भी ज्यादा मिल रहे दाम, देखें वीडियो

आखिर क्यों बढ़ी डिमांड?

सरकार ने दो फरवरी से पाम तेल पर मूल्य आयात शुल्क 15 फीसद और कृषि वकास सेस 17.50 फीसद लागू किया है. यानी कुल 32.50 फीसद का शुल्क लगा है. ऐसे में अब तेल के कारोबारी तेल को कम से कम इंपोर्ट कर रहे हैं और इसका फायदा देश के किसानों को मिल रहा है.

सरकार का फैसला सही या गलत?

अर्थशास्त्री डॉ. अमित भारद्वाज कहते हैं कि हर देश आयात घटाना चाहता है और निर्यात बढ़ाना चाहता है. ऐसा करके ही कोई देश आर्थिक प्रगति कर सकता है. उन्होंने कहा कि सरसों पर इंपोर्ट ड्यूटी को भले ही कम दिया हो, लेकिन सरकार ने लोकल मार्केट को बढ़ावा देने के लिए आयात पर सेस लगा दिया है. अब लोकल मार्केट में सरसों की डिमांड बढ़ गई है. यही कारण है कि किसानों को सरसों का दाम एमएसपी से अधिक मिल रहा है.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ में धान की बंपर पैदावार, सरकार के लिए बनी मुसीबत

आम जनता पर इसका क्या असर होगा?

एक्सपर्ट कहते हैं कि सरकार के इस फैसले से किसानों को तो लाभ होगा, लेकिन आम जनता की जेब पर बोझ बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर लोकल मार्केट से ज्यादा सरसों ज्यादा दाम पर उठेगा तो आखिर में जाकर सरसों के तेल की कीमत में इजाफा होगा और उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी. उपभोक्ताओं की नजर से फैसला अच्छा साबित नहीं होगा.

चंडीगढ़: हरियाणा में सरसों की खेती करने वाले किसान खुश दिखाई दे रहे हैं. किसानों की खुशी की वजह है सरसों की फसल पर मिलने वाला दाम. हरियाणा के कुरुक्षेत्र और पलवल में किसानों को फसल का दाम एमएसपी से अधिक मिल रहा है. इसके पीछे कारण है तेल पर लगने वाला आयात शुल्क.

दरअसल, हाल में पेश किए केन्द्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पाम ऑयल पर एग्रीकल्चर और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस लगाने का ऐलान किया है. अब उनके इस ऐलान के बाद से सरसों की खेती करने वाले किसानों मालामाल हो रहे हैं. कुरुक्षेत्र में सरसों का दाम 5 हजार से 5500 रुपये मिल रहा था, लेकिन अब किसानों की फसल छह से 6500 हजार रुपये में खरीदी जा रही है.

कुरुक्षेत्र मंडी में आए किसान महावीर सिंह बताते हैं कि इस साल काली सरसों 5500 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर ही बिक रही है, जबकि पिछले साल इसके दाम 3500 रुपये शुरू होकर 4000 रुपये प्रति क्विंटल ही रहे थे. पीली सरसों छह हजार रुपये के आस-पास बिक रही है. बीत वर्ष इसके भाव 4800 से 5200 रुपये प्रति क्विंटल तक रहे थे.

सरसों पर MSP से भी ज्यादा मिल रहे दाम, देखें वीडियो

आखिर क्यों बढ़ी डिमांड?

सरकार ने दो फरवरी से पाम तेल पर मूल्य आयात शुल्क 15 फीसद और कृषि वकास सेस 17.50 फीसद लागू किया है. यानी कुल 32.50 फीसद का शुल्क लगा है. ऐसे में अब तेल के कारोबारी तेल को कम से कम इंपोर्ट कर रहे हैं और इसका फायदा देश के किसानों को मिल रहा है.

सरकार का फैसला सही या गलत?

अर्थशास्त्री डॉ. अमित भारद्वाज कहते हैं कि हर देश आयात घटाना चाहता है और निर्यात बढ़ाना चाहता है. ऐसा करके ही कोई देश आर्थिक प्रगति कर सकता है. उन्होंने कहा कि सरसों पर इंपोर्ट ड्यूटी को भले ही कम दिया हो, लेकिन सरकार ने लोकल मार्केट को बढ़ावा देने के लिए आयात पर सेस लगा दिया है. अब लोकल मार्केट में सरसों की डिमांड बढ़ गई है. यही कारण है कि किसानों को सरसों का दाम एमएसपी से अधिक मिल रहा है.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ में धान की बंपर पैदावार, सरकार के लिए बनी मुसीबत

आम जनता पर इसका क्या असर होगा?

एक्सपर्ट कहते हैं कि सरकार के इस फैसले से किसानों को तो लाभ होगा, लेकिन आम जनता की जेब पर बोझ बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर लोकल मार्केट से ज्यादा सरसों ज्यादा दाम पर उठेगा तो आखिर में जाकर सरसों के तेल की कीमत में इजाफा होगा और उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी. उपभोक्ताओं की नजर से फैसला अच्छा साबित नहीं होगा.

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