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Chhindwara Gotmar Mela: शुक्रवार को दो गांवों में होगा पत्थर युद्ध, किसी के प्यार में 300 सालों से खेला जा रहा है 'खूनी खेल'

छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा का विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेला शुक्रवार को आयोजित किया जाएगा, जिसको लेकर प्रशासन ने धारा 144 लगा दी है. गोटमार मेले का इतिहास 300 साल पुराना बताया जाता है. जाम नदी के दोनों ओर के लोगों के बीच खेले जाने वाले इस खूनी खेल के पीछे एक प्रेम कहानी जुड़ी हुई है. पढ़िए छिंदवाड़ा संवाददाता महेंद्र राय की स्पेशल रिपोर्ट...

love story of famous gotmar game
गोटमार मेले की लव स्टोरी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 14, 2023, 6:12 PM IST

Updated : Sep 14, 2023, 7:25 PM IST

15 सितंबर को पांढुर्णा में होगा गोटमार मेला

छिंदवाड़ा। पांढुर्ना में पिछले कई सालों से खूनी खेल गोटमार खेला जा रहा है. यह खेल पांढुर्ना और साबरगांव के लोगों के बीच खेला जाता रहा है. इस गोटमार खेल में दोनों गांव के लोग एक दूसरे पर पत्थरों की बरसात करते हैं. पिछले कई दशकों से ये खेल खेला जा रहा है. न जाने कितने लोग इसमें जान भी गंवा बैठे हैं लेकिन यह अंधविश्वासी खूनी खेल अब भी जारी है. बताया जाता है कि यह खूनी खेल एक लव स्टोरी से जुड़ा हुआ है जिसके बाद वर्षों से परंपरा के रूप में मनाया जाने लगा.

धारा 144 लागू, पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में खूनी खेल: पिछले कई वर्षों से सरकार और प्रशासन कोशिश कर रहा है के लोग इस परंपरा को बंद करें या फिर टेनिस की बॉल से यह खेल खेला जाए. 15 सितंबर को यह खूनी खेल पांढुर्ना में खेला जाएगा जिसके लिए इस वर्ष भी छिंदवाड़ा कलेक्टर और SP ने पांढुर्ना पहुंचकर बाकायदा गांव वासियों की शांति बनाए रखने बैठक ली और धारा 144 भी लगाई है, ताकि लोग पत्थरबाजी न करें. साथ ही सैकड़ों पुलिस कर्मी भी तैनात किए जा रहे हैं. हर वर्ष पांढुर्ना में धारा 144 लगाई जाती है, ताकि पत्थरों और धारधार हथियार के प्रयोग न हो. इसके लिए शांति समिति की बैठक बुलाई जाती है. बावजूद इसके दोनों गांव के लोग पत्थर जुटा ही लेते हैं और एक दूसरे को ज़ख्मी भी कर देते हैं.

Got maar mela wold haritage
गोटमार मेले को लेकर पुलिस प्रशासन ने की तैयारियां

लव स्टोरी से शुरू हुई कहानी: किवदंती है कि सालों पहले पांढुरना के लड़के ने साबरगांव की लड़की को अपने साथ प्रेम प्रसंग के चलते भगा कर ले गया था. दोनों जैसे ही जाम नदी में पहुंचे तो लड़की और लड़के के परिवार वालों ने उन पर पत्थरों से हमला कर दिया था. जिससे दोनों की बीच नदी में मौत हो गई थी. इस घटना के बाद से लोग प्रायश्चित स्वरूप एक दूसरे को पत्थर मारकर गोटमार मेला मनाते हैं. सालों पुरानी इस परंपरा में अब तक 14 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, फिर भी ये गोटमार पांढुरना में जारी है.

पलाश के पेड़ को लड़की मानते हैं सावरगांव के ग्रामीण: मेला कब से शुरू हुआ किसी को इस विषय में कुछ जानकारी नहीं है. पिछले कई सालों से मेले का आयोजन हो रहा है. जाम नदी में चंडी माता की पूजा के बाद सावरगांव पक्ष के लोग जाम नदी में पलाश के पेड़ को लगाकर उसमें झंडा बांधते हैं. इस पलाश के पेड़ को सावरगांव के लोग अपने गांव की बेटी मानते हैं उसी की याद में नदी के बीचों बीच पलाश के पेड़ को लगाया जाता है और फिर पांढुर्णा और सावरगांव के लोग परंपरा के नाम पर एक दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं. इस पत्थरबाजी के खेल में कई लोग घायल होते हैं. दोनों पक्षों में से कोई भी उस पलाश के पेड़ को उखाड़ कर अपने कब्जे में करता है. उसके बाद दोनों गांव के लोग मिलकर चंडी माता में उस पलाश के पेड़ को ले जाकर पूजा करते हैं.

वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करने की कवायद: कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि ''गोटमार मेला परंपरागत मेला है और इसे हर्ष व उल्लास के साथ प्रेम पूर्वक मनाया जाना चाहिये, किन्तु इस मेले के स्वरूप में आंशिक परिवर्तन के संबंध में भी विचार किया जाना चाहिये. बहुत से परंपरागत मेले जैसे इंदौर की गैर आदि वर्ल्ड हेरीटेज में शामिल हो चुकी है तथा इस मेले को भी वर्ल्ड हेरीटेज के अंतर्गत पर्यटकों के लिये आकर्षण योग्य बनाया जाना चाहिये. जिससे दर्शकों की संख्या बढ़ेगी और दर्शक इस मेले का अच्छी तरह से आनंद ले सकेंगे. इस काम में जिला प्रशासन हर संभव सहयोग करेगा.'' उन्होंने कहा कि ''जिला प्रशासन की ओर से घायलों के तत्काल इलाज की पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था करने के साथ ही आवागमन व अन्य व्यवस्थायें समुचित रूप से की जायेंगी.'' बैठक में पुलिस अधीक्षक विनायक वर्मा ने कहा कि ''परंपरागत गोटमार मेला के लिये पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था की जायेंगी. गोफन चलाने वालों पर ड्रोन कैमरे से नजर रखी जायेगी. गोटमार मेला में शामिल होने वाले खिलाड़ी प्रशासन द्वारा जारी की गई गाइडलाईन का पालन करें और इस मेले को सफल बनाने में प्रशासन को सहयोग प्रदान करें.''

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जिले में आखिरी बार मनाया जाएगा गोटमार मेला: दुनिया भर में अनोखे तरीके से मनाया जाने वाला गोटमार मेला छिंदवाड़ा जिले में इस साल आखरी बार मनाया जाएगा. दरअसल छिंदवाड़ा से अलग कर अब पांढुर्णा को जिला बनाए जाने की सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. कुछ दिनों में पांढुर्णा अब जिला बन जाएगा, इसलिए गोटमार मेला अगले साल से पांढुरना जिले की धरोहर कहलाएगा.

15 सितंबर को पांढुर्णा में होगा गोटमार मेला

छिंदवाड़ा। पांढुर्ना में पिछले कई सालों से खूनी खेल गोटमार खेला जा रहा है. यह खेल पांढुर्ना और साबरगांव के लोगों के बीच खेला जाता रहा है. इस गोटमार खेल में दोनों गांव के लोग एक दूसरे पर पत्थरों की बरसात करते हैं. पिछले कई दशकों से ये खेल खेला जा रहा है. न जाने कितने लोग इसमें जान भी गंवा बैठे हैं लेकिन यह अंधविश्वासी खूनी खेल अब भी जारी है. बताया जाता है कि यह खूनी खेल एक लव स्टोरी से जुड़ा हुआ है जिसके बाद वर्षों से परंपरा के रूप में मनाया जाने लगा.

धारा 144 लागू, पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में खूनी खेल: पिछले कई वर्षों से सरकार और प्रशासन कोशिश कर रहा है के लोग इस परंपरा को बंद करें या फिर टेनिस की बॉल से यह खेल खेला जाए. 15 सितंबर को यह खूनी खेल पांढुर्ना में खेला जाएगा जिसके लिए इस वर्ष भी छिंदवाड़ा कलेक्टर और SP ने पांढुर्ना पहुंचकर बाकायदा गांव वासियों की शांति बनाए रखने बैठक ली और धारा 144 भी लगाई है, ताकि लोग पत्थरबाजी न करें. साथ ही सैकड़ों पुलिस कर्मी भी तैनात किए जा रहे हैं. हर वर्ष पांढुर्ना में धारा 144 लगाई जाती है, ताकि पत्थरों और धारधार हथियार के प्रयोग न हो. इसके लिए शांति समिति की बैठक बुलाई जाती है. बावजूद इसके दोनों गांव के लोग पत्थर जुटा ही लेते हैं और एक दूसरे को ज़ख्मी भी कर देते हैं.

Got maar mela wold haritage
गोटमार मेले को लेकर पुलिस प्रशासन ने की तैयारियां

लव स्टोरी से शुरू हुई कहानी: किवदंती है कि सालों पहले पांढुरना के लड़के ने साबरगांव की लड़की को अपने साथ प्रेम प्रसंग के चलते भगा कर ले गया था. दोनों जैसे ही जाम नदी में पहुंचे तो लड़की और लड़के के परिवार वालों ने उन पर पत्थरों से हमला कर दिया था. जिससे दोनों की बीच नदी में मौत हो गई थी. इस घटना के बाद से लोग प्रायश्चित स्वरूप एक दूसरे को पत्थर मारकर गोटमार मेला मनाते हैं. सालों पुरानी इस परंपरा में अब तक 14 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, फिर भी ये गोटमार पांढुरना में जारी है.

पलाश के पेड़ को लड़की मानते हैं सावरगांव के ग्रामीण: मेला कब से शुरू हुआ किसी को इस विषय में कुछ जानकारी नहीं है. पिछले कई सालों से मेले का आयोजन हो रहा है. जाम नदी में चंडी माता की पूजा के बाद सावरगांव पक्ष के लोग जाम नदी में पलाश के पेड़ को लगाकर उसमें झंडा बांधते हैं. इस पलाश के पेड़ को सावरगांव के लोग अपने गांव की बेटी मानते हैं उसी की याद में नदी के बीचों बीच पलाश के पेड़ को लगाया जाता है और फिर पांढुर्णा और सावरगांव के लोग परंपरा के नाम पर एक दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं. इस पत्थरबाजी के खेल में कई लोग घायल होते हैं. दोनों पक्षों में से कोई भी उस पलाश के पेड़ को उखाड़ कर अपने कब्जे में करता है. उसके बाद दोनों गांव के लोग मिलकर चंडी माता में उस पलाश के पेड़ को ले जाकर पूजा करते हैं.

वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करने की कवायद: कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि ''गोटमार मेला परंपरागत मेला है और इसे हर्ष व उल्लास के साथ प्रेम पूर्वक मनाया जाना चाहिये, किन्तु इस मेले के स्वरूप में आंशिक परिवर्तन के संबंध में भी विचार किया जाना चाहिये. बहुत से परंपरागत मेले जैसे इंदौर की गैर आदि वर्ल्ड हेरीटेज में शामिल हो चुकी है तथा इस मेले को भी वर्ल्ड हेरीटेज के अंतर्गत पर्यटकों के लिये आकर्षण योग्य बनाया जाना चाहिये. जिससे दर्शकों की संख्या बढ़ेगी और दर्शक इस मेले का अच्छी तरह से आनंद ले सकेंगे. इस काम में जिला प्रशासन हर संभव सहयोग करेगा.'' उन्होंने कहा कि ''जिला प्रशासन की ओर से घायलों के तत्काल इलाज की पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था करने के साथ ही आवागमन व अन्य व्यवस्थायें समुचित रूप से की जायेंगी.'' बैठक में पुलिस अधीक्षक विनायक वर्मा ने कहा कि ''परंपरागत गोटमार मेला के लिये पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था की जायेंगी. गोफन चलाने वालों पर ड्रोन कैमरे से नजर रखी जायेगी. गोटमार मेला में शामिल होने वाले खिलाड़ी प्रशासन द्वारा जारी की गई गाइडलाईन का पालन करें और इस मेले को सफल बनाने में प्रशासन को सहयोग प्रदान करें.''

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Last Updated : Sep 14, 2023, 7:25 PM IST
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