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HALHARINI AMAVASYA 2022: आषाढ़ अमावस्या पर आज श्राद्ध, कल करें स्नान और दान, जानिये पूजा का शुभ मुहूर्त

इस बार आषाढ़ अमावस्या दो दिन है. मंगलवार को श्राद्ध और बुधवार को स्नान के बाद दान कर सकते हैं. आषाढ़ अमावस्या को क्यों कहते हैं हलहारिणी अमावस्या ? इस बार पूजा का शुभ मुहुर्त क्या है ? जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

HALHARINI AMAVASYA 2022
HALHARINI AMAVASYA 2022
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Published : Jun 28, 2022, 1:58 PM IST

Updated : Jun 28, 2022, 3:43 PM IST

कुल्लू: प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष की आखिरी तारीख को अमावस्या कहा जाता है. शास्त्रों में अमावस्या का बहुत महत्व माना जाता है. ये तिथि भगवान विष्णु को समर्पित रहती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है. वैसे तो साल की सभी 12 अमावस्या खास मानी जाती हैं, लेकिन आषाढ़ माह में पड़ने वाली अमावस्या को पूजा-पाठ करने और स्नान करके पितरों की पूजा करने से अत्यधिक लाभ मिलता है. इसे हलहारिणी अमावस्या (Halharini Amavasya) के नाम से जाना जाता है.

इस बार दो दिन है आषाढ़ अमावस्या- इस बार हलहारिणी अमावस्या या आषाढ़ अमावस्या (Ashadha amavasya) दो दिन है. पंचांग के मुताबिक आषाढ़ मास की अमावस्या का आरंभ मंगलवार 28 जून को सुबह 5 बजकर 33 मिनट से हो गया है. अमावस्या तिथि का समापन 29 जून को सुबह 8 बजकर 23 मिनट पर होगा. मंगलवार शाम 6:39 बजे से 7:03 बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त है.

आज श्राद्ध और कल स्नान, दान- आषाढ़ अमावस्या दो दिन है, आज मंगलवार को पितरों का श्राद्ध किया जाएगा जबकि स्नान और दान बुधवार को कर सकते हैं. 29 जून को सूर्योदय के कुछ देर बाद ही अमावस्या तिथि खत्म हो जाएगी लेकिन स्नान और दान उसके बाद भी किया जा सकता है. वैसे तो ये तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन कहते हैं कि इस दिन पूजा-पाठ से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं.

पितरों का मिलता आशीर्वाद: माना जाता है कि इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है. इस दिन गंगा में स्नान के बाद दान का भी विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. वही, आषाढ़ मास में पड़ने वाली अमावस्या को आषाढ़ी अमावस्या के अलावा हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन पितृ देवता का तर्पण, धूप-ध्यान के साथ अर्घ्य देने का विधान है.

किसानों के लिए होती खास: इस दिन किसान अपने हल या अन्य कृषि उपकरणों की भी पूजा करते हैं. साथ ही भगवान से अच्छी फसल होने की प्रार्थना करते हैं. इसलिये इस अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन पौधे लगाना भी शुभ माना जाता है.

आषाढ़ी अमावस्या पर क्या करें- गंगा में स्नान का इस दिन विशेष महत्व है, अगर गंगा स्नान मुमकिन ना हो तो पानी में गंगा जल मिलाकर घर पर ही स्नान करें. स्नान के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य भी दिया जाता है. साथ ही कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं. हलहारिणी अमावस्या के दिन पितरों के तर्पण और श्राद्ध का बहुत अधिक महत्व (significance of ashadha amavasya) है. अपने पितरों को याद करते हुए स्नान के बाद दान भी किया जाता है. आषाढ़ अमावस्या पर व्रत रखने, पितरों का तर्पण, स्नान और दान से पितरों और देवों का आशीष बना रहता है.

ये भी पढ़ें : Kamakhya Devi Temple: सिरमौर में बनेगा माता कामाख्या का मंदिर, जानें किस तरह से होगी पूजा

कुल्लू: प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष की आखिरी तारीख को अमावस्या कहा जाता है. शास्त्रों में अमावस्या का बहुत महत्व माना जाता है. ये तिथि भगवान विष्णु को समर्पित रहती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है. वैसे तो साल की सभी 12 अमावस्या खास मानी जाती हैं, लेकिन आषाढ़ माह में पड़ने वाली अमावस्या को पूजा-पाठ करने और स्नान करके पितरों की पूजा करने से अत्यधिक लाभ मिलता है. इसे हलहारिणी अमावस्या (Halharini Amavasya) के नाम से जाना जाता है.

इस बार दो दिन है आषाढ़ अमावस्या- इस बार हलहारिणी अमावस्या या आषाढ़ अमावस्या (Ashadha amavasya) दो दिन है. पंचांग के मुताबिक आषाढ़ मास की अमावस्या का आरंभ मंगलवार 28 जून को सुबह 5 बजकर 33 मिनट से हो गया है. अमावस्या तिथि का समापन 29 जून को सुबह 8 बजकर 23 मिनट पर होगा. मंगलवार शाम 6:39 बजे से 7:03 बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त है.

आज श्राद्ध और कल स्नान, दान- आषाढ़ अमावस्या दो दिन है, आज मंगलवार को पितरों का श्राद्ध किया जाएगा जबकि स्नान और दान बुधवार को कर सकते हैं. 29 जून को सूर्योदय के कुछ देर बाद ही अमावस्या तिथि खत्म हो जाएगी लेकिन स्नान और दान उसके बाद भी किया जा सकता है. वैसे तो ये तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन कहते हैं कि इस दिन पूजा-पाठ से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं.

पितरों का मिलता आशीर्वाद: माना जाता है कि इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है. इस दिन गंगा में स्नान के बाद दान का भी विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. वही, आषाढ़ मास में पड़ने वाली अमावस्या को आषाढ़ी अमावस्या के अलावा हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन पितृ देवता का तर्पण, धूप-ध्यान के साथ अर्घ्य देने का विधान है.

किसानों के लिए होती खास: इस दिन किसान अपने हल या अन्य कृषि उपकरणों की भी पूजा करते हैं. साथ ही भगवान से अच्छी फसल होने की प्रार्थना करते हैं. इसलिये इस अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन पौधे लगाना भी शुभ माना जाता है.

आषाढ़ी अमावस्या पर क्या करें- गंगा में स्नान का इस दिन विशेष महत्व है, अगर गंगा स्नान मुमकिन ना हो तो पानी में गंगा जल मिलाकर घर पर ही स्नान करें. स्नान के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य भी दिया जाता है. साथ ही कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं. हलहारिणी अमावस्या के दिन पितरों के तर्पण और श्राद्ध का बहुत अधिक महत्व (significance of ashadha amavasya) है. अपने पितरों को याद करते हुए स्नान के बाद दान भी किया जाता है. आषाढ़ अमावस्या पर व्रत रखने, पितरों का तर्पण, स्नान और दान से पितरों और देवों का आशीष बना रहता है.

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Last Updated : Jun 28, 2022, 3:43 PM IST
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