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भाजपा का आंतरिक सर्वेक्षण, जीत हासिल करना चुनौती होगा

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Published : Feb 10, 2021, 7:30 AM IST

गुजरात में स्थानीय निकाय चुनाव 21 फरवरी और 28 फरवरी को होने वाले हैं. इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और ओवैसी की AIMIM पार्टी भी चुनाव लड़ रही हैं. भाजपा द्वारा किए गए आंतरिक सर्वेक्षण में खासकर जिला पंचायतों और 231 तालुका पंचायतों को लेकर कुछ चौंकाने वाले विवरण सामने आए हैं.

गुजरात निकाय चुनाव
गुजरात निकाय चुनाव

अहमदाबाद: भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, भाजपा आसानी से छह नगर निगमों पर जीत हासिल करेगी. इसके अलावा 81 में से कई नगर पालिकाओं में भाजपा समर्थक विजयी होंगे. हालांकि, भाजपा द्वारा किए गए एक आंतरिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात क्षेत्र में तालुका और जिला पंचायत स्तर पर कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है.

किसानों का मामला भाजपा के खिलाफ जा रहा

गुजरात में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण विकास कम हुआ है. वहीं ग्रामीण मतदाता जातिगत समीकरणों को अधिक महत्व देते हैं. यदि भाजपा जिला और तालुका स्तर पर उम्मीदवारों के चयन के लिए सावधानीपूर्वक जातीय समीकरण को प्राथमिकता देती है तो उसे चुनाव में आसानी रहेगी. हालांकि गुजरात के किसानों ने दिल्ली में होने वाले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में बड़ी संख्या में शामिल होने से परहेज किया है, फिर भी भाजपा चुनावों में ग्रामीण इलाकों में इसकी तपिश महसूस कर सकती है.

पढ़ें : पं. बंगाल में रेलवे परियोजना के लिए 45 वर्षों से जमीन का इंतजार, चुप है सरकार

छह निगमों और 81 नगर पालिकाओं में कोई समस्या नहीं

राजनीतिक विशेषज्ञ जयवंत पंड्या ने ईटीवी भारत से कहा कि भाजपा को शहरी और शहर क्षेत्र यानी छह निगमों और 81 नगर पालिकाओं में कोई समस्या नहीं होगी, लेकिन भाजपा के लिए 31 जिला पंचायतों और 231 तालुका पंचायतों में जीत हासिल करना मुश्किल होगा. ग्रामीण इलाकों में भाजपा पहले से ही कमजोर है, तो नए दलों के आने से भाजपा पर नहीं बल्कि कांग्रेस पर हमला होगा, लेकिन भाजपा का संगठन अभी गांवों में उतना मजबूत नहीं है, जितना कि होना चाहिए. आप और ओवैसी की AIMIM पार्टी के आने से महानगरों में कांग्रेस की सीटों में कमी आने की संभावना है.

घर-घर जाकर लोगों को भाजपा से जोड़ने में कामयाबी हासिल की

ईटीवी भारत के साथ फोन पर हुई बातचीत में, भाजपा के मीडिया संयोजक यज्ञेश दवे ने दावा किया कि भाजपा इस नागरिक चुनाव में भारी बहुमत से जीतेगी. 'बीजेपी इस बार रिकॉर्ड अंतर से नगर निगम और तालुका के साथ-साथ जिला पंचायत चुनाव भी जीतेगी. हमने मिशन पेज कमेटी के माध्यम से अपने पार्टी अध्यक्ष पाटिल साहब के मार्गदर्शन में घर-घर जाकर लोगों को भाजपा से जोड़ने में कामयाबी हासिल की है.

उन्होंने कहा है कि हम बहुत बड़े अंतर से जीतेंगे. हाल ही में 8 विधानसभा सीटों के उपचुनावों में भी हमारे सामने कोई सक्षम पार्टी नहीं थी जो भाजपा का मुकाबला कर सके. " जब उनसे AAP और AIMIM के प्रवेश के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 'भाजपा चुनाव प्रक्रिया में परिकल्पना कर रही है, जहां अन्य दल उससे चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन यह देखना होगा कि किसको कितने अंतर से हार मिलेगी.'

राज्य में चुनाव को लेकर काफी विवाद है. सभी पार्टियों द्वारा जीत के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन यह 23 फरवरी और 2 मार्च को पता चलेगा कि मतदाताओं ने किसे पसंद किया है. इस समय, भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण ने एक स्रोत के माध्यम से खुलासा किया कि भाजपा की जिला पंचायतों और तालुका पंचायतों में सीटें कम होने की संभावना है.

अहमदाबाद: भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, भाजपा आसानी से छह नगर निगमों पर जीत हासिल करेगी. इसके अलावा 81 में से कई नगर पालिकाओं में भाजपा समर्थक विजयी होंगे. हालांकि, भाजपा द्वारा किए गए एक आंतरिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात क्षेत्र में तालुका और जिला पंचायत स्तर पर कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है.

किसानों का मामला भाजपा के खिलाफ जा रहा

गुजरात में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण विकास कम हुआ है. वहीं ग्रामीण मतदाता जातिगत समीकरणों को अधिक महत्व देते हैं. यदि भाजपा जिला और तालुका स्तर पर उम्मीदवारों के चयन के लिए सावधानीपूर्वक जातीय समीकरण को प्राथमिकता देती है तो उसे चुनाव में आसानी रहेगी. हालांकि गुजरात के किसानों ने दिल्ली में होने वाले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में बड़ी संख्या में शामिल होने से परहेज किया है, फिर भी भाजपा चुनावों में ग्रामीण इलाकों में इसकी तपिश महसूस कर सकती है.

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छह निगमों और 81 नगर पालिकाओं में कोई समस्या नहीं

राजनीतिक विशेषज्ञ जयवंत पंड्या ने ईटीवी भारत से कहा कि भाजपा को शहरी और शहर क्षेत्र यानी छह निगमों और 81 नगर पालिकाओं में कोई समस्या नहीं होगी, लेकिन भाजपा के लिए 31 जिला पंचायतों और 231 तालुका पंचायतों में जीत हासिल करना मुश्किल होगा. ग्रामीण इलाकों में भाजपा पहले से ही कमजोर है, तो नए दलों के आने से भाजपा पर नहीं बल्कि कांग्रेस पर हमला होगा, लेकिन भाजपा का संगठन अभी गांवों में उतना मजबूत नहीं है, जितना कि होना चाहिए. आप और ओवैसी की AIMIM पार्टी के आने से महानगरों में कांग्रेस की सीटों में कमी आने की संभावना है.

घर-घर जाकर लोगों को भाजपा से जोड़ने में कामयाबी हासिल की

ईटीवी भारत के साथ फोन पर हुई बातचीत में, भाजपा के मीडिया संयोजक यज्ञेश दवे ने दावा किया कि भाजपा इस नागरिक चुनाव में भारी बहुमत से जीतेगी. 'बीजेपी इस बार रिकॉर्ड अंतर से नगर निगम और तालुका के साथ-साथ जिला पंचायत चुनाव भी जीतेगी. हमने मिशन पेज कमेटी के माध्यम से अपने पार्टी अध्यक्ष पाटिल साहब के मार्गदर्शन में घर-घर जाकर लोगों को भाजपा से जोड़ने में कामयाबी हासिल की है.

उन्होंने कहा है कि हम बहुत बड़े अंतर से जीतेंगे. हाल ही में 8 विधानसभा सीटों के उपचुनावों में भी हमारे सामने कोई सक्षम पार्टी नहीं थी जो भाजपा का मुकाबला कर सके. " जब उनसे AAP और AIMIM के प्रवेश के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 'भाजपा चुनाव प्रक्रिया में परिकल्पना कर रही है, जहां अन्य दल उससे चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन यह देखना होगा कि किसको कितने अंतर से हार मिलेगी.'

राज्य में चुनाव को लेकर काफी विवाद है. सभी पार्टियों द्वारा जीत के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन यह 23 फरवरी और 2 मार्च को पता चलेगा कि मतदाताओं ने किसे पसंद किया है. इस समय, भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण ने एक स्रोत के माध्यम से खुलासा किया कि भाजपा की जिला पंचायतों और तालुका पंचायतों में सीटें कम होने की संभावना है.

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