नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश सरकार (Government of Andhra Pradesh) से कहा कि 'अगर किसी की मौत होती है तो हम राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराएंगे.' न्यायालय को राज्य सरकार द्वारा 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं कराने के निर्णय के बारे में सूचित करने के बाद उसने यह टिप्पणी की.
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर (Justice A. M. Khanwilkar) और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी (Justice Dinesh Maheshwari) की पीठ को सूचित किया गया कि आंध्र प्रदेश और केरल दो ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने अभी तक 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित कराने का निर्णय किया है.
पीठ ने आंध्र प्रदेश के वकील से कहा, 'आपको 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित कराने के लिए अच्छे कारण बताने होंगे. अगर किसी की मौत होती है तो हम राज्य को जिम्मेदार ठहराएंगे.' राज्य की तरफ से पेश हुए वकील महफूज नाज्की ने कहा कि सरकार ने अभी तक परीक्षाएं आयोजित कराने का निर्णय किया है लेकिन अंतिम निर्णय जुलाई के पहले हफ्ते में किया जाएगा.
पीठ ने जानना चाहा कि अंतिम निर्णय को जुलाई के पहले हफ्ते तक टालकर राज्य छात्रों के बीच अनिश्चितता क्यों पैदा कर रहे हैं. पीठ ने नाज्की से कहा, 'आप बुधवार तक निर्णय कीजिए और हम बृहस्पतिवार को मामले पर सुनवाई करेंगे.'
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शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कोविड-19 महामारी को देखते हुए राज्य सरकारों को बोर्ड परीक्षाएं आयोजित नहीं करने का निर्देश देने की मांग की गई है. केरल सरकार की तरफ से पेश हुए वकील जी. प्रकाश ने कहा कि उन्होंने हलफनामा दायर कर परीक्षा आयोजित कराने के राज्य सरकार के निर्णय के बारे में बताया है.
पीठ ने कहा कि वह बृहस्पतिवार को केरल सरकार के हलफनामे पर विचार करेगा और राज्य के एक छात्र संगठन को कहा कि प्रदेश सरकार के जवाब पर जवाबी हलफनामा दायर करे.
असम और त्रिपुरा की सरकारों ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि महामारी के कारण उन्होंने 12वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षाएं रद्द कर दी हैं. कर्नाटक सरकार के वकील ने भी कहा था कि 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं, लेकिन दसवीं की परीक्षा के बारे में अंतिम निर्णय नहीं किया गया है.
उच्चतम न्यायालय को 17 जून को सूचित किया गया था कि 28 राज्यों में से छह ने बोर्ड की परीक्षाएं पहले ही करा ली हैं, 18 राज्यों ने उन्हें रद्द कर दिया है लेकिन चार राज्यों (असम, पंजाब, त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश) ने अभी तक उन्हें रद्द नहीं किया है.
(पीटीआई-भाषा)