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Gwalior विवादों में फंसा तानसेन समारोह, जिम्बाब्वे के बैंड की फूहड़ प्रस्तुति से आहत हैं संगीत प्रेमी

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Published : Dec 22, 2022, 9:51 PM IST

सुरों के सारताज कहे जाने वाले तानसेन की याद में ग्वालियर में चल रहे शास्रीय संगीत के सबसे प्रतिष्ठित तानसेन समारोह में हुई एक प्रस्तुति पर इस बार नया विवाद (Tansen festival controversies) खड़ा हो गया है. इस विवाद के चलते प्रदेश के संस्कृति विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. ये विवाद विदेशी कलाकरों की प्रस्तुति को लेकर शुरू हुआ है. कलाकारों के साथ-साथ श्रोता मानते हैं कि जिम्बाब्वे की बैंड अश्लील थी. क्योंकि ये मंच शालीनता का है. मंच पर बैंड की प्रस्तृति देना गलत था. इससे संगीत प्रेमी काफी आहत हैं.

Opposition foreign bands
विवादों के घेरे में फंसा तानसेन समारोह
विवादों के घेरे में फंसा तानसेन समारोह

ग्वालियर। सहित्यकार और शहर के लोग भी सोशल मीडिया पर तानसेन समारोह में आ रही है गिरावट पर सरकार से लेकर संस्कृति मंत्रालय पर तंज कस रहे हैं. जिस मंच से पंडित रविशंकर, पंडित भीमसेन जोशी, पंडित मल्लिकार्जुन मंसूर, गंगू बाई हंगल, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान प्रस्तुतियां दे चुके हैं. अब उसी मंच पर विदेशी कलाकार भारतीय शास्त्रीय संगीत की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. दरअसल, जिम्बाब्वे बैंड के मुख्य कलाकार चिमांगा ने अपनी टीम के साथ अफ्रीकन वाद्य यंत्रों के साथ मंच पर डांस किया था.

विदेशी बैंड की प्रस्तुति का विरोध : बैंड की प्रस्तुति से कलाकर काफी आहत हैं. वे कह रहे हैं कि आयोजन समिति ओर मंत्रालय को इस बात का ध्यान रखना चाहिए.अगर विदेशी कलाकरों की प्रस्तुति करना है तो उनके लिए अलग से मंच होना चाहिए. तानसेन समारोह भारतीय शास्त्रीय संगीत में सर्वोच्य नामों में शुमार है. यहां, देश ओर विदेश के कलाकर अपनी प्रस्तृति को तानसेन की याद में स्वरजंलि मानते हैं. साथ ही अपना भाग्य मानते हैं, उन्हें तानसेन के मंच पर गाने का मौका मिला है. वहीं तानसेन समिति के पूर्व मेंबर भी इसे गलत मान रहे हैं. उनका कहना है, उनके ही प्रस्ताव पर इसे विश्व लेवल पर बनाने की कोशिश की गयी थी. जिसके पीछे मकसद यही था विदेश का क्लासिकल ओर धुप्रद के गायन को तानसेन के मंच पर जगह दी जाए. जिससे तानसेन समारोह विश्व स्तर का बने.

Gwalior संगीत के महाकुंभ तानसेन समारोह में जिम्बाब्वे के बैंड ने बांधा समां, झूम उठे श्रोता

आयोजन समिति का ये कहना है : तानसेन समारोह का आयोजन करने वाली संस्कृति विभाग की उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत कला अकादमी के डायरेक्टर का कहना है कि तानसेन समारोह को विश्व स्तरीय की ख्याति देने के लिए विदेशी कलाकारों को बुलाने का सिलसला शुरू किया गया है. इसमें कई देश आते हैं. ये उनके कल्चर की प्रस्तुति है. इसलिए हमें उस पर ज्यादा कुछ नही बोलना चाहिए.

विवादों के घेरे में फंसा तानसेन समारोह

ग्वालियर। सहित्यकार और शहर के लोग भी सोशल मीडिया पर तानसेन समारोह में आ रही है गिरावट पर सरकार से लेकर संस्कृति मंत्रालय पर तंज कस रहे हैं. जिस मंच से पंडित रविशंकर, पंडित भीमसेन जोशी, पंडित मल्लिकार्जुन मंसूर, गंगू बाई हंगल, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान प्रस्तुतियां दे चुके हैं. अब उसी मंच पर विदेशी कलाकार भारतीय शास्त्रीय संगीत की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. दरअसल, जिम्बाब्वे बैंड के मुख्य कलाकार चिमांगा ने अपनी टीम के साथ अफ्रीकन वाद्य यंत्रों के साथ मंच पर डांस किया था.

विदेशी बैंड की प्रस्तुति का विरोध : बैंड की प्रस्तुति से कलाकर काफी आहत हैं. वे कह रहे हैं कि आयोजन समिति ओर मंत्रालय को इस बात का ध्यान रखना चाहिए.अगर विदेशी कलाकरों की प्रस्तुति करना है तो उनके लिए अलग से मंच होना चाहिए. तानसेन समारोह भारतीय शास्त्रीय संगीत में सर्वोच्य नामों में शुमार है. यहां, देश ओर विदेश के कलाकर अपनी प्रस्तृति को तानसेन की याद में स्वरजंलि मानते हैं. साथ ही अपना भाग्य मानते हैं, उन्हें तानसेन के मंच पर गाने का मौका मिला है. वहीं तानसेन समिति के पूर्व मेंबर भी इसे गलत मान रहे हैं. उनका कहना है, उनके ही प्रस्ताव पर इसे विश्व लेवल पर बनाने की कोशिश की गयी थी. जिसके पीछे मकसद यही था विदेश का क्लासिकल ओर धुप्रद के गायन को तानसेन के मंच पर जगह दी जाए. जिससे तानसेन समारोह विश्व स्तर का बने.

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आयोजन समिति का ये कहना है : तानसेन समारोह का आयोजन करने वाली संस्कृति विभाग की उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत कला अकादमी के डायरेक्टर का कहना है कि तानसेन समारोह को विश्व स्तरीय की ख्याति देने के लिए विदेशी कलाकारों को बुलाने का सिलसला शुरू किया गया है. इसमें कई देश आते हैं. ये उनके कल्चर की प्रस्तुति है. इसलिए हमें उस पर ज्यादा कुछ नही बोलना चाहिए.

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