नई दिल्ली: भारत में तीन नए सांस्कृतिक स्थलों को यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन) के विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल किया गया है, जिनमें मोढेरा का ऐतिहासिक सूर्य मंदिर, गुजरात का ऐतिहासिक वडनगर शहर और त्रिपुरा में उनाकोटी की चट्टानों को काटकर बनाई गई मूर्तियां शामिल हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मंगलवार को यह जानकारी दी. यूनेस्को की वेबसाइट एक अस्थायी सूची का वर्णन उन संपत्तियों की सूची के रूप में किया गया है, प्रत्येक सरकार नामांकन के लिए जिन पर विचार करने का इरादा रखती है.
वडनगर: गुजरात का वडनगर एक छोटा सा शहर है. पुरातत्व विशेषज्ञों की माने तो ये शहर 2 हजार साल पुराना है. वडनगर में खुदाई में बौद्ध काल के अवशेष मिले हैं जिसमें गुप्त काल की बुद्ध की एक प्रतिमा, खोल चूड़ियां, कलाकृतियां और स्तूप मिले हैं. रेड्डी ने कहा कि वडनगर नगरपालिका एक बहुस्तरीय ऐतिहासिक शहर है, जिसका इतिहास लगभग 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक फैला हुआ है. उन्होंने कहा कि शहर में अभी भी बड़ी संख्या में ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो मुख्य रूप से धार्मिक और आवासीय प्रकृति की हैं.
वडनगर को प्राचीन काल में अनर्तपुर, आनंदपुर के नाम से भी जाना जाता था. कहा जाता है कि महाभारत में एक समय ऐसा भी आया जब पांडव वहां रहते थे. वडनगर पुरातात्विक अवशेषों से भरा पड़ा है. अब तक वडनगर की भूमि में खुदाई के दौरान कई प्रकार के पुरातत्व मिले हैं, जिनसे यह सिद्ध होता है कि वडनगर पहले के समय में एक महान और महत्वपूर्ण नगर था. वडनगर को मंदिरों और झीलों का शहर भी कहा जाता है. वडनगर में राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों में अजपाल कुंड, अर्जुन बारी दरवाजा और कीर्ति तोरण शामिल हैं.
वडनगर भारत के 15वें और वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म स्थान है. लगभग 2000 वर्ष पुराना ऐतिहासिक हाटकेश्वर मंदिर वडनगर में स्थित है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. शहर के बाहर 17वीं सदी में बना यह मंदिर हाटकेश्वर महादेव को समर्पित है. वडनगर ब्राह्मणों के अधिष्ठाता देवता कौन हैं. मंदिर भारतीय शास्त्रीय शैली में बनाया गया था. वडनगर में पुरातत्व विभाग की खुदाई के दौरान गुजरात का प्रसिद्ध कीर्ति तोरण, तानारिरी समाधि, शर्मिष्ठा झील, बौद्ध विरासत, प्रसिद्ध हटकेश्वर मंदिर और कई ऐतिहासिक चीजें मिली हैं.
विश्व प्रसिद्ध मोढेरा सूर्य मंदिर: विश्व प्रसिद्ध मोढेरा सूर्य मंदिर मेहसाणा से लगभग 25 किमी दूर है. पुष्पावती नदी के तट पर बने इस सूर्य मंदिर की वास्तूकला अद्भुत और अविस्मरणीय है. सूर्य मंदिर का निर्माण करने वाला सोलंकी राजवंश वंश ने मंदिर का निर्माण कराया था. सोलंकी वंश को सूर्यवंशी भी कहा जाता था. वे एक आदिवासी देवता के रूप में सूर्य की पूजा करते थे. शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करने वाले इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पूरे मंदिर के निर्माण में कहीं भी चूने का प्रयोग नहीं किया गया है. ईरानी शैली में निर्मित इस मंदिर को सोलंकी भीमदेव ने दो भागों में बनवाया था.
शानदार नक्काशी: मंदिर के हॉल में कुल 52 स्तंभ हैं. इन स्तंभों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र और रामायण और महाभारत के दृश्य उकेरे गए हैं. ये स्तम्भ नीचे देखने पर अष्टकोणीय तथा ऊपर देखने पर गोल दिखाई देते हैं. इस मंदिर की एक खास बात यह है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह में पड़ती है. मंदिर के सामने एक विशाल सरोवर है. जिसे सूर्य कुंड या राम कुंड कहते हैं.
(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई-भाषा)