बस्तर/ दंतेवाड़ा/ रायपुर: बस्तर में नक्सलवाद छत्तीसगढ़ के विकास में एक बड़ी बाधा है. यहां नक्सल मोर्चे पर मानवीय जीवन की बेतहाशा क्षति हो रही है. नक्सलवाद की वजह से बस्तर के विकास को काफी धक्का लग रहा है. बीते चार साल की बात की जाए तो बस्तर में एक हजार से ज्यादा नक्सली घटनाएं हुई है. जिसमें 111 जवान शहीद हुए हैं.
दंतेवाड़ा नक्सली हमले से हुआ बड़ा नुकसान: 26 अप्रैल की तारीख देश में काले दिन के रूप में जानी जाएगी. इस दिन देश के 11 लाल की जान लाल आतंक ने ले ली. बताया जा रहा है कि सर्चिंग टीम को मदद पहुंचाने गई टीम जब लौट रही थी. तब यह हमला हुआ. नक्सलियों ने आईडी ब्लास्ट में बस को उड़ा दिया. जिसमें 10 डीआरजी जवान शहीद हो गए और एक ड्राइवर की मौत हो गई.
2021 में भी नक्सलियों ने किया था बड़ा हमला: इससे पहले 2021 में बीजापुर जिले में नक्सलियों ने बड़ा हमला किया था. जिसमें 22 जवान शहीद हो गए थे. उसके बाद एक बार फिर नक्सलियों ने अपनी कायराना करतूत को अंजाम दिया. बस्तर में इस तरह की बहुत सी घटनाएं घटित हो चुकी है. जिसमें जवानों के अलावा आम नागरिकों को भी जान से हाथ धोना पड़ा है. आइए जानने की कोशिश करते हैं, आखिर बस्तर में पिछले 4 साल में कितने नक्सली हमले हुए और कितने जवान शहीद हुए हैं.
लाल आतंक का जारी है रक्त चरित्र: छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों का खूनी खेल जारी है. बस्तर संभाग में 7 जिले आते हैं. इनमें कई ऐसे जिलें हैं, जहां अब भी नक्सलियों का खौफ देखा जा सकता है. बस्तर संभाग में पिछले 4 साल में 1135 नक्सल घटनाएं घटी है. इसमें जवानों पर नक्सलियों ने 355 दफे हमला किया है. इसमें 111 जवान शहीद हो गए हैं. यह आंकड़ा वर्ष 2019 से लेकर 2022 तक का है. इसमें सर्वाधिक 46 जवान वर्ष 2021 में शहीद हुए हैं, जबकि वर्ष 2022 में सबसे कम 8 जवान शहीद हुए हैं. वर्ष 2021 के बाद अब बुधवार 2023 को 10 जवान शहीद हुए हैं.
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चार साल में 155 लोगों की हत्या: नक्सलियों के निशाने में केवल पुलिस जवान ही नहीं बल्कि आम लोग भी हैं. कभी किसी भी शख्स को पुलिस मुखबिर बताकर मार दिया जाता है. तो कोई जवानों के लिए लगाए गए आईईडी की चपेट में आ जाता है. इस तरह से देखा जाए तो पिछले चार वर्षों में यानी 2019 से लेकर 2022 तक कुल 155 आम नागरिक नक्सलियों के बलि चढ़े हैं. बस्तर के तीन जिले ऐसे हैं. जहां अब भी नक्सलियों की तूती बोलती है. जिसमें सुकमा, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर शामिल हैं.
चार साल में 1583 नक्सलियों ने किया सरेंडर: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में नक्सल गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है.इसमें लोन वर्राटू अभियान प्रमुख है. जिसमें आत्मसमर्पित नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश की जाती है. इन्हें डीआरजी में भी जगह दी जाती है और यही नक्सलियों के खिलाफ जंगलों की छान मारते हैं. नक्सल ऑपरेशन डीआईजी पी सुंदरराज ने बताया कि "पिछले चार साल में 1583 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. वे अब समाज की मुख्य धारा से जुड़कर अपना बेहतर जीवन बिता रहे हैं. उन्होंने कहा कि साल 2021 में सबसे ज्यादा 551 नक्सलियों ने सरेंडर किया था.