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Special : राजस्थान में बनी है सोने की अयोध्या, जानें 'स्वर्णिम अयोध्या' की अद्भूत कहानी

आपने सोने की लंका के बारे में जरूर पढ़ा और सुना होगा, लेकिन क्या आप सोने की अयोध्या के बारे में जानते हैं. जी हां सही पढ़ा आपने सोने की अयोध्या, जो अजमेर के सोनी जी की नसियां मंदिर में स्थित है. ये दुनिया में अपनी स्थापत्य कला के लिए मशहूर है. चलिए जानते हैं इसके निर्माण और वास्तुकला को लेकर सारी जानकारी.

Golden Ayodhya in ajmer
Golden Ayodhya in ajmer
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Published : Apr 13, 2023, 7:56 AM IST

'स्वर्णिम अयोध्या' की अद्भूत कहानी, जानिए

अजमेर. राजस्थान की हृदय स्थली अजमेर शहर के बीच सोनी जी की नसियां दिगंबर जैन समाज के लिए श्रद्धा का प्रतीक है. मंदिर में 24 तीर्थकरों में से प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का मंदिर है. वहीं, मंदिर परिसर में विशाल म्यूजियम हॉल में अयोध्या नगरी, सुमेरू पर्वत, हस्तिनापुर, कैलाश पर्वत की अद्भुत कलाकृतियां है जो सवा सदी से अजमेर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करती आई है. खास बात यह है कि यह अद्भुत कलाकृतियां सोने से मढ़ी हुई है.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
127 साल पहले अजमेर में हुई स्थापित अयोध्या

अजमेर में पृथ्वीराज मार्ग पर स्थित दिगंबर जैन समाज की श्रद्धा का प्रतीक सोनी जी की नसियां में प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव का मंदिर है. इस मंदिर का नाम श्री सिद्ध कूट चैत्यालय है. करौली के लाल पत्थर से निर्मित होने के कारण इसे लाल मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर के मुख्य ट्रस्टी प्रमोद सोनी ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण कार्य 10 अक्टूबर 1864 में शुरू हुआ था और 26 मई 1865 में भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा मंदिर के मध्य अवधि में स्थापित की गई.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है 'स्वर्णिम अयोध्या'

इस मंदिर का निर्माण रायबहादुर सेठ मूलचंद सोनी ने करवाया था. मंदिर परिसर में 82 फीट ऊंचा कलात्मक मान स्तंभ है. मंदिर करौली के लाल पत्थर और संगमरमर से बना हुआ है. दिगंबर जैन समाज के लोगों में श्री सिद्ध कूट चैत्यालय को लेकर गहरी आस्था है. सोनी जी की नसियां के नाम से विख्यात मंदिर का पिछला भाग पर्यटन की दृष्ठि से अद्धभुत स्थल है. मंदिर के ठीक पीछे दो मंजिला विशाल हॉल है. इन हॉल की दीवारों और छतों पर अनुपम चित्रकारी और कांच की कला से सज्जित है. इन हॉल में रखी अद्भुत और अमूल्य कलाकृतियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
अजमेर में बनी है सोने की अयोध्या

पंचकल्याणक किए गए स्थापित : राय बहादुर सेठ मूलचंद सोनी के वंशज आज भी सोनी जी की नसियां मंदिर की देखरेख करते हैं. सोनी जी की नसियां के मुख्य ट्रस्टी प्रमोद सोनी बताया कि उनके पूर्वज राय बहादुर सेठ मूलचंद सोनी ने पंचकल्याणक की रचना करवाई. इनको मंदिर के पीछे बने दो मंजिला विशाल हॉल है. इनमें ऊपर के हॉल में तीन पंच कल्याणक के रूप में अद्भुत इन कलाकृतियों को स्थापित किया. उन्होंने बताया कि ही सोनी जी की नसियां की खासियत यह है कि यह अकेला स्थान है जहां पर पंचकल्याणक की स्थापना है. उन्होंने बताया कि पूरे परिसर में 2 सेक्शन हैं. सामने की ओर मंदिर है पीछे की ओर संग्रहालय है. उस वक्त दो पंचकल्याणक की स्थापना नहीं हो पाई थी. ऐसे में 27 मार्च 2023 को आचार्य वसुनंदी जी महाराज के सानिध्य में अभी स्थापित किए गए हैं. दोनों पंचकल्याणक वर्षों से बने हुए थे, लेकिन उन्हें प्रदर्शित नहीं किया गया था.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
सोनी जी की नसियां मंदिर में 'स्वर्णिम अयोध्या' स्थित है

राय बहादुर सेठ मूलचंद सोनी के वंशज ने बताया कि संग्रहालय में गर्भ कल्याणक, जन्म कल्याणक, तप कल्याणक, केवल ज्ञान कल्याणक और मोक्ष कल्याणक शामिल है. इनके अलावा संग्रहालय में हस्तिनापुर, रथ, एरावत हाथी समेत कई कलाकृतियां है. रथ, हाथी, एरावत हाथी और अन्य कलाकृतियां महावीर जयंती समेत विशेष उत्सव में बाहर निकाली जाती है.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
'स्वर्णिम अयोध्या' की अद्भूत कहानी

पढ़ें : Special : स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है अजमेर की 'स्वर्णिम अयोध्या'

ढाई दिन के झोपड़े से लाई गई खंडित प्रतिमाओं की भी संग्रहालय में है दीर्घा : मुख्य ट्रस्टी प्रमोद सोनी ने बताया कि 1000 वर्ष पुराने ढाई दिन के झोपड़े से लाई गई खंडित मूर्तियों को भी यहां संग्रहालय में सहज कर रखा गया है. इसके लिए दर्शक दीर्घा बनाई गई है.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
अद्भुत स्वर्ण युक्त चित्रकारी और कलाकृतिया

स्वर्णिम अयोध्या का अनुपम सौंदर्य : सोनी जी की नसिया श्री सिद्धकूट चैत्यालय मंदिर ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी प्रमोद सोनी ने बताया कि भगवान ऋषभदेव जब गर्भ में आने वाले होते हैं तब 6 महीने पहले से रतन वृष्टि चालू हो जाती है और पूरी अयोध्या नगरी को देवताओं की ओर से स्वर्ण में बनाया जाता है. उस परिकल्पना के आधार पर स्वर्णमय अयोध्या नगरी बनाई गई है. इसका विशेष विवरण आचार्य जिनसेन की ओर से रचित आदि पुराण में उल्लेख मिलता है. उन्होंने बताया कि अयोध्या नगरी का कोई नक्शा उपलब्ध नहीं था. ऐसे कल्पना के आधार पर और शास्त्रों वर्णन के आधार पर बनाया गया है. स्वर्णिम अयोध्या समेत पंचकल्याणक के निर्माण में 25 वर्ष का समय लगा है. इसके निर्माण कार्य में जयपुर और अलवर के कलाकारों की विशेष भूमिका रही है. बाद में इन सभी अनमोल और अद्भुत कलाकृतियों को अजमेर लाकर इस हॉल में रखा गया.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
राजस्थान में है सोने की अयोध्या

पढ़ें : अजमेर में सोनी जी की नसियां में है स्वर्णिम अयोध्या नगरी

अद्धभुत कलात्मक सौदर्य : मुख्य ट्रस्टी ने बताया कि जिन हॉल में पंचकल्याणक और अयोध्या नगरी है. उन दोनों विशाल हॉल को बनाने में 8 वर्ष का समय लगा. उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड के अनुसार 250 कलाकारों ने हॉल की दीवारों अनुपम चित्रकारी है. छत और दीवारों पर बेल्जियम ग्लास, ठीकरी कांच का उपयोग किया गया है. हाल में चित्रकारी, बेलबूटे, और पंचकल्याणक, अयोध्या नगरी, हस्तिनापुर समेत सभी कलाकृतियों में स्वर्ण का इस्तेमाल हुआ है.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
पंचकल्याणक किए गए स्थापित

पर्यटकों के लिए खुला है संग्रहालय : संग्रहालय के दोनों हॉल पूरी तरह से कांच से बंद है. लोग खुली आंखों से बाहर से ही इन खूबसूरत कलाकृतियों को निहारते है. अजमेर आने वाले पर्यटकों के लिए सोनी जी की नसियां विशेष आकर्षण रहता है. यहां हर जाति समाज के लोग इस अद्भुत स्वर्ण मय कलाकारी को देखने के लिए आते हैं. राय बहादुर सेठ मूलचंद सोनी के वंशज बताया कि पर्यटकों के लिए संग्रहालय 1895 से यह खुला है.

'स्वर्णिम अयोध्या' की अद्भूत कहानी, जानिए

अजमेर. राजस्थान की हृदय स्थली अजमेर शहर के बीच सोनी जी की नसियां दिगंबर जैन समाज के लिए श्रद्धा का प्रतीक है. मंदिर में 24 तीर्थकरों में से प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का मंदिर है. वहीं, मंदिर परिसर में विशाल म्यूजियम हॉल में अयोध्या नगरी, सुमेरू पर्वत, हस्तिनापुर, कैलाश पर्वत की अद्भुत कलाकृतियां है जो सवा सदी से अजमेर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करती आई है. खास बात यह है कि यह अद्भुत कलाकृतियां सोने से मढ़ी हुई है.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
127 साल पहले अजमेर में हुई स्थापित अयोध्या

अजमेर में पृथ्वीराज मार्ग पर स्थित दिगंबर जैन समाज की श्रद्धा का प्रतीक सोनी जी की नसियां में प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव का मंदिर है. इस मंदिर का नाम श्री सिद्ध कूट चैत्यालय है. करौली के लाल पत्थर से निर्मित होने के कारण इसे लाल मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर के मुख्य ट्रस्टी प्रमोद सोनी ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण कार्य 10 अक्टूबर 1864 में शुरू हुआ था और 26 मई 1865 में भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा मंदिर के मध्य अवधि में स्थापित की गई.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है 'स्वर्णिम अयोध्या'

इस मंदिर का निर्माण रायबहादुर सेठ मूलचंद सोनी ने करवाया था. मंदिर परिसर में 82 फीट ऊंचा कलात्मक मान स्तंभ है. मंदिर करौली के लाल पत्थर और संगमरमर से बना हुआ है. दिगंबर जैन समाज के लोगों में श्री सिद्ध कूट चैत्यालय को लेकर गहरी आस्था है. सोनी जी की नसियां के नाम से विख्यात मंदिर का पिछला भाग पर्यटन की दृष्ठि से अद्धभुत स्थल है. मंदिर के ठीक पीछे दो मंजिला विशाल हॉल है. इन हॉल की दीवारों और छतों पर अनुपम चित्रकारी और कांच की कला से सज्जित है. इन हॉल में रखी अद्भुत और अमूल्य कलाकृतियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
अजमेर में बनी है सोने की अयोध्या

पंचकल्याणक किए गए स्थापित : राय बहादुर सेठ मूलचंद सोनी के वंशज आज भी सोनी जी की नसियां मंदिर की देखरेख करते हैं. सोनी जी की नसियां के मुख्य ट्रस्टी प्रमोद सोनी बताया कि उनके पूर्वज राय बहादुर सेठ मूलचंद सोनी ने पंचकल्याणक की रचना करवाई. इनको मंदिर के पीछे बने दो मंजिला विशाल हॉल है. इनमें ऊपर के हॉल में तीन पंच कल्याणक के रूप में अद्भुत इन कलाकृतियों को स्थापित किया. उन्होंने बताया कि ही सोनी जी की नसियां की खासियत यह है कि यह अकेला स्थान है जहां पर पंचकल्याणक की स्थापना है. उन्होंने बताया कि पूरे परिसर में 2 सेक्शन हैं. सामने की ओर मंदिर है पीछे की ओर संग्रहालय है. उस वक्त दो पंचकल्याणक की स्थापना नहीं हो पाई थी. ऐसे में 27 मार्च 2023 को आचार्य वसुनंदी जी महाराज के सानिध्य में अभी स्थापित किए गए हैं. दोनों पंचकल्याणक वर्षों से बने हुए थे, लेकिन उन्हें प्रदर्शित नहीं किया गया था.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
सोनी जी की नसियां मंदिर में 'स्वर्णिम अयोध्या' स्थित है

राय बहादुर सेठ मूलचंद सोनी के वंशज ने बताया कि संग्रहालय में गर्भ कल्याणक, जन्म कल्याणक, तप कल्याणक, केवल ज्ञान कल्याणक और मोक्ष कल्याणक शामिल है. इनके अलावा संग्रहालय में हस्तिनापुर, रथ, एरावत हाथी समेत कई कलाकृतियां है. रथ, हाथी, एरावत हाथी और अन्य कलाकृतियां महावीर जयंती समेत विशेष उत्सव में बाहर निकाली जाती है.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
'स्वर्णिम अयोध्या' की अद्भूत कहानी

पढ़ें : Special : स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है अजमेर की 'स्वर्णिम अयोध्या'

ढाई दिन के झोपड़े से लाई गई खंडित प्रतिमाओं की भी संग्रहालय में है दीर्घा : मुख्य ट्रस्टी प्रमोद सोनी ने बताया कि 1000 वर्ष पुराने ढाई दिन के झोपड़े से लाई गई खंडित मूर्तियों को भी यहां संग्रहालय में सहज कर रखा गया है. इसके लिए दर्शक दीर्घा बनाई गई है.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
अद्भुत स्वर्ण युक्त चित्रकारी और कलाकृतिया

स्वर्णिम अयोध्या का अनुपम सौंदर्य : सोनी जी की नसिया श्री सिद्धकूट चैत्यालय मंदिर ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी प्रमोद सोनी ने बताया कि भगवान ऋषभदेव जब गर्भ में आने वाले होते हैं तब 6 महीने पहले से रतन वृष्टि चालू हो जाती है और पूरी अयोध्या नगरी को देवताओं की ओर से स्वर्ण में बनाया जाता है. उस परिकल्पना के आधार पर स्वर्णमय अयोध्या नगरी बनाई गई है. इसका विशेष विवरण आचार्य जिनसेन की ओर से रचित आदि पुराण में उल्लेख मिलता है. उन्होंने बताया कि अयोध्या नगरी का कोई नक्शा उपलब्ध नहीं था. ऐसे कल्पना के आधार पर और शास्त्रों वर्णन के आधार पर बनाया गया है. स्वर्णिम अयोध्या समेत पंचकल्याणक के निर्माण में 25 वर्ष का समय लगा है. इसके निर्माण कार्य में जयपुर और अलवर के कलाकारों की विशेष भूमिका रही है. बाद में इन सभी अनमोल और अद्भुत कलाकृतियों को अजमेर लाकर इस हॉल में रखा गया.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
राजस्थान में है सोने की अयोध्या

पढ़ें : अजमेर में सोनी जी की नसियां में है स्वर्णिम अयोध्या नगरी

अद्धभुत कलात्मक सौदर्य : मुख्य ट्रस्टी ने बताया कि जिन हॉल में पंचकल्याणक और अयोध्या नगरी है. उन दोनों विशाल हॉल को बनाने में 8 वर्ष का समय लगा. उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड के अनुसार 250 कलाकारों ने हॉल की दीवारों अनुपम चित्रकारी है. छत और दीवारों पर बेल्जियम ग्लास, ठीकरी कांच का उपयोग किया गया है. हाल में चित्रकारी, बेलबूटे, और पंचकल्याणक, अयोध्या नगरी, हस्तिनापुर समेत सभी कलाकृतियों में स्वर्ण का इस्तेमाल हुआ है.

Soni Ji Ki Nasiya Jain Temple
पंचकल्याणक किए गए स्थापित

पर्यटकों के लिए खुला है संग्रहालय : संग्रहालय के दोनों हॉल पूरी तरह से कांच से बंद है. लोग खुली आंखों से बाहर से ही इन खूबसूरत कलाकृतियों को निहारते है. अजमेर आने वाले पर्यटकों के लिए सोनी जी की नसियां विशेष आकर्षण रहता है. यहां हर जाति समाज के लोग इस अद्भुत स्वर्ण मय कलाकारी को देखने के लिए आते हैं. राय बहादुर सेठ मूलचंद सोनी के वंशज बताया कि पर्यटकों के लिए संग्रहालय 1895 से यह खुला है.

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