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गुजरात चुनाव बनाम दिल्ली एमसीडी चुनाव: कैसे लगेगी 'आम आदमी' की नइया पार ? - Aam Aadmi Party

जहां एक ओर गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहीं दूसरी ओर दिल्ली में एमसीडी चुनाव भी एक दिन पहले कराए जाएंगे. अब इसे लेकर आम आदमी पार्टी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पढ़ें इस पर हमारी वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

आम आदमी पार्टी बनाम बीजेपी
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Published : Nov 11, 2022, 9:04 PM IST

नई दिल्ली: गुजरात चुनाव के दूसरे चरण से ठीक एक दिन पहले दिल्ली में एमसीडी के चुनाव भी हो रहे हैं. विश्लेषक मानते हैं कि ऐसा इसलिए किया गया है, जिससे आम आदमी पार्टी एमसीडी और गुजरात चुनावों के बीच फंस कर रह जाए. बहरहाल आम आदमी पार्टी ने इससे लड़ने के लिए दोनों जगह अपनी कमर कस ली है. झाड़ू चुनाव चिह्न वाली पार्टी आम आदमी पाटी ने दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों को अपना मुद्दा बना लिया है.

गाज़ीपुर, भलस्वा और ओखला को दिखा कर वो ये दावा कर रही है कि भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में ही 16 और ऐसे ही कूड़े के पहाड़ दिल्ली में बनाने जा रही है. दूसरी ओर बीजेपी के नेताओं ने इस मुद्दे को सफाईकर्मियों के अपमान से जोड़ दिया. उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी सफाईकर्मियों को नाकारा बता कर 60 हजार सफाई करने वालों की बेइज्जती कर रही है, जो रोज 11 हजार मीट्रिक टन कूड़ा उठाते हैं. चुनाव प्रचार में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी दिल्ली-गुजरात एक किया हुआ है.

हालांकि जानकारों की राय मानें तो आम आदमी पार्टी को एक साथ दो राज्यों में चुनाव लड़ने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उसके संसाधन और नेता बीजेपी से काफी कम हैं. लेकिन स्वास्थ्य, सफाई और शिक्षा से लेकर, पहले से कुर्सी पर कायम बीजेपी को पछाड़ने की उनकी पुरजोर कोशिश कायम है. पार्टी की सोच है कि ये सारे मुद्दे चूंकि स्थानीय स्तर के मुद्दे हैं और दोनों राज्यों में कॉमन फैक्टर हैं, इसलिए उन्हें बहुत मुश्किल नहीं होगी.

उधर आम आदमी पार्टी पर हमलावर बीजेपी केजरीवाल की 10 गारंटियों को अपने ढंग से पेश कर रही है. ट्विटर पर केजरीवाल की 10 उपलब्धियों में शराब घोटाला, तिहाड़ में उगाही, सत्येंद्र का हवाला घोटाला, क्लासरूम घोटाला, बस घोटाला, पराली से दिल्ली बनी गैस चेम्बर, यमुना प्रदूषण, जीरो अस्पताल, जीरो कॉलेज और पानी की कमी से दिल्ली में मचा हाहाकार बीजेपी गिनवा रही है. मंत्रियों के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप पहले ही लग चुके हैं, इसलिए इन हमलों के जवाब भी आम आदमी पार्टी को देने पड़ रहे हैं.

बताते चलें कि इसी साल मई में दिल्ली नगर निगम का एकीकरण और परिसीमन दोनों कर दिया गया था. अब 272 की जगह 250 वार्डों में चुनाव होगा, जिसमें 42 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और 50 फीसदी महिलाओं के लिए रखी गई हैं. एंटी इनकम्बेंसी से बचने के लिए 2017 के चुनाव में बीजेपी ने किसी भी सिटिंग पार्षद को टिकट नहीं दिया था. नतीजतन पार्टी को एंटी इनकम्बेंसी का कोई नुकसान नहीं झेलना पड़ा था और उसे एक बड़ी जीत मिली थी.

पढ़ें: तमिलनाडु पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गांधीग्राम ग्रामीण संस्थान के 36वें दीक्षांत समारोह में हुए शरीक

इस बार गुजरात में दो चरण में चुनाव हैं, पहला 1 दिसंबर और दूसरा 5 दिसंबर को. इस बीच 4 दिसंबर को दिल्ली में एमसीडी चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. जानकार मानते हैं कि पहले चरण के गुजरात की वोटिंग ट्रेंड का असर निश्चित तौर पर 4 दिसम्बर को होने वाले एमसीडी चुनाव की वोटिंग पर पड़ेगा. राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम का कहना है कि बीजेपी को यदि एक साथ 12 राज्यों में भी चुनाव लडना पड़े तो उसे कोई दिक्कत नही होगी, क्योंकि लगभग सभी राज्यों में उसका कैडर बना हुआ है और वो देश की सबसे बड़ी पार्टी में गिनी जाती है.

उसके कार्यकर्ता भी असंख्य हैं, मगर आम आदमी पार्टी का अभी दूसरे राज्यों में इस तरह का कैडर तैयार हुआ नहीं है, बल्कि वो करने की कोशिश कर रही है. इसलिए निश्चित तौर पर दो राज्यों में एक साथ चुनाव लड़ने से आम आदमी पार्टी पर असर पड़ सकता है.

नई दिल्ली: गुजरात चुनाव के दूसरे चरण से ठीक एक दिन पहले दिल्ली में एमसीडी के चुनाव भी हो रहे हैं. विश्लेषक मानते हैं कि ऐसा इसलिए किया गया है, जिससे आम आदमी पार्टी एमसीडी और गुजरात चुनावों के बीच फंस कर रह जाए. बहरहाल आम आदमी पार्टी ने इससे लड़ने के लिए दोनों जगह अपनी कमर कस ली है. झाड़ू चुनाव चिह्न वाली पार्टी आम आदमी पाटी ने दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों को अपना मुद्दा बना लिया है.

गाज़ीपुर, भलस्वा और ओखला को दिखा कर वो ये दावा कर रही है कि भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में ही 16 और ऐसे ही कूड़े के पहाड़ दिल्ली में बनाने जा रही है. दूसरी ओर बीजेपी के नेताओं ने इस मुद्दे को सफाईकर्मियों के अपमान से जोड़ दिया. उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी सफाईकर्मियों को नाकारा बता कर 60 हजार सफाई करने वालों की बेइज्जती कर रही है, जो रोज 11 हजार मीट्रिक टन कूड़ा उठाते हैं. चुनाव प्रचार में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी दिल्ली-गुजरात एक किया हुआ है.

हालांकि जानकारों की राय मानें तो आम आदमी पार्टी को एक साथ दो राज्यों में चुनाव लड़ने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उसके संसाधन और नेता बीजेपी से काफी कम हैं. लेकिन स्वास्थ्य, सफाई और शिक्षा से लेकर, पहले से कुर्सी पर कायम बीजेपी को पछाड़ने की उनकी पुरजोर कोशिश कायम है. पार्टी की सोच है कि ये सारे मुद्दे चूंकि स्थानीय स्तर के मुद्दे हैं और दोनों राज्यों में कॉमन फैक्टर हैं, इसलिए उन्हें बहुत मुश्किल नहीं होगी.

उधर आम आदमी पार्टी पर हमलावर बीजेपी केजरीवाल की 10 गारंटियों को अपने ढंग से पेश कर रही है. ट्विटर पर केजरीवाल की 10 उपलब्धियों में शराब घोटाला, तिहाड़ में उगाही, सत्येंद्र का हवाला घोटाला, क्लासरूम घोटाला, बस घोटाला, पराली से दिल्ली बनी गैस चेम्बर, यमुना प्रदूषण, जीरो अस्पताल, जीरो कॉलेज और पानी की कमी से दिल्ली में मचा हाहाकार बीजेपी गिनवा रही है. मंत्रियों के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप पहले ही लग चुके हैं, इसलिए इन हमलों के जवाब भी आम आदमी पार्टी को देने पड़ रहे हैं.

बताते चलें कि इसी साल मई में दिल्ली नगर निगम का एकीकरण और परिसीमन दोनों कर दिया गया था. अब 272 की जगह 250 वार्डों में चुनाव होगा, जिसमें 42 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और 50 फीसदी महिलाओं के लिए रखी गई हैं. एंटी इनकम्बेंसी से बचने के लिए 2017 के चुनाव में बीजेपी ने किसी भी सिटिंग पार्षद को टिकट नहीं दिया था. नतीजतन पार्टी को एंटी इनकम्बेंसी का कोई नुकसान नहीं झेलना पड़ा था और उसे एक बड़ी जीत मिली थी.

पढ़ें: तमिलनाडु पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गांधीग्राम ग्रामीण संस्थान के 36वें दीक्षांत समारोह में हुए शरीक

इस बार गुजरात में दो चरण में चुनाव हैं, पहला 1 दिसंबर और दूसरा 5 दिसंबर को. इस बीच 4 दिसंबर को दिल्ली में एमसीडी चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. जानकार मानते हैं कि पहले चरण के गुजरात की वोटिंग ट्रेंड का असर निश्चित तौर पर 4 दिसम्बर को होने वाले एमसीडी चुनाव की वोटिंग पर पड़ेगा. राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम का कहना है कि बीजेपी को यदि एक साथ 12 राज्यों में भी चुनाव लडना पड़े तो उसे कोई दिक्कत नही होगी, क्योंकि लगभग सभी राज्यों में उसका कैडर बना हुआ है और वो देश की सबसे बड़ी पार्टी में गिनी जाती है.

उसके कार्यकर्ता भी असंख्य हैं, मगर आम आदमी पार्टी का अभी दूसरे राज्यों में इस तरह का कैडर तैयार हुआ नहीं है, बल्कि वो करने की कोशिश कर रही है. इसलिए निश्चित तौर पर दो राज्यों में एक साथ चुनाव लड़ने से आम आदमी पार्टी पर असर पड़ सकता है.

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