ETV Bharat / bharat

गुरु पूर्णिमा : जानें कब और कैसे करें पूजा - पूर्णिमा

इस साल 24 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी. सनातन धर्म में इस तिथि को गंगा स्नान व दान बेहद शुभ होता है. आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को ही वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. तभी से गुरुओं के पूजन की परंपरा चली आ रही है.

guru
guru
author img

By

Published : Jul 22, 2021, 10:38 PM IST

Updated : Jul 23, 2021, 6:53 AM IST

अयोध्या : आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन गुरु की पूजा की जाती है. साधारण भाषा में गुरु वह व्यक्ति है जो अपने ज्ञान से हमारे अन्दर के अंधकार को मिटा देता है और प्रकाश की ओर ले जाता है. पूरे भारत में यह पर्व बड़े श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 24 जुलाई 2021 को मनाया जायेगा.

मान्यता है कि पैराणिक काल के महान व्यक्तित्व, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद् भागवत और अठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था. वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास तीनों कालों के ज्ञाता थे. उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखकर यह जान लिया था कि कलियुग में धर्म के प्रति लोगों की रुचि कम हो जायेगी. धर्म में रुचि कम होने के कारण मनुष्य ईश्वर में विश्वास न रखने वाला, कर्तव्य से विमुख और कम आयु वाला हो जायेगा. एक बड़े और सम्पूर्ण वेद का अध्ययन करना उसके बस की बात नहीं होगी. इसी लिए महर्षि व्यास ने वेद को चार भागों में बांट दिया, जिससे अल्प बुद्धि और अल्प स्मरण शक्ति रखने वाले लोग भी वेदों का अध्ययन करके लाभ उठा सकें.

जानें कब और कैसे करें पूजा

गुरु पूजन विधि

आचार्य कमल दूबे ने बताया कि प्रातःकाल स्नान से निवृत होकर एक स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं. वहां व्यासपीठ की स्थापना एक चौकी पर करें. उस पर अपने गुरुजी एवं व्यासजी जी की प्रतिमा स्थापित करें. उसके बाद हाथ में जल और अक्षत लेकर ‘गुरु परंपरा सिद्धयर्थं व्यास पूजनं करिष्ये’ उच्चारण कर संकल्प करें. गुरु को ऊंचा आसन देकर एक बड़ी थाली में उनके पैरों को धुलना चाहिए, फूल माला से उनके चरणों की वन्दना करनी चाहिए. गुरु भगवान को वस्त्र, फल, मिठाई, फूल माला अर्पण कर दक्षिणा देनी चाहिए.

आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा 23 जुलाई (शुक्रवार) को सुबह 10 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी, जो कि 24 जुलाई की सुबह 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि में पूर्णिमा मनाए जाने के कारण यह 24 जुलाई, शनिवार को मनाई जाएगी.

पूर्णिमा के दिन जरूर करें स्नान-दान

आचार्य कमल दूबे के अनुसार पूर्णिमा पर दिये गये दान-दक्षिणा का फल कई गुना होकर हमें वापस मिलता है. पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद तिल, गुड़, कपास, घी, फल, अन्न, कम्बल, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए. साथ ही किसी जरूरतमंद को भोजन कराना चाहिए. शास्त्रों में इस दिन सबसे अधिक प्रयागराज में स्नान-दान का महत्व बताया गया है, लेकिन अगर आप कहीं बाहर नहीं जा सकते तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल डालकर, पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करें और गायत्री मंत्र का जाप करें.

पढ़ेंः जानिए देवशयनी एकादशी के शुभ मुहूर्त, इस विधि से करें पूजा तो प्रसन्न होंगे विष्णु भगवान

अयोध्या : आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन गुरु की पूजा की जाती है. साधारण भाषा में गुरु वह व्यक्ति है जो अपने ज्ञान से हमारे अन्दर के अंधकार को मिटा देता है और प्रकाश की ओर ले जाता है. पूरे भारत में यह पर्व बड़े श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 24 जुलाई 2021 को मनाया जायेगा.

मान्यता है कि पैराणिक काल के महान व्यक्तित्व, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद् भागवत और अठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था. वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास तीनों कालों के ज्ञाता थे. उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखकर यह जान लिया था कि कलियुग में धर्म के प्रति लोगों की रुचि कम हो जायेगी. धर्म में रुचि कम होने के कारण मनुष्य ईश्वर में विश्वास न रखने वाला, कर्तव्य से विमुख और कम आयु वाला हो जायेगा. एक बड़े और सम्पूर्ण वेद का अध्ययन करना उसके बस की बात नहीं होगी. इसी लिए महर्षि व्यास ने वेद को चार भागों में बांट दिया, जिससे अल्प बुद्धि और अल्प स्मरण शक्ति रखने वाले लोग भी वेदों का अध्ययन करके लाभ उठा सकें.

जानें कब और कैसे करें पूजा

गुरु पूजन विधि

आचार्य कमल दूबे ने बताया कि प्रातःकाल स्नान से निवृत होकर एक स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं. वहां व्यासपीठ की स्थापना एक चौकी पर करें. उस पर अपने गुरुजी एवं व्यासजी जी की प्रतिमा स्थापित करें. उसके बाद हाथ में जल और अक्षत लेकर ‘गुरु परंपरा सिद्धयर्थं व्यास पूजनं करिष्ये’ उच्चारण कर संकल्प करें. गुरु को ऊंचा आसन देकर एक बड़ी थाली में उनके पैरों को धुलना चाहिए, फूल माला से उनके चरणों की वन्दना करनी चाहिए. गुरु भगवान को वस्त्र, फल, मिठाई, फूल माला अर्पण कर दक्षिणा देनी चाहिए.

आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा 23 जुलाई (शुक्रवार) को सुबह 10 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी, जो कि 24 जुलाई की सुबह 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि में पूर्णिमा मनाए जाने के कारण यह 24 जुलाई, शनिवार को मनाई जाएगी.

पूर्णिमा के दिन जरूर करें स्नान-दान

आचार्य कमल दूबे के अनुसार पूर्णिमा पर दिये गये दान-दक्षिणा का फल कई गुना होकर हमें वापस मिलता है. पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद तिल, गुड़, कपास, घी, फल, अन्न, कम्बल, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए. साथ ही किसी जरूरतमंद को भोजन कराना चाहिए. शास्त्रों में इस दिन सबसे अधिक प्रयागराज में स्नान-दान का महत्व बताया गया है, लेकिन अगर आप कहीं बाहर नहीं जा सकते तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल डालकर, पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करें और गायत्री मंत्र का जाप करें.

पढ़ेंः जानिए देवशयनी एकादशी के शुभ मुहूर्त, इस विधि से करें पूजा तो प्रसन्न होंगे विष्णु भगवान

Last Updated : Jul 23, 2021, 6:53 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.