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GP CAP Varun Singh: जांबाज जवान के लिए देश भर में दुआओं का दौर, ऐसे हैं वरुण सिंह - Wing Commander Prithvi Singh Chauhan

सही मायनों में कहा जाए तो यह ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह (Group Captain Varun Singh) के लिए यह एक ऐसा मिशन रहा, जहां वे विफल हो गए. सुलूर IAF एयर बेस से जनरल बिपिन रावत को वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (Defense Services Staff College) में सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी थी लेकिन दुर्योग ऐसा बना कि यह हो न सका. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह
Gp Cap Varun Singh
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Published : Dec 10, 2021, 6:56 PM IST

नई दिल्ली : यह बात कई लोगों के जेहन में चल रही होगी कि शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह (Group Captain Varun Singh) एमआई 17-वी5 हेलिकॉप्टर में क्यों थे? क्योंकि हेलीकॉप्टर को विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान (Wing Commander Prithvi Singh Chauhan) और स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह (Squadron Leader Kuldeep Singh) उड़ा रहे थे.

बीते बुधवार को सीडीएस बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) और उनके दल को ले जा रहा हेलीकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर के पास नीलगिरी की पहाड़ियों पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें सवार कुल 14 लोगों में 13 लोगों की मृत्यु हो गई लेकिन वरुण सिंह जीवित बचे हैं, जिनका इलाज चल रहा है.

प्रतिष्ठित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज में संपर्क अधिकारी के रूप में तैनात वरुण सिंह को अन्य कर्तव्यों के साथ वीआईपी के स्वागत और निरीक्षण की तैनाती भी दी गई थी. इसी उद्देश्य के लिए वे सुलूर में जनरल रावत के साथ हेलीकॉप्टर में सवार हुए. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.

जगुआर और तेजस जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ाने का पायलट परीक्षण भारतीय वायुसेना में सबसे अच्छा होता है. वरुण सिंह आपातकालीन और संकटपूर्ण स्थितियों में पहले भी बेहतर काम कर चुके हैं. 12 अक्टूबर 2020 को कैप्टन सिंह, तब एक विंग कमांडर और तेजस एलसीए उड़ा रहे थे. तब अचानक ऊंचाई पर कॉकपिट दबाव विफल हो गया था, जिस स्थिति को उन्होंने बेहतर तरीके से संभाला था.

उस वक्त विंग कमांडर सिंह ने हिम्मत नहीं हारी और अनुकरणीय संयम बनाए रखते हुए विमान पर नियंत्रण हासिल कर लिया था. जिससे उन्होंने अपनी असाधारण उड़ान कौशल का प्रदर्शन किया था. वे उस समय लड़खड़ाते विमान को छोड़कर अपनी जान बचाने की कोशिश कर सकते थे लेकिन उन्होंने लड़ाकू विमानों को सुरक्षित उतारने के लिए असाधारण साहस और कौशल का प्रदर्शन किया.

इस असाधारण वीरता के कार्य के लिए ही विंग कमांडर वरुण सिंह को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया और ग्रुप कैप्टन के रूप में पदोन्नत किया गया था. उस वक्त उन्होंने न केवल एलसीए विमान के नुकसान को टाला बल्कि नागरिक संपत्ति और जमीन पर रहने वाली आबादी की भी रक्षा की.

यह भी पढ़ें- CDS बिपिन रावत और उनकी पत्नी पंचतत्व में विलीन, बेटियों ने दी मुखाग्नि

इस वक्त जब राष्ट्र जनरल रावत और अन्य जवानों को श्रद्धांजलि और शोकपूर्ण विदाई दे रहा है तो ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के स्वस्थ होने की भी प्रार्थनाएं की जा रही है. हालांकि उनकी हालत अभी भी गंभीर लेकिन स्थिर बताई जा रही है.

नई दिल्ली : यह बात कई लोगों के जेहन में चल रही होगी कि शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह (Group Captain Varun Singh) एमआई 17-वी5 हेलिकॉप्टर में क्यों थे? क्योंकि हेलीकॉप्टर को विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान (Wing Commander Prithvi Singh Chauhan) और स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह (Squadron Leader Kuldeep Singh) उड़ा रहे थे.

बीते बुधवार को सीडीएस बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) और उनके दल को ले जा रहा हेलीकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर के पास नीलगिरी की पहाड़ियों पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें सवार कुल 14 लोगों में 13 लोगों की मृत्यु हो गई लेकिन वरुण सिंह जीवित बचे हैं, जिनका इलाज चल रहा है.

प्रतिष्ठित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज में संपर्क अधिकारी के रूप में तैनात वरुण सिंह को अन्य कर्तव्यों के साथ वीआईपी के स्वागत और निरीक्षण की तैनाती भी दी गई थी. इसी उद्देश्य के लिए वे सुलूर में जनरल रावत के साथ हेलीकॉप्टर में सवार हुए. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.

जगुआर और तेजस जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ाने का पायलट परीक्षण भारतीय वायुसेना में सबसे अच्छा होता है. वरुण सिंह आपातकालीन और संकटपूर्ण स्थितियों में पहले भी बेहतर काम कर चुके हैं. 12 अक्टूबर 2020 को कैप्टन सिंह, तब एक विंग कमांडर और तेजस एलसीए उड़ा रहे थे. तब अचानक ऊंचाई पर कॉकपिट दबाव विफल हो गया था, जिस स्थिति को उन्होंने बेहतर तरीके से संभाला था.

उस वक्त विंग कमांडर सिंह ने हिम्मत नहीं हारी और अनुकरणीय संयम बनाए रखते हुए विमान पर नियंत्रण हासिल कर लिया था. जिससे उन्होंने अपनी असाधारण उड़ान कौशल का प्रदर्शन किया था. वे उस समय लड़खड़ाते विमान को छोड़कर अपनी जान बचाने की कोशिश कर सकते थे लेकिन उन्होंने लड़ाकू विमानों को सुरक्षित उतारने के लिए असाधारण साहस और कौशल का प्रदर्शन किया.

इस असाधारण वीरता के कार्य के लिए ही विंग कमांडर वरुण सिंह को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया और ग्रुप कैप्टन के रूप में पदोन्नत किया गया था. उस वक्त उन्होंने न केवल एलसीए विमान के नुकसान को टाला बल्कि नागरिक संपत्ति और जमीन पर रहने वाली आबादी की भी रक्षा की.

यह भी पढ़ें- CDS बिपिन रावत और उनकी पत्नी पंचतत्व में विलीन, बेटियों ने दी मुखाग्नि

इस वक्त जब राष्ट्र जनरल रावत और अन्य जवानों को श्रद्धांजलि और शोकपूर्ण विदाई दे रहा है तो ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के स्वस्थ होने की भी प्रार्थनाएं की जा रही है. हालांकि उनकी हालत अभी भी गंभीर लेकिन स्थिर बताई जा रही है.

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