श्रीनगर: गूगल ने पाकिस्तान से काम करनेवाले अलगवावादी नेताओं एवं आतंकवादियों के साथ पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के करीबी वहीद-उर-रहमान पर्रा के कथित संबंधों की जांच के सिलसिले में ई-मेल आदान-प्रदान संबंधी रिकॉर्ड मांगे जाने पर जम्मू कश्मीर पुलिस से और ब्योरा मांगा है.
अधिकारियों के अनुसार, उनसे पर्रा की संलिप्तता के बारे में जो और ब्योरा मांगा गया था, उस संदर्भ में उन्होंने जवाब सौंप दिया है जिसमें फिलहाल जेल में बंद पीडीपी नेता के ई-मेल संबंधी सबूत हैं. इस साल जून में पुलिस की 'काउंटर इंटेलीजेंस कश्मीर' (सीआईके) शाखा ने आरोपपत्र दाखिल किया था जिसमें कहा गया है कि पर्रा ने कई ई-मेल सेवाओं के माध्यम से सूचना साझा की और उनमें से तीन रिकॉर्ड में लाए गए हैं.
उन्नीस पन्नों के आरोपपत्र में कहा गया था, 'तदनुसार निर्धारित मानक प्रपत्र एवं मानक के अनुसार गूगल यूएस को एक अनुरोध भेजा गया है तथा उससे पर्रा द्वारा तीन ई-मेल आईडी के जरिए आदान-प्रदान किए गए ई-मेल का ब्योरा मांगा गया है.' अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका आधारित इस कंपनी ने इस अनुरोध पर जरूरी कार्रवाई करने के लिए कुछ सवाल उठाए जिनका हाल में जवाब दिया गया.
उन्होंने कहा कि सूचना मिल जाने के बाद सीआईके शाखा पूरक आरोपपत्र दाखिल करेगी. पर्रा के वकील और पीडीपी ने सभी आरोपों से इनकार किया है तथा इन्हें 'राजनीति से प्रेरित' करार दिया है. अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत पर्रा को आरोपी बनाते हुए पुलिस ने अपने आरोपपत्र में कहा था कि इस मामले में जरूरी सहयोग के वास्ते विदेश मंत्रालय के माध्यम से परस्पर कानूनी सहायता संधि के तहत अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क किया गया है.
आरोपपत्र में कहा गया है,'गूगल यूएस से (पर्रा के) ई-मेल डाटा को सुरक्षित रखने का अनुरोध किया गया है.' अधिकारियों ने कहा कि जम्मू कश्मीर पुलिस की सीआईडी के अंतर्गत आने वाली सीआईके ने गूगल से पर्रा के मोबाइल फोन से संबंधित व्हाट्सऐप चैट और गूगल ड्राइव एवं क्लाउड एकाउंट में संग्रहित डाटा उपलब्ध कराने को कहा है तथा यह सूचना शीघ्र ही मिल जाने की उम्मीद है.
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आरोपपत्र में कहा गया है कि पर्रा के विरुद्ध इस संबंध में 'अभियोजन शुरू करने के लिए प्रथमदृष्टया पर्याप्त सबूत' हैं कि आरोपी ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए आतंकवादियों का समर्थन पाने के वास्ते उनके साथ सांठगांठ की तथा बदले में उनकी (आतंकवादियों) कई तरह से सहायता की, जिसके फलस्वरूप आतंकी हमले हुए.
पर्रा को पिछले साल नवंबर में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने गिरफ्तार किया था. इस साल जनवरी में आरोपी को जम्मू स्थित एनआईए अदालत से जमानत मिल गई थी. इसके तत्काल बाद सीआईके ने पर्रा को हिरासत में ले लिया था और वह आरोपी को श्रीनगर ले आई थी. फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में है.
(पीटीआई-भाषा)