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कोरोना से 50 लाख लोगों की मौत वाली रिपोर्ट को सरकार ने किया खारिज - government rejected report of American organization regarding deaths from Corona

भारत में कोरोना से मौतों को लेकर अमेरिकी संस्था की रिपोर्ट को सरकार ने खारिज किया है. रिपोर्ट में भारत में कोरोना से करीब 50 लाख लोगों की मौत होने की बात कही गई थी. सरकार का कहना है कि रिपोर्ट मानती है कि सभी अतिरिक्त मृत्यु दर COVID मौतें हैं, जो तथ्यों पर आधारित नहीं है और पूरी तरह से भ्रामक है.

कोरोना से मौत वाली रिपोर्ट
कोरोना से मौत वाली रिपोर्ट
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Published : Jul 22, 2021, 7:19 PM IST

नई दिल्ली : भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या को लेकर एक अमेरिकी संस्था ने चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए थे. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोरोना से करीब 50 लाख लोगों की मौत होने की बात कही गई थी. सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज किया है.

सरकार ने गुरुवार को पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम सहित तीन विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसमें सुझाव दिया गया था कि भारत के कोविड की मृत्यु का आंकड़ा बहुत कम था.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गुरुवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों में किए गए कुछ हालिया अध्ययनों के निष्कर्षों के उपयोग पर सवाल उठाया. मंत्रालय ने कहा, 'मौतों' का एक्सट्रपलेशन एक दुस्साहसिक धारणा पर किया गया है कि किसी भी संक्रमित व्यक्ति के मरने की संभावना पूरे देशों में समान है. मंत्रालय का कहना है कि सीरो-पॉजिटिविटी के आधार पर भारत में अधिक मौतों की गणना करने के लिए आयु-विशिष्ट संक्रमण मृत्यु दर का उपयोग किया गया था.

सरकार ने दो अन्य डेटा स्रोतों, राज्यों द्वारा एकत्र किए गए नागरिक पंजीकरण (सीआरएस) डेटा और उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (सीपीएचएस) के आंकड़ों पर भी सवाल उठाया, जो एक निजी फर्म सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा सभी कारणों से अधिक से निपटने के लिए लिया गया था. मृत्यु दर और मृत्यु का विशिष्ट कारण नहीं.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि 'रिपोर्ट मानती है कि सभी अतिरिक्त मृत्यु दर COVID मौतें हैं, जो तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और पूरी तरह से भ्रामक है. सरकार ने कहा कि अतिरिक्त मृत्यु दर एक शब्द है जिसका उपयोग सभी कारणों से मृत्यु दर का वर्णन करने के लिए किया जाता है और इन मौतों के लिए COVID को जिम्मेदार ठहराया जाता है.

भारत की सबसे खराब मानव त्रासदी बताया था

दरअसल, तीन विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मौतों की वास्तविक संख्या के लाखों में होने का अनुमान है और यह विभाजन तथा आजादी के बाद से भारत की सबसे खराब मानव त्रासदी है. उनका अनुमान है कि जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच 34 से 49 लाख लोगों की मौत हुई है. जबकि भारत के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मृतकों की कुल संख्या बुधवार को 4.18 लाख थी.

रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोविड से मरने वालों की संख्या को लेकर आधिकारिक अनुमान नहीं है और इसके मद्देनजर शोधकर्ताओं ने महामारी की शुरुआत से इस साल जून तक तीन अलग-अलग स्रोतों से मृत्यु दर का अनुमान लगाया.

पहला अनुमान सात राज्यों में मौतों के राज्य स्तरीय पंजीकरण से लगाया गया जिससे 34 लाख अतिरिक्त मौतों का पता लगता है. इसके अलावा शोधकर्ताओं ने आयु-विशिष्ट संक्रमण मृत्यु दर (आईएफआर) के अंतरराष्ट्रीय अनुमानों का भी प्रयोग किया.

पढ़ें- क्या भारत में कोरोना से 47 लाख लोगों की मौत हो चुकी है ?

शोधकर्ताओं ने उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (सीपीएचएस) के आंकड़ों का भी विश्लेषण किया, जो सभी राज्यों में 800,000 से अधिक लोगों के बीच का सर्वेक्षण है. इससे 49 लाख अतिरिक्त मौतों का अनुमान है. शोधकर्ताओं ने कहा कि वे किसी एक अनुमान का समर्थन नहीं करते क्योंकि प्रत्येक तरीके में गुण और कमियां हैं.

भारत अब भी विनाशकारी दूसरी लहर से उबर रहा है जो मार्च में शुरू हुई थी और माना जाता है कि अधिक संक्रामक डेल्टा स्वरूप के कारण भारत में स्थिति खराब हुई. विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि जितना समझा जाता है, पहली लहर उससे कहीं ज्यादा घातक थी. इस साल मार्च के अंत तक, जब दूसरी लहर शुरू हुई, भारत में मरने वालों की आधिकारिक संख्या 1,50,000 से अधिक थी.

नई दिल्ली : भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या को लेकर एक अमेरिकी संस्था ने चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए थे. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोरोना से करीब 50 लाख लोगों की मौत होने की बात कही गई थी. सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज किया है.

सरकार ने गुरुवार को पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम सहित तीन विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसमें सुझाव दिया गया था कि भारत के कोविड की मृत्यु का आंकड़ा बहुत कम था.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गुरुवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों में किए गए कुछ हालिया अध्ययनों के निष्कर्षों के उपयोग पर सवाल उठाया. मंत्रालय ने कहा, 'मौतों' का एक्सट्रपलेशन एक दुस्साहसिक धारणा पर किया गया है कि किसी भी संक्रमित व्यक्ति के मरने की संभावना पूरे देशों में समान है. मंत्रालय का कहना है कि सीरो-पॉजिटिविटी के आधार पर भारत में अधिक मौतों की गणना करने के लिए आयु-विशिष्ट संक्रमण मृत्यु दर का उपयोग किया गया था.

सरकार ने दो अन्य डेटा स्रोतों, राज्यों द्वारा एकत्र किए गए नागरिक पंजीकरण (सीआरएस) डेटा और उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (सीपीएचएस) के आंकड़ों पर भी सवाल उठाया, जो एक निजी फर्म सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा सभी कारणों से अधिक से निपटने के लिए लिया गया था. मृत्यु दर और मृत्यु का विशिष्ट कारण नहीं.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि 'रिपोर्ट मानती है कि सभी अतिरिक्त मृत्यु दर COVID मौतें हैं, जो तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और पूरी तरह से भ्रामक है. सरकार ने कहा कि अतिरिक्त मृत्यु दर एक शब्द है जिसका उपयोग सभी कारणों से मृत्यु दर का वर्णन करने के लिए किया जाता है और इन मौतों के लिए COVID को जिम्मेदार ठहराया जाता है.

भारत की सबसे खराब मानव त्रासदी बताया था

दरअसल, तीन विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मौतों की वास्तविक संख्या के लाखों में होने का अनुमान है और यह विभाजन तथा आजादी के बाद से भारत की सबसे खराब मानव त्रासदी है. उनका अनुमान है कि जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच 34 से 49 लाख लोगों की मौत हुई है. जबकि भारत के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मृतकों की कुल संख्या बुधवार को 4.18 लाख थी.

रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोविड से मरने वालों की संख्या को लेकर आधिकारिक अनुमान नहीं है और इसके मद्देनजर शोधकर्ताओं ने महामारी की शुरुआत से इस साल जून तक तीन अलग-अलग स्रोतों से मृत्यु दर का अनुमान लगाया.

पहला अनुमान सात राज्यों में मौतों के राज्य स्तरीय पंजीकरण से लगाया गया जिससे 34 लाख अतिरिक्त मौतों का पता लगता है. इसके अलावा शोधकर्ताओं ने आयु-विशिष्ट संक्रमण मृत्यु दर (आईएफआर) के अंतरराष्ट्रीय अनुमानों का भी प्रयोग किया.

पढ़ें- क्या भारत में कोरोना से 47 लाख लोगों की मौत हो चुकी है ?

शोधकर्ताओं ने उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (सीपीएचएस) के आंकड़ों का भी विश्लेषण किया, जो सभी राज्यों में 800,000 से अधिक लोगों के बीच का सर्वेक्षण है. इससे 49 लाख अतिरिक्त मौतों का अनुमान है. शोधकर्ताओं ने कहा कि वे किसी एक अनुमान का समर्थन नहीं करते क्योंकि प्रत्येक तरीके में गुण और कमियां हैं.

भारत अब भी विनाशकारी दूसरी लहर से उबर रहा है जो मार्च में शुरू हुई थी और माना जाता है कि अधिक संक्रामक डेल्टा स्वरूप के कारण भारत में स्थिति खराब हुई. विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि जितना समझा जाता है, पहली लहर उससे कहीं ज्यादा घातक थी. इस साल मार्च के अंत तक, जब दूसरी लहर शुरू हुई, भारत में मरने वालों की आधिकारिक संख्या 1,50,000 से अधिक थी.

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