दुमकाः 13 माह पहले दिल्ली से भटक कर दुमका पहुंचे 10 वर्षीय मूक-बधिर बालक की पहचान कर ली गई है. बालक पंजाब के मोगा जिले का है और दो वर्ष पहले पिता के साथ किसान आंदोलन में दिल्ली गया था. वहां से भटक कर बालक किसी तरह दुमका पहुंच गया था और 13 माह से दुमका में ही रह रहा था. बाल कल्याण समिति बालक को 13 माह से अपने साथ रखी हुई थी. काफी प्रयास के बाद गुरुवार को उसे उसके घर पंजाब के मोगा के लिए रवाना किया गया.
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एस्कोर्ट टीम बालक को लेकर पंजाब रवानाः बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने अंततः इस बालक के परिवार को ढूंढ निकाला. गुरुवार को उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा ने इस बालक को उसके घर पंजाब पहुंचाने के लिए उसे एस्कोर्ट टीम को सौंप दिया. इस मौके पर सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी और जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र भी मौजूद थे.
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने दी जानकारी: बाल कल्याण समिति के चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि दशरथ महतो नामक एक छात्र को शहर के प्राइवेट बस स्टैंड में कालिका होटल के पास से 27 जुलाई 2022 को यह बालक मिला था. चाइल्डलाइन टीम मेंबर निक्कु कुमार ने इस बालक को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया था. बालक के मूक-बधिर होने के कारण न तो उसका बयान लिया जा सका और न ही किसी तरीके से वह अपने बारे में कुछ बता पा रहा था. समिति ने बालक को बालगृह में आवासित कर दिया. समिति ने बालक के परिजनों की खोजबीन करने के लिए उसी दिन उसका फोटो भी अखबारों में जारी किया. बाद में मिसिंग एंड फाउंड पोर्टल पर उसका फोटो सहित विवरण अपलोड किया गया, लेकिन उसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया. बच्चे के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए विशेषज्ञ की भी मदद ली गई, लेकिन यह प्रयास भी असफल रहा.
आधार कार्ड से हुई बालक की पहचानः अंततः समिति के आदेश पर बालक का आधार कार्ड बनाने के लिए आवेदन दिया गया. पहले से उसका आधार कार्ड बना होने के कारण आवेदन रिजेक्ट हो गया और उसके आधार का विवरण प्राप्त हो गया. आधार कार्ड में मिले बालक के पता के आधार पर पंजाब के मोगा के संबंधित अधिकारी से बात की गई. उन्होंने दिए गए पते पर बालक की नानी से मुलाकात की. नानी ने बताया कि बालक मूक-बधिर है. उसकी मां की मृत्यु हो चुकी है. पिता उसे लेकर किसान आंदोलन में दिल्ली गया था. उसके बाद से दोनों का कुछ पता नहीं चल रहा था कि दोनों जिन्दा हैं या मर चुके हैं. काफी ढूंढने पर भी उनका पता नहीं चला. नानी ने कहा कि मेरा नाती मैं हाथ जोड़कर विनती करती हूं कि मेरा नाती मुझे दिया जाए.
उप विकास आयुक्त ने की मदद: दुमका उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा ने इस बालक को उसके घर तक पहुंचाने के लिए राशि की स्वीकृति दी. 23 अगस्त को समिति ने एस्कोर्ट आर्डर दिया. जिसमें बालगृह के प्रभारी संजु कुमार और पीओ दिनेश पासवान को बालक को मोगा के बाल कल्याण समिति को सौंपने का आदेश जारी किया गया. गुरुवार को वे दोनों बालक को लेकर धनबाद रवाना हो गए. जहां से वे ट्रेन से पंजाब के मोगा पहुंचेंगे.