नई दिल्ली: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं में से हैं. वह लगातार दो बार से हरियाणा के मुख्यमंत्री है. राजनीतिक खबरों से इतर आज वह दूसरी वजह से चर्चा में हैं. 1972 में दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन पूरी करने वाले खट्टर ने 47 साल बाद शुक्रवार को अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री ली. दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो योगेश सिंह ने उन्हें उनकी ग्रेजुएशन की डिग्री दी. खट्टर दिल्ली विश्वविद्यालय के एसओएल के विद्यार्थी रहे हैं.
सीएम खट्टर ने डिग्री मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद वह अपने गांव के प्राथमिक स्कूल, हाई स्कूल और रोहतक के कॉलेज तो गए, लेकिन डीयू नहीं आ पाए. उनका सपना था कि अपनी मातृ संस्था दिल्ली विश्वविद्यालय में भी एक बार जरूर जाएं. आज यहां पहुंचने पर उन्हें अपनेपन का एहसास हो रहा है. इसके लिए उन्होंने डीयू प्रशासन का आभार जताया. डीयू के पूर्व छात्र मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि 1972 से 1980 तक वह दिल्ली में रहे और यहीं से जीवन को देश सेवा की दिशा मिली. 1980 में आरएसएस का प्रचारक बनने के बाद कभी उन्हें तनाव नहीं हुआ.
सीएम ने छात्रों को दिया संदेशः CM खट्टर ने विद्यार्थियों को संदेश देते हुए कहा कि अगर प्रारंभिक जीवन में ही दिशा तय कर लोगे तो आगे बीमारियों से बचे रहोगे. छोटी सोच की बजाए बड़ी सोच वाले रास्ते अपनाएं. विज्ञान हथियार बनाने की विधि बताता है, लेकिन अगर सूझ-बूझ से काम नहीं लिया तो यही हथियार विध्वंस का कारण बनेंगे. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को दिल्ली विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक परिषद के चेयरपर्सन एवं पीआरओ अनूप लाठर की लिखी हुई पुस्तक “काल और ताल” भी भेंट की गई. गौरतलब है कि इस पुस्तक में हरियाणवी लोकसंस्कृति के 150 गीतों को सहेजा गया है.
हर घर ध्यान कार्यक्रम में पहुंचे थे खट्टरः दिल्ली विश्वविद्यालय में शुक्रवार को “हर घर ध्यान” कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें ध्यान एवं मानसिक स्वास्थ्य पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक पद्म विभूषण श्री श्री रवि शंकर मुख्य अतिथि थे. उन्होंने कहा कि डिग्री लेना और नौकरी लगना ही जीवन का लक्ष्य नहीं होना चाहिए. जीवन को विशाल दृष्टिकोण से देखें. ऐसा न होने पर लोग आत्महत्या की ओर बढ़ते हैं.
विशिष्ट अतिथि CM खट्टर ने कहा कि कुछ करने की बजाए जब हम कुछ बनने के बारे में सोचने लगते हैं तो हमारी शक्ति कम हो जाती है. डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने मानसिक तनाव को लेकर विश्व और भारत के आंकड़े सांझा करते हुए बताया कि आज के समय में तनाव बहुत बड़ी समस्या है. उन्होंने कहा कि ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य का विषय मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होने कामना करते हुए कहा कि भारत इसके द्वारा विश्व को निरोगी होने की राह दिखाएगा.
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