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अस्पताल में आग : गुजरात सरकार को फटकार, कोर्ट ने कहा-सबकुछ कागज पर ही चल रहा

कोविड-19 अस्पताल में आग लगने की घटना पर हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा इस विनाशकारी आग लगने की घटना के लिए किसी की तो जवाबदेही तय करनी होगी. सरकार केवल कागज जमा करती है, सब कुछ केवल कागज पर ही रह जाता है.

गुजरात उच्च न्यायालय
गुजरात उच्च न्यायालय
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Published : May 11, 2021, 9:39 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने भरूच जिले में पिछले दिनों एक कोविड-19 अस्पताल में आग लगने की घटना पर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वह चौकसी में ढिलाई बरतने और ऐसी घटनाओं को टालने में नाकाम रहने के कारण अवमानना की दोषी है. अदालत ने इस संबंध में अपने पूर्व में पारित कई आदेशों का उल्लेख किया.

अदालत की एक खंडपीठ ने महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी के इस जवाब पर हैरानी जताई कि एक ट्रस्ट द्वारा संचालित भरूच वेलफेयर अस्पताल में कोविड -19 केंद्र को प्राधिकारियों को सूचित किए बिना गुपचुप तरीके से स्थापित किया गया था. एक मई को इस केंद्र में आग लगने की घटना में 18 लोग मारे गए थे जिनमें से सोलह मरीज और दो नर्सें थीं .

न्यायाधीश बेला त्रिवेदी और न्यायाधीश भार्गव डी कारिया की पीठ ने कहा कि क्या समिति की रिपोर्ट का मतलब फाइलों में बंद रहना है? इस विनाशकारी आग लगने की घटना के लिए किसी की तो जवाबदेही तय करनी होगी.

कोर्ट ने कहा सरकार केवल कागज जमा करती है, सब कुछ केवल कागज पर ही रह जाता है. महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि रिपोर्ट को फाइलों में बंद नहीं रखा जाता है कई बार, रिपोर्टों पर चर्चा की जाती है. जहां तक ​​भरूच की घटना का सवाल है, यह पता लगाने के लिए पूछताछ जारी है कि कौन जिम्मेदार था.

उच्च न्यायालय सरकार के जवाब से खुश नहीं था. कोर्ट ने सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आप केवल कागजात जमा करें जबकि शपथ पत्र पर कुछ भी नहीं है, सब कुछ सिर्फ कागज पर है. हम केवल इतना पूछना चाहते हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?

कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह ठोस आंकड़ों और तथ्यों के साथ आएं.

पीठ अधिवक्ता अमित पांचाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने और अदालत के पिछले आदेशों की अनुपालना में विफल रहने के लिए उन्हें दंडित करने के लिए निर्देश दिए जाने की अपील की गई थी.

पीठ ने कहा, 'यह अदालतों द्वारा पूर्व में पारित किए गए सभी आदेशों की अवमानना के समान है. अंतत: यह राज्य द्वारा अदालत की अवमानना है क्योंकि वह कहने के बावजूद चौकसी बरतने में विफल रही .'

पढ़ें- कोरोना का कहर : देश के हर राज्य में लगी पाबंदियां, कहीं कर्फ्यू तो कहीं लॉकडाउन

पीठ ने इस मामले में भरूच नगर पालिका, अस्पताल को चलाने वाले ट्रस्ट, अग्नि सुरक्षा के लिए इसके नोडल अधिकारी तथा सरकार को भी नोटिस जारी किए और मामले को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया. अगली सुनवाई 25 मई को तय की गई है.

अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने भरूच जिले में पिछले दिनों एक कोविड-19 अस्पताल में आग लगने की घटना पर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वह चौकसी में ढिलाई बरतने और ऐसी घटनाओं को टालने में नाकाम रहने के कारण अवमानना की दोषी है. अदालत ने इस संबंध में अपने पूर्व में पारित कई आदेशों का उल्लेख किया.

अदालत की एक खंडपीठ ने महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी के इस जवाब पर हैरानी जताई कि एक ट्रस्ट द्वारा संचालित भरूच वेलफेयर अस्पताल में कोविड -19 केंद्र को प्राधिकारियों को सूचित किए बिना गुपचुप तरीके से स्थापित किया गया था. एक मई को इस केंद्र में आग लगने की घटना में 18 लोग मारे गए थे जिनमें से सोलह मरीज और दो नर्सें थीं .

न्यायाधीश बेला त्रिवेदी और न्यायाधीश भार्गव डी कारिया की पीठ ने कहा कि क्या समिति की रिपोर्ट का मतलब फाइलों में बंद रहना है? इस विनाशकारी आग लगने की घटना के लिए किसी की तो जवाबदेही तय करनी होगी.

कोर्ट ने कहा सरकार केवल कागज जमा करती है, सब कुछ केवल कागज पर ही रह जाता है. महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि रिपोर्ट को फाइलों में बंद नहीं रखा जाता है कई बार, रिपोर्टों पर चर्चा की जाती है. जहां तक ​​भरूच की घटना का सवाल है, यह पता लगाने के लिए पूछताछ जारी है कि कौन जिम्मेदार था.

उच्च न्यायालय सरकार के जवाब से खुश नहीं था. कोर्ट ने सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आप केवल कागजात जमा करें जबकि शपथ पत्र पर कुछ भी नहीं है, सब कुछ सिर्फ कागज पर है. हम केवल इतना पूछना चाहते हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?

कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह ठोस आंकड़ों और तथ्यों के साथ आएं.

पीठ अधिवक्ता अमित पांचाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने और अदालत के पिछले आदेशों की अनुपालना में विफल रहने के लिए उन्हें दंडित करने के लिए निर्देश दिए जाने की अपील की गई थी.

पीठ ने कहा, 'यह अदालतों द्वारा पूर्व में पारित किए गए सभी आदेशों की अवमानना के समान है. अंतत: यह राज्य द्वारा अदालत की अवमानना है क्योंकि वह कहने के बावजूद चौकसी बरतने में विफल रही .'

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पीठ ने इस मामले में भरूच नगर पालिका, अस्पताल को चलाने वाले ट्रस्ट, अग्नि सुरक्षा के लिए इसके नोडल अधिकारी तथा सरकार को भी नोटिस जारी किए और मामले को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया. अगली सुनवाई 25 मई को तय की गई है.

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