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स्‍वर्ण मिश्रित स्याही से मनकीरत लिख रहे श्री गुरु ग्रंथ साहिब ,पांच साल में होगा पूरा

पंजाब के मनकीरत सिंह स्‍वर्ण मिश्रित स्याही से श्री गुरु ग्रंथ साहिब लिख रहे हैं.इस लेखन में खास किस्म की स्याही इस्तेमाल होती है. इसके लिए सोना और लाजवर्द (मूल्यवान नीले रंग का पत्थर) बराबर मात्रा में मिलाते हैं. इसके बाद कीकर (बबूल) की गोंद व विजयसार की लकड़ी के पानी के मिश्रण से तांबे के बर्तन में डाल कर नीम की लकड़ी से स्याही तैयार की जाती है.

मनकीरत
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Published : Jun 25, 2021, 8:21 AM IST

चंडीगढ़ : पंजाब स्थित बठिंडा के मनकीरत सिंह स्‍वर्ण मिश्रित स्याही से श्री गुरु ग्रंथ साहिब लिख रहे हैं, उन्होंने वर्ष 2018 में यह पावन कार्य शुरू किया था. उस समय वह प्राइवेट स्कूल में म्यूजिक टीचर थे. वह अपना वेतन इसी सेवा पर लगा रहे है.

इस काम के लिए उन्हें कुछ लोगों का सहयोग भी मिलता रहा, लेकिन कोरोना काल में यह सहायता भी बंद हो गई. दूसरी बड़ी दिक्कत लेखन में इस्तेमाल होने वाले सामान को लेकर रही. मनकीरत के मुताबिक इस पवित्र कार्य को पूरा करने में करीब 25 से 30 लाख रुपये का खर्च होगा. वह कहते हैं, यह तो समय ही बताएगा कि इतने बड़े खर्च का इंतजाम कैसे होगा, लेकिन मैं यह सेवा हर हाल में पूरा करूंगा. जब तक वाहेगुरु का हाथ मेरे सिर पर रहेगा, मुझे घबराने की जरूरत नहीं है.

पढ़ें :उत्तराखंड : चारधाम और हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए ऑनलाइन ट्रिप कार्ड अनिवार्य

कैसे तैयार होती है स्‍वर्ण स्याही

इस लेखन में खास किस्म की स्याही इस्तेमाल होती है. इसके लिए सोना और लाजवर्द (मूल्यवान नीले रंग का पत्थर) बराबर मात्रा में मिलाते हैं. इसके बाद कीकर (बबूल) की गोंद व विजयसार की लकड़ी के पानी के मिश्रण से तांबे के बर्तन में डाल कर नीम की लकड़ी से स्याही तैयार की जाती है. भृंगराज समेत अन्य सामान डालकर इसकी करीब 20 दिन तक रगड़ाई करनी पड़ती है. स्याही का रंग काला ही रहता है, लेकिन सोना मिक्स होने से कम रोशनी में भी अक्षर चमकने लगते हैं.

चंडीगढ़ : पंजाब स्थित बठिंडा के मनकीरत सिंह स्‍वर्ण मिश्रित स्याही से श्री गुरु ग्रंथ साहिब लिख रहे हैं, उन्होंने वर्ष 2018 में यह पावन कार्य शुरू किया था. उस समय वह प्राइवेट स्कूल में म्यूजिक टीचर थे. वह अपना वेतन इसी सेवा पर लगा रहे है.

इस काम के लिए उन्हें कुछ लोगों का सहयोग भी मिलता रहा, लेकिन कोरोना काल में यह सहायता भी बंद हो गई. दूसरी बड़ी दिक्कत लेखन में इस्तेमाल होने वाले सामान को लेकर रही. मनकीरत के मुताबिक इस पवित्र कार्य को पूरा करने में करीब 25 से 30 लाख रुपये का खर्च होगा. वह कहते हैं, यह तो समय ही बताएगा कि इतने बड़े खर्च का इंतजाम कैसे होगा, लेकिन मैं यह सेवा हर हाल में पूरा करूंगा. जब तक वाहेगुरु का हाथ मेरे सिर पर रहेगा, मुझे घबराने की जरूरत नहीं है.

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कैसे तैयार होती है स्‍वर्ण स्याही

इस लेखन में खास किस्म की स्याही इस्तेमाल होती है. इसके लिए सोना और लाजवर्द (मूल्यवान नीले रंग का पत्थर) बराबर मात्रा में मिलाते हैं. इसके बाद कीकर (बबूल) की गोंद व विजयसार की लकड़ी के पानी के मिश्रण से तांबे के बर्तन में डाल कर नीम की लकड़ी से स्याही तैयार की जाती है. भृंगराज समेत अन्य सामान डालकर इसकी करीब 20 दिन तक रगड़ाई करनी पड़ती है. स्याही का रंग काला ही रहता है, लेकिन सोना मिक्स होने से कम रोशनी में भी अक्षर चमकने लगते हैं.

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