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नाबालिग के फर्जी एनकाउंटर मामले में गुजरात सरकार व पुलिस को हाईकोर्ट का नोटिस

गुजरात उच्च न्यायालय (Gurjar High Court) ने बुधवार को राज्य सरकार, पुलिस महानिदेशक और अन्य को उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें पुलिस पर दो महीने पहले फर्जी मुठभेड़ (Fake encounter two months ago) में एक व्यक्ति और उसके नाबालिग बेटे को मार डालने का आरोप लगाया गया है.

Gujarat High Court file photo
गुजरात हाईकोर्ट फाइल फोटो
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Published : Jan 5, 2022, 8:08 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात HC ने फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाने वाली याचिका (Petition alleging fake encounter) पर राज्य सरकार व पुलिस को नोटिस भेजा है. यह जनहित याचिका सोहनबेन मालेक ने दायर की है जिसके पिता हनीफखान जटमालेक और मदीनखान जटमालेक मारे गए थे. याचिका में आरोप लगाया गया है कि छह नवंबर 2021 को बाजना थाने के अधिकारियों ने फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया.

मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की खंडपीठ (Bench of Chief Justice Arvind Kumar and Justice Ashutosh Shastri) ने याचिका पर राज्य सरकार, पुलिस महानिदेशक, सुरेंद्रनगर के पुलिस अधीक्षक, गुजरात मानवाधिकार आयोग और बाजना थाने के सात अधिकारियों को नोटिस जारी किए. इन सभी से 18 जनवरी तक जवाब मांगा गया है.

याचिकाकर्ता मालेक ने अपने वकील यतिन ओझा के माध्यम से तर्क दिया है कि आरोपी पुलिस अधिकारी ने उसके पिता और भाई की गोली मारकर हत्या कर दी तथा अधिकारियों पर हमला करने के लिए भीड़ एकत्र करने का आरोप लगाते हुए उसके परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों पर झूठा मामला दर्ज किया.

याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके पिता के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन इससे प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों को फर्जी मुठभेड़ करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता. मालेक ने बाजना थाने के पुलिसकर्मियों के खिलाफ किसी उच्च अधिकारी से जांच कराने का आग्रह किया है.

याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि सात नवंबर 2021 को बाजना थाने के उपनिरीक्षक द्वारा झूठी प्राथमिकी भी दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि 15-20 लोगों की भीड़ ने पुलिस टीम पर हमला किया था उस समय हमला किया जब वह उसके (याचिकाकर्ता) मारे गए पिता को गिरफ्तार करने और वाहन में डालने की कोशिश कर रही थी.

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रतिवादियों में से एक उपनिरीक्षक वीरेंद्र सिंह जडेजा ने गोली चलाई थी. याचिकाकर्ता ने कहा कि छह नवंबर की शाम पुलिस टीम एक निजी वाहन से उसके घर पहुंची और उसके पिता को घसीटकर गाड़ी की ओर ले गई. उसने कहा कि उसका 14 वर्षीय भाई पुलिसकर्मियों से कारण पूछने के लिए दौड़ा और अपने पिता के पीछे चलने लगा.

याचिका में कहा गया है कि यह देखकर आरोपी उपनिरीक्षक ने याचिकाकर्ता के भाई की छाती में नजदीक से गोली मार दी. इसमें कहा गया है कि अपने बेटे को खून से लथपथ देखकर याचिकाकर्ता का पिता गुस्से में आ गया और जैसे ही वह बेटे को देखने पहुंचा, उसकी भी गोली मारकर हत्या कर दी गई.

मालेक ने आरोप लगाया कि जब पड़ोसी एकत्र हुए तो पुलिसकर्मियों ने यह कहते हुए झूठा मामला बनाया कि पिता और पुत्र दोनों पर गोली आत्मरक्षा में चलाई गई थी क्योंकि उन्होंने पुलिस पर हमला करने की कोशिश की थी. याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों सहित 15-20 लोगों की भीड़ के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की.

यह भी पढ़ें- सिविल सर्विस (मुख्य) परीक्षा निर्धारित कार्यक्रम के तहत शुक्रवार से होगी : यूपीएससी

इसमें दावा किया गया है कि प्राथमिकी में नामित दो आरोपियों की काफी पहले मौत हो गई थी और दो अन्य की उम्र लगभग 75 वर्ष है तथा वे पुलिसकर्मियों पर हमला करने की शारीरिक स्थिति में नहीं थे. याचिका में कहा गया है कि आरोपियों में से एक 50 प्रतिशत दिव्यांगता से पीड़ित है तथा पुलिस द्वारा मारे गए पिता-पुत्र को भी प्राथमिकी में नामित किया गया है. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पुलिस परिवार के सदस्यों को परेशान कर रही है और उनकी जान भी खतरे में है.

(पीटीआई-भाषा)

अहमदाबाद : गुजरात HC ने फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाने वाली याचिका (Petition alleging fake encounter) पर राज्य सरकार व पुलिस को नोटिस भेजा है. यह जनहित याचिका सोहनबेन मालेक ने दायर की है जिसके पिता हनीफखान जटमालेक और मदीनखान जटमालेक मारे गए थे. याचिका में आरोप लगाया गया है कि छह नवंबर 2021 को बाजना थाने के अधिकारियों ने फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया.

मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की खंडपीठ (Bench of Chief Justice Arvind Kumar and Justice Ashutosh Shastri) ने याचिका पर राज्य सरकार, पुलिस महानिदेशक, सुरेंद्रनगर के पुलिस अधीक्षक, गुजरात मानवाधिकार आयोग और बाजना थाने के सात अधिकारियों को नोटिस जारी किए. इन सभी से 18 जनवरी तक जवाब मांगा गया है.

याचिकाकर्ता मालेक ने अपने वकील यतिन ओझा के माध्यम से तर्क दिया है कि आरोपी पुलिस अधिकारी ने उसके पिता और भाई की गोली मारकर हत्या कर दी तथा अधिकारियों पर हमला करने के लिए भीड़ एकत्र करने का आरोप लगाते हुए उसके परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों पर झूठा मामला दर्ज किया.

याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके पिता के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन इससे प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों को फर्जी मुठभेड़ करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता. मालेक ने बाजना थाने के पुलिसकर्मियों के खिलाफ किसी उच्च अधिकारी से जांच कराने का आग्रह किया है.

याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि सात नवंबर 2021 को बाजना थाने के उपनिरीक्षक द्वारा झूठी प्राथमिकी भी दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि 15-20 लोगों की भीड़ ने पुलिस टीम पर हमला किया था उस समय हमला किया जब वह उसके (याचिकाकर्ता) मारे गए पिता को गिरफ्तार करने और वाहन में डालने की कोशिश कर रही थी.

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रतिवादियों में से एक उपनिरीक्षक वीरेंद्र सिंह जडेजा ने गोली चलाई थी. याचिकाकर्ता ने कहा कि छह नवंबर की शाम पुलिस टीम एक निजी वाहन से उसके घर पहुंची और उसके पिता को घसीटकर गाड़ी की ओर ले गई. उसने कहा कि उसका 14 वर्षीय भाई पुलिसकर्मियों से कारण पूछने के लिए दौड़ा और अपने पिता के पीछे चलने लगा.

याचिका में कहा गया है कि यह देखकर आरोपी उपनिरीक्षक ने याचिकाकर्ता के भाई की छाती में नजदीक से गोली मार दी. इसमें कहा गया है कि अपने बेटे को खून से लथपथ देखकर याचिकाकर्ता का पिता गुस्से में आ गया और जैसे ही वह बेटे को देखने पहुंचा, उसकी भी गोली मारकर हत्या कर दी गई.

मालेक ने आरोप लगाया कि जब पड़ोसी एकत्र हुए तो पुलिसकर्मियों ने यह कहते हुए झूठा मामला बनाया कि पिता और पुत्र दोनों पर गोली आत्मरक्षा में चलाई गई थी क्योंकि उन्होंने पुलिस पर हमला करने की कोशिश की थी. याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों सहित 15-20 लोगों की भीड़ के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की.

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इसमें दावा किया गया है कि प्राथमिकी में नामित दो आरोपियों की काफी पहले मौत हो गई थी और दो अन्य की उम्र लगभग 75 वर्ष है तथा वे पुलिसकर्मियों पर हमला करने की शारीरिक स्थिति में नहीं थे. याचिका में कहा गया है कि आरोपियों में से एक 50 प्रतिशत दिव्यांगता से पीड़ित है तथा पुलिस द्वारा मारे गए पिता-पुत्र को भी प्राथमिकी में नामित किया गया है. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पुलिस परिवार के सदस्यों को परेशान कर रही है और उनकी जान भी खतरे में है.

(पीटीआई-भाषा)

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