नई दिल्ली : केंद्र सरकार की ओर से तीनों सेनाओं में भर्ती प्रक्रिया में बदलाव लाने के साथ अग्निपथ योजना को लॉन्च कर दिया, जिसे लेकर देश भर में विरोध हो रहा है. बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश से लेकर तेलंगाना तक बड़ी संख्या में युवाओं ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया. विपक्षी दलों ने जहां इस योजना को निरस्त करने की मांग की है. वहीं, इस योजना को लेकर भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठानों के विशेषज्ञों ने भी अपनी राय देते हुए कहा कि सरकार को अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीरों के भविष्य को लेकर और विचार करना चाहिए.
बीएसएफ के सेवानिवृत्त महानिदेशक और आईपीएस अधिकारी प्रकाश सिंह ने ईटीवी भारत से कहा, 'सरकार को चार साल के लंबे पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद अग्निवीरों के लिए भविष्य के कार्यक्रमों के बारे में बेहतर तरीके से बात करनी चाहिए थी, क्योंकि इस योजना को लेकर लोगों के मन में रहीं संशयों को सरकार के लिए साफ करना जरूरी है.
चार साल का कोर्स पूरा करने के बाद केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में अग्निवीरों को वरीयता देने के गृह मंत्रालय के आश्वासन के बारे में पूछे जाने पर, सिंह ने स्पष्ट किया कि सरकार ने पुष्टि नहीं की है कि ये सुविधा सभी अग्निवीरों के लिए होगा. उन्होंने कहा कि वरीयता देने का मतलब यह नहीं है कि आपको भर्ती किया जाएगा, न ही यह किसी भी तरह का आरक्षण है. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में भर्ती के दौरान भी उनके फिटनेस की जांच की जाएगी. बेशक, सरकार के लिए यह एक अतिरिक्त लाभ होगा, क्योंकि युवा पहले से ही अग्निपथ से प्रशिक्षित किये जाएंगे.
सिंह ने आगे स्पष्ट किया कि अग्निपथ को पूरा करने वाले युवाओं को किसी भी अनिश्चितता का सामना करने की संभावना नहीं है, क्योंकि उन्हें किसी भी क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता के अनुसार शामिल कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा, 'कई राज्य सरकारों ने यह भी आश्वासन दिया है कि वे अपने राज्य पुलिस बलों में अग्निवीरों की भर्ती करेंगे.' वास्तव में, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और असम सहित कई भाजपा शासित राज्यों ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे अपने पुलिस बलों में युवाओं की भर्ती करेंगे. सिंह ने कहा कि अग्निवीरों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में नामांकित होने के लिए आवश्यक सभी योग्यताओं को पूरा करने की जरूरत है. चूंकि, रक्षा मंत्रालय के पास सीमित और निश्चित बजट है, इसलिए सरकार के लिए वित्तीय संकट से निपटने के लिए अग्निपथ एक विकल्प हो सकता है.
सिंह ने कहा, 'रक्षा बजट का आधा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में चला जाता है, जो रक्षा क्षेत्र की आधुनिकीकरण प्रक्रिया में बाधा डालता है. मेरा मानना है कि अग्निपथ वित्तीय संकट को दूर करने की रणनीति हो सकती है.' इसी विचार के साथ संवैधानिक विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एसपी सिंह ने अपनी राय दी कि सरकार को अग्निपथ योजना के तहत युवाओं के लाभ और भविष्य की संभावनाओं के बारे में बात करने वाले लोगों तक पहुंचना चाहिए. हालांकि, इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया गया है. कई संगठन और पार्टियां ऐसी स्थिति से लाभ लेने की कोशिश कर रही हैं.'
उन्होंने कहा कि यह लगभग एनसीसी जैसे शॉर्ट टर्म कोर्स की तरह है, जहां युवाओं को उनके भविष्य के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. सिंह ने कहा, 'सरकार के बयान के अनुसार, लगभग 25 प्रतिशत युवा जो अग्निपथ पाठ्यक्रम पूरा करेंगे, उन्हें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में वरीयता मिलेगी और शेष को अन्य क्षेत्रों में शामिल किया जाएगा. कौशल प्रमाण पत्र प्राप्त करने के अलावा, अग्निवीरों को उनके भविष्य के लिए एकमुश्त आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी. युवा अपने चार साल के लंबे कोर्स को पूरा करने के बाद निश्चित रूप से रोजगार पाने के लिए अपने कौशल का पता लगा सकते हैं.'
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