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गुजरात: शहीद सैनिक के परिवार ने डाक से भेजे गये 'शौर्य चक्र' को स्वीकार करने से किया इनकार

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Published : Sep 8, 2022, 10:26 PM IST

Updated : Sep 8, 2022, 10:59 PM IST

गुजरात के शहीद सैनिक के परिवारवालों ने डाक से भेजे गए शौर्य चक्र वीरता पुरस्कार को लेने से मना कर दिया. परिजनों ने इसे शहीद का अपमान बताया. बता दें कि लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया 2017 में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए थे.

Gopal Singh Bhadoriya
गोपाल सिंह भदौरिया

अहमदाबाद : एक शहीद सैनिक के परिजनों ने गुजरात स्थित उनके घर पर डाक द्वारा भेजे गए 'शौर्य चक्र' वीरता पुरस्कार को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. परिजनों ने इसे अपने शहीद बेटे लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया का 'अपमान' बताया. जम्मू-कश्मीर में पांच साल पहले आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में भदौरिया ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. भदौरिया के पिता मुनीम सिंह ने पांच सितंबर को डाक से भेजे गए 'शौर्य चक्र' वीरता पुरस्कार को लौटा दिया, जो उनके बेटे के फरवरी 2017 में शहीद होने के एक साल बाद मरणोपरांत दिया गया था.

जानिए क्या शहीद के पिता ने

अहमदाबाद शहर के बापूनगर इलाके में रहने वाले सिंह ने मांग की कि देश का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में परिवार को सौंपा जाए. सिंह ने बताया कि 'सेना डाक के माध्यम से पदक नहीं भेज सकती है. यह न केवल प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, बल्कि एक शहीद और उसके परिवार का भी अपमान है. इसलिए मैंने पदक वाले पार्सल को स्वीकार नहीं किया और यह कहते हुए इसे वापस कर दिया कि मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता.'

भदौरिया 33 वर्ष की उम्र में शहीद हो गये थे. अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के बाद शौर्य चक्र तीसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है.

ये भी पढ़ें - सियाचिन में शहीद जवान का शव 38 साल बाद बंकर से मिला

अहमदाबाद : एक शहीद सैनिक के परिजनों ने गुजरात स्थित उनके घर पर डाक द्वारा भेजे गए 'शौर्य चक्र' वीरता पुरस्कार को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. परिजनों ने इसे अपने शहीद बेटे लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया का 'अपमान' बताया. जम्मू-कश्मीर में पांच साल पहले आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में भदौरिया ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. भदौरिया के पिता मुनीम सिंह ने पांच सितंबर को डाक से भेजे गए 'शौर्य चक्र' वीरता पुरस्कार को लौटा दिया, जो उनके बेटे के फरवरी 2017 में शहीद होने के एक साल बाद मरणोपरांत दिया गया था.

जानिए क्या शहीद के पिता ने

अहमदाबाद शहर के बापूनगर इलाके में रहने वाले सिंह ने मांग की कि देश का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में परिवार को सौंपा जाए. सिंह ने बताया कि 'सेना डाक के माध्यम से पदक नहीं भेज सकती है. यह न केवल प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, बल्कि एक शहीद और उसके परिवार का भी अपमान है. इसलिए मैंने पदक वाले पार्सल को स्वीकार नहीं किया और यह कहते हुए इसे वापस कर दिया कि मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता.'

भदौरिया 33 वर्ष की उम्र में शहीद हो गये थे. अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के बाद शौर्य चक्र तीसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है.

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Last Updated : Sep 8, 2022, 10:59 PM IST
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