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महाराष्ट्र: स्वास्थ्य व्यवस्था पस्त, फोन के फ्लैश लाइट की रोशनी में हुआ मंत्री संदीपन भुमरे का इलाज - संदीपन भुमरे ने मोबाइल की रोशनी में लिया इलाज

महाराष्ट्र (Maharashtra) में शिंदे गुट के विधायक और कैबिनेट मंत्री संदीपन भुमरे (Cabinet Minister Sandipan Bhumre) को एक विचित्र घटना का सामना करना पड़ा. घाटी अस्पताल पहुंचे मंत्री जी को बिना लाइट के मोबाइल फोन की फ्लैश लाइट की मदद से अपने दांतों का इलाज कराना पड़ा.

मंत्री संदीपन भुमरे
मंत्री संदीपन भुमरे
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Published : Oct 17, 2022, 4:25 PM IST

औरंगाबाद (महाराष्ट्र): गरीबों का इलाज करने वाले घाटी अस्पताल में सुविधाओं की कमी अक्सर सामने आती रही है. लेकिन अब जब इसकी मार खुद एक कैबिनेट मंत्री को झेलनी पड़ी तो यह मामला ज्यादा बड़ा हो गया. बताया जा रहा है कि जब मंत्री जी के दांतों का इलाज चल रहा था, तभी अचानक लाइट चली गई, जिसके बाद डॉक्टरों ने मोबाइल फोन का फ्लैश जलाकर मंत्री जी के दांतों का इलाज किया. ये मंत्री शिंदे गुट के विधायक और कैबिनेट मंत्री संदीपन भुमरे थे.

जानकारी के अनुसार मंत्री संदीपन भुमरे घाटी अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे थे. उस समय डॉक्टर ने दांतों की जांच करने की सलाह दी थी. उन्होंने मंत्री जी के दांतों की जांच की और एक्स-रे लिया. डॉक्टर ने यह कहकर इलाज शुरू किया कि रूट कैनाल करना होगा. जब रूट कैनाल चल रहा था, तभी अचानक बिजली चली गई.

मंत्री संदीपन भुमरे
मंत्री संदीपन भुमरे

इलाज कर रहे डॉक्टरों और कर्मचारियों को पता नहीं था कि कैसे काम करना है. उस समय मोबाइल के फ्लैश की रोशनी में मंत्री जी के दांतों का ट्रीटमेंट किया गया. इलाज पूरा होने के बाद कैबिनेट मंत्री संदीपन भुमरे ने डॉक्टरों से जनरेटर के बारे में पूछा. डॉक्टरों ने बताया कि जनरेटर के लिए पिछले कुछ वर्षों से लगातार मांग की जा रही है, लेकिन अस्पताल और डॉक्टरों की मांग को अभी तक पूरा नहीं किया गया है.

वहीं दूसरी ओर संदीपन भुमरे का इलाज चल रहा है, इस बात की जानकारी बिजली वितरण कंपनी को भी दी गई थी. बिजली विभाग को यह भी निर्देश दिए गए थे कि किसी भी प्रकार बिजली नहीं कटनी चाहिए, इसके बाद भी यह इलाज के दौरान बिजली कट गई. डॉक्टर ने कहा कि यह परेशानी आम है. घाटी अस्पताल में गरीबों का इलाज करने वाली सेवा सुविधाओं का लगातार अभाव रहता है. कई बार गुहार लगाने के बाद भी सरकार सुविधा नहीं देती है.

पढ़ें: गांगुली को आईसीसी चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए : ममता बनर्जी

पिछले पांच-छह साल से जनरेटर की मांग की जा रही है, लेकिन उनके प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली. राज्य के मंत्री संदीपन भुमरे ने इस मामले की तीखी आलोचना करते हुए, पिछले पांच साल की मांग को तत्काल मंजूर कर लिया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नेताओं और मंत्रियों की परेशानी के बाद ही मांगों को मंजूरी दी जाएगी.

औरंगाबाद (महाराष्ट्र): गरीबों का इलाज करने वाले घाटी अस्पताल में सुविधाओं की कमी अक्सर सामने आती रही है. लेकिन अब जब इसकी मार खुद एक कैबिनेट मंत्री को झेलनी पड़ी तो यह मामला ज्यादा बड़ा हो गया. बताया जा रहा है कि जब मंत्री जी के दांतों का इलाज चल रहा था, तभी अचानक लाइट चली गई, जिसके बाद डॉक्टरों ने मोबाइल फोन का फ्लैश जलाकर मंत्री जी के दांतों का इलाज किया. ये मंत्री शिंदे गुट के विधायक और कैबिनेट मंत्री संदीपन भुमरे थे.

जानकारी के अनुसार मंत्री संदीपन भुमरे घाटी अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे थे. उस समय डॉक्टर ने दांतों की जांच करने की सलाह दी थी. उन्होंने मंत्री जी के दांतों की जांच की और एक्स-रे लिया. डॉक्टर ने यह कहकर इलाज शुरू किया कि रूट कैनाल करना होगा. जब रूट कैनाल चल रहा था, तभी अचानक बिजली चली गई.

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मंत्री संदीपन भुमरे

इलाज कर रहे डॉक्टरों और कर्मचारियों को पता नहीं था कि कैसे काम करना है. उस समय मोबाइल के फ्लैश की रोशनी में मंत्री जी के दांतों का ट्रीटमेंट किया गया. इलाज पूरा होने के बाद कैबिनेट मंत्री संदीपन भुमरे ने डॉक्टरों से जनरेटर के बारे में पूछा. डॉक्टरों ने बताया कि जनरेटर के लिए पिछले कुछ वर्षों से लगातार मांग की जा रही है, लेकिन अस्पताल और डॉक्टरों की मांग को अभी तक पूरा नहीं किया गया है.

वहीं दूसरी ओर संदीपन भुमरे का इलाज चल रहा है, इस बात की जानकारी बिजली वितरण कंपनी को भी दी गई थी. बिजली विभाग को यह भी निर्देश दिए गए थे कि किसी भी प्रकार बिजली नहीं कटनी चाहिए, इसके बाद भी यह इलाज के दौरान बिजली कट गई. डॉक्टर ने कहा कि यह परेशानी आम है. घाटी अस्पताल में गरीबों का इलाज करने वाली सेवा सुविधाओं का लगातार अभाव रहता है. कई बार गुहार लगाने के बाद भी सरकार सुविधा नहीं देती है.

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पिछले पांच-छह साल से जनरेटर की मांग की जा रही है, लेकिन उनके प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली. राज्य के मंत्री संदीपन भुमरे ने इस मामले की तीखी आलोचना करते हुए, पिछले पांच साल की मांग को तत्काल मंजूर कर लिया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नेताओं और मंत्रियों की परेशानी के बाद ही मांगों को मंजूरी दी जाएगी.

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