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एमपी में इतने हजार वर्ग KM में फैली दुनिया की सबसे बड़ी नेशनल घड़ियाल सेंचुरी, माफियाओं के साये में महफूज ये वन्यजीव

पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा घड़ियाल जिले में स्थित इसी अभ्यारण में है. मतलब चंबल में घड़ियाल अभ्यारण को घड़ियालों का घर भी कह सकते हैं. जानिए, माफिया के साए में रहने वाली एशिया की सबसे बड़ी घड़ियाल सेंचुरी की कहानी. ग्वालियर संवाददाता अनिल गौर की खास रिपोर्ट...

World Highest Alligator Century
मप्र में दुनिया की सबसे बड़ी घड़ियाल सेंचुरी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 28, 2023, 4:41 PM IST

Updated : Nov 28, 2023, 5:17 PM IST

कहानी घड़ियाल अभ्यारण की

ग्वालियर। कभी चम्बल में डाकुओं का बोलबाला था और चम्बल डकैतो के लिए पूरे भारत में जाना जाता था. अब चम्बल में डकैत तो नहीं है, फिर भी चम्बल का नाम रोशन हैय बदलते वक्त के साथ चबल भी बदला और चम्बल नदी में पाये जाने वाले घड़ियालों के लिए देश में ही नहीं बल्कि विश्व भर में जाना जा रहा है. पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा घड़ियाल यहीं पर है. मतलब चंबल में घड़ियाल अभ्यारण को घड़ियालों का घर भी कह सकते हैं.

MP Tourism
चंबल में स्थित है घड़ियाल सेंचुरी



वाइल्ड लाइफ के सहयोग से शुरू हुई थी सेंचुरी: राष्ट्रीय चंबल घडियाल सेन्चुरी केन्द्र सरकार ने सन 1980 केे दशक में वाइल्ड लाइफ के सहयोग से शुरू की थी. इसका मुख्य उद्देश्य विलुप्त होती प्रजाति के जलीय जीवो का पुनर्वास करना था. 3350 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले राष्ट्रीय अभ्यारण प्रदेश में पहले नबंर और देश विदेश में सबसे बड़ी सेन्चुरी के रूप में जाना जाता है.

दुनिया के 80 प्रतिशत घड़ियाल पाए जाते हैं: चंबल सेन्चुरी में विश्व के लगभग 80 प्रतिशत घड़ियाल पाये जाते हैं. विश्व के सभी देशों में मात्र 1100 घडियाल है. उससे कही ज्यादा अकेले चंबल सेन्चुरी में पाये जाते हैं. वर्तमान में यहां पर 2000 से अधिक घड़ियाल मौजूद है, जो पूरी दुनिया में सबसे अधिक है. पूरी दुनिया में चंबल नदी घड़ियालों के लिए सबसे महफूज जगह है. यही कारण है कि चम्बल इलाके में पाई जाने वाली जलवायु का ही नतीजा है, यहां विश्व के सर्वाधिक घड़ियाल पाये जाते हैं.

एक्सपर्ट्स करते हैं घडि़यालों की हैचिंग: घड़ियाल चंबल नदी के किनारे रेत में अंडे देते हैं. फिर इन अन्डों को इकठ्ठा कर घड़ियाल केंद्र लाया जाता है. जब अन्डों से घड़ियाल निकल आते है, और जब तक घड़ियाल पांच फीट नहीं हो जाता है, तब तक उन्हें केंद्र में ही रखा जाता है. बाद में उन्हें चम्बल नदी में छोड़ दिया जाता है. विशेषज्ञ के अनुसार चंबल अभ्यारण में हैचिंग भी की जाती है. चंबल के अलग-अलग घाटों से घड़ियालों के अंडों को देवरी घड़ियाल ईको सेंटर लाया जाता है. उसके बाद अंडों को ईको सेंटर की हेचरी में चंबल की तरह रेत में करीब 1 फीट नीचे दाबा कर रखे जाते हैं.

Chambal National Alligator Century
यहां दुनिया में सबसे ज्यादा घड़ियाल

सबसे खास बात यह रहती है कि जितने टेंपरेचर से इन अंडों को कलेक्ट किए जाते हैं. केंद्र में भी उतने ही तापमान पर इन्हें रखा जाता है. कुछ दिनों बाद विशेषज्ञ रेत को ऊपर से थपथपाते हैं. इसके बाद अंडों में से आने वाली हल्की सी आवाज को सुनते हैं. आवाज आने पर अंडों को रेत से निकाला जाता है और देखते ही देखते घड़ियाल बाहर निकलकर सरपट दौड़ने लगते हैं. रिसर्च ऑफिसर के मुताबिक अंडों से निकलने वाले बच्चों को रसायन से नहलाकर पानी में छोड़ दिया जाता है.

घड़ियाल और मगरमच्छ में अंतर: अब हम बताते हैं, 'एक जैसे समान आकार के दिखने वाले घड़ियाल और मगरमच्छ में क्या अंतर है. घड़ियाल विलुप्त होता हुआ वन्य जीव प्राणी है, जो पूरे दुनिया में बहुत कम संख्या में पाया जाता है. इसकी सबसे अधिक संख्या पूरी दुनिया में चंबल घड़ियाल अभ्यारण में है. जहां दुनिया में सबसे अधिक घड़ियाल पाए जाते हैं. घड़ियाल बेहद सीधा प्राणी है और इसका आकार मगरमच्छ जैसा होता है. इसका मुंह नुकीला और लंबा होता है.

Wilf Life News
मगमच्छ और घड़ियाल में अंतर होता है

दांत बेहद छोटे होते हैं. वही इसी के उलट मगरमच्छ बहुत ही घातक प्राणी है. इसका मुंह चौड़ा होता है. दांत बेहद बड़े और नुकीले होते हैं. संपर्क में आने पर यह व्यक्ति या जानवरों पर हमला बोल देता है. चंबल में एशिया की सबसे बड़ी घड़ियाल अभ्यारण में घड़ियालों को सुरक्षित रखना एक सबसे बड़ी चुनौती भी है. यहां माफियाओं के साए में घड़ियालों को सुरक्षित पाला जाता है. चंबल नदी में जहां सबसे अधिक घड़ियाल पाए जाते हैं. वहां पर सबसे अधिक रेत का अवैध उत्खनन होता है.

अवैध उत्खनन बड़ी समस्या: इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि लगातार अवैध उत्खनन के कारण इन वन्य प्राणियों को इतना बड़ा खतरा है कि हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सहित एनजीटी ने मध्य प्रदेश में अवैध उत्खनन का केंद्र चंबल सेंचुरी को माना है. यहां अवैध रेत उत्खनन प्रदेश के माथे पर एक बदनुमा धब्बा है. इसे रोकने के लिए एमपी राजस्थान उत्तर प्रदेश सरकार ने कई बार प्रयास किया, लेकिन हर बार असफल रहे.

हाई कोर्ट की खंडपीठ ग्वालियर ने कई बार मध्य प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को चेतावनी दी है कि किसी भी हालत में इन माफिया को यहां से रोके, क्योंकि वन्य प्राणियों को सबसे अधिक खतरा है. सरकार की तरफ से कई बार तमाम इंतजाम किए गए हैं, लेकिन हर बार असफलता हाथ मिला है. वहीं, जिला प्रशासन भी इन माफिया को रोकने में कभी भी कामयाब नहीं हुआ है. यही कारण है कि यहां आज भी चंबल अभ्यारण इलाके में जोरों से अवैध उत्खनन किया जाता है.

Alligator News
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेचुंरी केंद्र

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कहानी घड़ियाल अभ्यारण की

ग्वालियर। कभी चम्बल में डाकुओं का बोलबाला था और चम्बल डकैतो के लिए पूरे भारत में जाना जाता था. अब चम्बल में डकैत तो नहीं है, फिर भी चम्बल का नाम रोशन हैय बदलते वक्त के साथ चबल भी बदला और चम्बल नदी में पाये जाने वाले घड़ियालों के लिए देश में ही नहीं बल्कि विश्व भर में जाना जा रहा है. पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा घड़ियाल यहीं पर है. मतलब चंबल में घड़ियाल अभ्यारण को घड़ियालों का घर भी कह सकते हैं.

MP Tourism
चंबल में स्थित है घड़ियाल सेंचुरी



वाइल्ड लाइफ के सहयोग से शुरू हुई थी सेंचुरी: राष्ट्रीय चंबल घडियाल सेन्चुरी केन्द्र सरकार ने सन 1980 केे दशक में वाइल्ड लाइफ के सहयोग से शुरू की थी. इसका मुख्य उद्देश्य विलुप्त होती प्रजाति के जलीय जीवो का पुनर्वास करना था. 3350 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले राष्ट्रीय अभ्यारण प्रदेश में पहले नबंर और देश विदेश में सबसे बड़ी सेन्चुरी के रूप में जाना जाता है.

दुनिया के 80 प्रतिशत घड़ियाल पाए जाते हैं: चंबल सेन्चुरी में विश्व के लगभग 80 प्रतिशत घड़ियाल पाये जाते हैं. विश्व के सभी देशों में मात्र 1100 घडियाल है. उससे कही ज्यादा अकेले चंबल सेन्चुरी में पाये जाते हैं. वर्तमान में यहां पर 2000 से अधिक घड़ियाल मौजूद है, जो पूरी दुनिया में सबसे अधिक है. पूरी दुनिया में चंबल नदी घड़ियालों के लिए सबसे महफूज जगह है. यही कारण है कि चम्बल इलाके में पाई जाने वाली जलवायु का ही नतीजा है, यहां विश्व के सर्वाधिक घड़ियाल पाये जाते हैं.

एक्सपर्ट्स करते हैं घडि़यालों की हैचिंग: घड़ियाल चंबल नदी के किनारे रेत में अंडे देते हैं. फिर इन अन्डों को इकठ्ठा कर घड़ियाल केंद्र लाया जाता है. जब अन्डों से घड़ियाल निकल आते है, और जब तक घड़ियाल पांच फीट नहीं हो जाता है, तब तक उन्हें केंद्र में ही रखा जाता है. बाद में उन्हें चम्बल नदी में छोड़ दिया जाता है. विशेषज्ञ के अनुसार चंबल अभ्यारण में हैचिंग भी की जाती है. चंबल के अलग-अलग घाटों से घड़ियालों के अंडों को देवरी घड़ियाल ईको सेंटर लाया जाता है. उसके बाद अंडों को ईको सेंटर की हेचरी में चंबल की तरह रेत में करीब 1 फीट नीचे दाबा कर रखे जाते हैं.

Chambal National Alligator Century
यहां दुनिया में सबसे ज्यादा घड़ियाल

सबसे खास बात यह रहती है कि जितने टेंपरेचर से इन अंडों को कलेक्ट किए जाते हैं. केंद्र में भी उतने ही तापमान पर इन्हें रखा जाता है. कुछ दिनों बाद विशेषज्ञ रेत को ऊपर से थपथपाते हैं. इसके बाद अंडों में से आने वाली हल्की सी आवाज को सुनते हैं. आवाज आने पर अंडों को रेत से निकाला जाता है और देखते ही देखते घड़ियाल बाहर निकलकर सरपट दौड़ने लगते हैं. रिसर्च ऑफिसर के मुताबिक अंडों से निकलने वाले बच्चों को रसायन से नहलाकर पानी में छोड़ दिया जाता है.

घड़ियाल और मगरमच्छ में अंतर: अब हम बताते हैं, 'एक जैसे समान आकार के दिखने वाले घड़ियाल और मगरमच्छ में क्या अंतर है. घड़ियाल विलुप्त होता हुआ वन्य जीव प्राणी है, जो पूरे दुनिया में बहुत कम संख्या में पाया जाता है. इसकी सबसे अधिक संख्या पूरी दुनिया में चंबल घड़ियाल अभ्यारण में है. जहां दुनिया में सबसे अधिक घड़ियाल पाए जाते हैं. घड़ियाल बेहद सीधा प्राणी है और इसका आकार मगरमच्छ जैसा होता है. इसका मुंह नुकीला और लंबा होता है.

Wilf Life News
मगमच्छ और घड़ियाल में अंतर होता है

दांत बेहद छोटे होते हैं. वही इसी के उलट मगरमच्छ बहुत ही घातक प्राणी है. इसका मुंह चौड़ा होता है. दांत बेहद बड़े और नुकीले होते हैं. संपर्क में आने पर यह व्यक्ति या जानवरों पर हमला बोल देता है. चंबल में एशिया की सबसे बड़ी घड़ियाल अभ्यारण में घड़ियालों को सुरक्षित रखना एक सबसे बड़ी चुनौती भी है. यहां माफियाओं के साए में घड़ियालों को सुरक्षित पाला जाता है. चंबल नदी में जहां सबसे अधिक घड़ियाल पाए जाते हैं. वहां पर सबसे अधिक रेत का अवैध उत्खनन होता है.

अवैध उत्खनन बड़ी समस्या: इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि लगातार अवैध उत्खनन के कारण इन वन्य प्राणियों को इतना बड़ा खतरा है कि हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सहित एनजीटी ने मध्य प्रदेश में अवैध उत्खनन का केंद्र चंबल सेंचुरी को माना है. यहां अवैध रेत उत्खनन प्रदेश के माथे पर एक बदनुमा धब्बा है. इसे रोकने के लिए एमपी राजस्थान उत्तर प्रदेश सरकार ने कई बार प्रयास किया, लेकिन हर बार असफल रहे.

हाई कोर्ट की खंडपीठ ग्वालियर ने कई बार मध्य प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को चेतावनी दी है कि किसी भी हालत में इन माफिया को यहां से रोके, क्योंकि वन्य प्राणियों को सबसे अधिक खतरा है. सरकार की तरफ से कई बार तमाम इंतजाम किए गए हैं, लेकिन हर बार असफलता हाथ मिला है. वहीं, जिला प्रशासन भी इन माफिया को रोकने में कभी भी कामयाब नहीं हुआ है. यही कारण है कि यहां आज भी चंबल अभ्यारण इलाके में जोरों से अवैध उत्खनन किया जाता है.

Alligator News
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेचुंरी केंद्र

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Last Updated : Nov 28, 2023, 5:17 PM IST
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