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वरिष्ठ अधिवक्ताओं के समूह ने सुप्रीम कोर्ट में भौतिक सुनवाई का विरोध किया

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमना ने बुधवार को कहा कि वह वकीलों के एक समूह के अनुरोध पर अन्य न्यायाधीशों के साथ चर्चा करेंगे कि उच्चतम न्यायालय में केवल बुधवार और बृहस्पतिवार को भौतिक तरीके से मामलों की प्रस्तावित सुनवाई दिवाली की छुट्टी तक स्थगित कर दी जाए.

सुप्रीम कोर्ट में भौतिक सुनवाई का विरोध किया
सुप्रीम कोर्ट में भौतिक सुनवाई का विरोध किया
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Published : Oct 21, 2021, 4:52 AM IST

नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमना ने बुधवार को कहा कि वह वकीलों के एक समूह के अनुरोध पर अन्य न्यायाधीशों के साथ चर्चा करेंगे कि उच्चतम न्यायालय में केवल बुधवार और गुरुवार को भौतिक तरीके से मामलों की प्रस्तावित सुनवाई दिवाली की छुट्टी तक स्थगित कर दी जाए. वहीं न्यायालय ने बुधवार को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पत्रकारों को अदालत कक्ष में भौतिक तरीके से होने वाली कार्रवाई को देखने की अनुमति देने का भी फैसला किया.

कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, एएम सिंघवी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित वरिष्ठ वकीलों के एक समूह ने पीठ के समक्ष इस मुद्दे का उल्लेख किया और कहा कि संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में बुधवार और बृहस्पतिवार को अनिवार्य भौतिक सुनवाई होने से बहुत सारी कठिनाइयां पैदा होंगी, इसलिए ‘हाइब्रिड मोड’, जिसमें भौतिक और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग दोनों विकल्प हैं, की अनुमति दी जाए. पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और हिमा कोहली भी शामिल थे.

सिब्बल ने कहा कि कुछ मामलों में बड़े पैमाने पर रिकॉर्ड होते हैं और उनके लिए कई सहायक वकील की उपस्थिति की आवश्यकता होती है और भौतिक सुनवाई में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना मुश्किल होगा. सिब्बल ने कहा कि वह मामलों की भौतिक सुनवाई के विरोध में नहीं थे.

सभी कार्य दिवसों में सुनवाई के हाइब्रिड मोड के विकल्प की मांग करते हुए, वरिष्ठ वकील ने इस मुद्दे पर न्यायाधीशों के समूह से मिलने की अनुमति मांगी.

सिब्बल ने कहा, 'जबकि हम बार के सभी वर्गों की भावनाओं का सम्मान करते हैं, हम यह बताना चाहते हैं कि कोई कठोर नियम नहीं होना चाहिए. कृपया हमें आने दें और कठिनाइयों के बारे में बताने का मौका दें.'

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कुछ बार निकायों द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद भौतिक सुनवाई फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा, 'आप जानते हैं कि हमने यह निर्णय क्यों लिया. बार एसोसिएशन कह रहे हैं कि हम सुनवाई नहीं कर रहे हैं और भौतिक अदालतें खोल रहे हैं. इसलिए मैंने अपने सहयोगियों से पूछा. भले ही मेरे कुछ सहयोगियों को आपत्ति थी, हम आगे बढ़े. अब दो दिनों के लिए भौतिक सुनवाई में क्या समस्या है.'

सिब्बल ने कहा कि कई अदालतें हाइब्रिड माध्यम से सुनवाई कर रही हैं. उन्होंने न्यायालय से कहा कि हमें आकर अपनी समस्याओं से अवगत कराने का मौका दें और फिलहाल के लिये इसे दिवाली तक टाल दें.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पांच न्यायाधीशों की एक समिति इस मुद्दे को देख रही हैं और वह अन्य न्यायाधीशों के साथ इस पर विचार करेंगे.

यह भी पढ़ें- SC ने आम्रपाली समूह के पूर्व निदेशक की जमानत याचिका खारिज की

न्यायालय ने इसके साथ ही एक आदेश में पत्रकारों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अदालत कक्षों में होने वाली भौतिक सुनवाई देखने की इजाजत दे दी.

संशोधित एसओपी ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने कहा कि 20 अक्टूबर से बुधवार व बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध सभी मामलों पर अदालतकक्षों में वकीलों और वादियों की भौतिक मौजूदगी में सुनवाई होगी.

शीर्ष अदालत की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, 'यह फैसला किया गया है कि भारत की शीर्ष अदालत में कल (बृहस्पतिवार, 21 अक्टूबर 2021) से भौतिक सुनवाई के साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अदालत कक्षों में मीडियाकर्मियों को जाने की इजाजत दी जाएगी.'

(पीटीआई भाषा)

नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमना ने बुधवार को कहा कि वह वकीलों के एक समूह के अनुरोध पर अन्य न्यायाधीशों के साथ चर्चा करेंगे कि उच्चतम न्यायालय में केवल बुधवार और गुरुवार को भौतिक तरीके से मामलों की प्रस्तावित सुनवाई दिवाली की छुट्टी तक स्थगित कर दी जाए. वहीं न्यायालय ने बुधवार को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पत्रकारों को अदालत कक्ष में भौतिक तरीके से होने वाली कार्रवाई को देखने की अनुमति देने का भी फैसला किया.

कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, एएम सिंघवी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित वरिष्ठ वकीलों के एक समूह ने पीठ के समक्ष इस मुद्दे का उल्लेख किया और कहा कि संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में बुधवार और बृहस्पतिवार को अनिवार्य भौतिक सुनवाई होने से बहुत सारी कठिनाइयां पैदा होंगी, इसलिए ‘हाइब्रिड मोड’, जिसमें भौतिक और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग दोनों विकल्प हैं, की अनुमति दी जाए. पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और हिमा कोहली भी शामिल थे.

सिब्बल ने कहा कि कुछ मामलों में बड़े पैमाने पर रिकॉर्ड होते हैं और उनके लिए कई सहायक वकील की उपस्थिति की आवश्यकता होती है और भौतिक सुनवाई में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना मुश्किल होगा. सिब्बल ने कहा कि वह मामलों की भौतिक सुनवाई के विरोध में नहीं थे.

सभी कार्य दिवसों में सुनवाई के हाइब्रिड मोड के विकल्प की मांग करते हुए, वरिष्ठ वकील ने इस मुद्दे पर न्यायाधीशों के समूह से मिलने की अनुमति मांगी.

सिब्बल ने कहा, 'जबकि हम बार के सभी वर्गों की भावनाओं का सम्मान करते हैं, हम यह बताना चाहते हैं कि कोई कठोर नियम नहीं होना चाहिए. कृपया हमें आने दें और कठिनाइयों के बारे में बताने का मौका दें.'

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कुछ बार निकायों द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद भौतिक सुनवाई फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा, 'आप जानते हैं कि हमने यह निर्णय क्यों लिया. बार एसोसिएशन कह रहे हैं कि हम सुनवाई नहीं कर रहे हैं और भौतिक अदालतें खोल रहे हैं. इसलिए मैंने अपने सहयोगियों से पूछा. भले ही मेरे कुछ सहयोगियों को आपत्ति थी, हम आगे बढ़े. अब दो दिनों के लिए भौतिक सुनवाई में क्या समस्या है.'

सिब्बल ने कहा कि कई अदालतें हाइब्रिड माध्यम से सुनवाई कर रही हैं. उन्होंने न्यायालय से कहा कि हमें आकर अपनी समस्याओं से अवगत कराने का मौका दें और फिलहाल के लिये इसे दिवाली तक टाल दें.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पांच न्यायाधीशों की एक समिति इस मुद्दे को देख रही हैं और वह अन्य न्यायाधीशों के साथ इस पर विचार करेंगे.

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न्यायालय ने इसके साथ ही एक आदेश में पत्रकारों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अदालत कक्षों में होने वाली भौतिक सुनवाई देखने की इजाजत दे दी.

संशोधित एसओपी ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने कहा कि 20 अक्टूबर से बुधवार व बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध सभी मामलों पर अदालतकक्षों में वकीलों और वादियों की भौतिक मौजूदगी में सुनवाई होगी.

शीर्ष अदालत की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, 'यह फैसला किया गया है कि भारत की शीर्ष अदालत में कल (बृहस्पतिवार, 21 अक्टूबर 2021) से भौतिक सुनवाई के साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अदालत कक्षों में मीडियाकर्मियों को जाने की इजाजत दी जाएगी.'

(पीटीआई भाषा)

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