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Goa Politics : गोवा में भाजपा के 11 ईसाई विधायक, एक को छोड़कर सभी कांग्रेस से आए

'गोवा में ईसाई मतदाताओं का रूझान भाजपा की ओर दिख रहा है.' गोवा में 16 विधायक ईसाई हैं और इनमें से ज्यादातर भाजपा के सदस्य हैं. वैसे कांग्रेस का आरोप रहा है कि भाजपा नैरेटिव सेट करती है, ऐसा कुछ भी नहीं है कि ईसाई समुदाय भाजपा के साथ है.

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Published : Apr 30, 2023, 1:18 PM IST

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गोवा भाजपा

पणजी : गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में 16 ईसाई विधायक हैं और इनमें ज्यादातर भाजपा के सदस्य हैं. हालांकि नेताओं और लोगों का मानना है कि सभी ईसाई मतदाता भगवा पार्टी के साथ नहीं हैं. उनके अनुसार लोग व्यक्ति को वोट देते हैं, न कि पार्टी को. हालांकि, बीजेपी ईसाई मतदाताओं तक पहुंचने की पुरजोर कोशिश कर रही है, जो तटीय राज्य में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. भाजपा के पास अभी 11 ईसाई विधायक हैं. जोशुआ डी सूजा को छोड़कर, बाकी सभी विधायक कांग्रेस से भगवा पार्टी में आए हैं.

जोशुआ डी सूजा के पिता, दिवंगत फ्रांसिस डी सूजा, पहली बार 1999 में गोवा राजीव कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए थे. बाद में 2002, 2007, 2012 और 2017 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा. 2019 में उनकी मृत्यु के बाद, जोशुआ डी सूजा 2019 के उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर निर्वाचित हुए. वह वर्तमान में गोवा विधानसभा के उपाध्यक्ष हैं, जो 2022 में दूसरी बार जीते थे.

फरवरी 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद, भाजपा ने जोशुआ डी सूजा, अटानासियो मोनसेरेट और उनकी पत्नी जेनिफर मोनसेरेट, मौविन गोडिन्हो और नीलेश कैबरल को चुना. पार्टी को निर्दलीय विधायकों एंटोनियो वास और अलेक्सी लोरेंको का भी समर्थन मिला. लौरेंको पूर्व कांग्रेसी हैं, जिन्होंने पार्टी छोड़ दी थी और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने तृणमूल भी छोड़ दी और निर्दलीय चुनाव लड़ा.

सितंबर 2022 में, पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत, माइकल लोबो, डेलिलाह लोबो, केदार नाइक, संकल्प अमोनकर, राजेश फलदेसाई, अलेक्सो सिकेरा और रुडोल्फ फर्नांडीस कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए, इससे 40 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के मात्र तीन विधायक रह गए. ईसाई समुदाय के 16 विधायकों में से कांग्रेस विधायक व विपक्ष के नेता यूरी अलेमाओ, कार्लोस अल्वारेस फरेरा और अल्टोन डी कोस्टा, और आप विधायक वेंजी विगास और क्रूज सिल्वा विपक्षी पक्ष में रह गए हैं.

आठ विधानसभा क्षेत्रों वाला सलकेते तालुका कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. इस तालुका पर नजर गड़ाए भाजपा ने अपने उम्मीदवारों को चुनने की कोशिश की थी, लेकिन 2022 में नवेलिम निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक सीट ही जीत सकी थी. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने चुनाव के बाद कहा था कि जैसे उन्होंने सलकेटे से एक सीट जीती है, अब वे सात अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में पैठ बनाना शुरू करेंगे. दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी पैर जमाने के लिए 'मिशन सलामते' की शुरुआत की थी, लेकिन तब कुछ खास नहीं हुआ.

सालकेटे ने हमेशा कांग्रेस को सरकार बनाने में फायदा पहुंचाया है क्योंकि उनके अधिकांश उम्मीदवार यहां से जीतते थे. इस तालुका को गोवा की राजनीति में गेम चेंजर माना जाता है. निर्दलीय विधायक अलेक्सो लौरेंको (साल्सेटे से) ने कहा कि गोवा के लोग किसी पार्टी को वोट नहीं देते, वे एक व्यक्ति को वोट देते हैं. उन्होंने कहा, पिछले विधानसभा चुनावों के परिणामों ने इसे साबित कर दिया है. कांग्रेस का मतलब ईसाई मुक्त है. राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं है. अगर बीजेपी अच्छा करती है तो लोग बीजेपी को वोट देंगे, अगर ऐसा नहीं है तो लोग वोट नहीं देंगे. आपको 2024 के लोकसभा चुनाव में रुझान पता चल जाएगा. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उम्मीदवार कौन है.

फतोर्दा के पूर्व विधायक और भाजपा के महासचिव दामोदर नाइक ने कहा कि ईसाई समुदाय धीरे-धीरे भगवा पार्टी की ओर आ रहा है, लेकिन लोग व्यक्तिगत उम्मीदवारों को वोट देंगे. नाइक ने कहा, मेरे निर्वाचन क्षेत्र में, ईसाई एसटी सदस्यों ने एक व्यक्ति के रूप में मेरा समर्थन किया न कि पार्टी के लिए. जब एक व्यक्ति निर्वाचित होता है, तो हम यह नहीं मान सकते कि मतदाताओं का पूरा समूह पार्टी में स्थानांतरित हो गया है. ऐसा कभी नहीं होता है. लोग अधिक देते हैं. लोग पार्टी की तुलना में व्यक्तियों को अधिक महत्व देते हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में ईसाई भाजपा की ओर आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन कुछ बाधाएं हैं.

नाइक ने कहा कि गोवा में कुछ हिंदू बहुल निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां से ईसाई उम्मीदवार जीते हैं. यह प्रवृत्ति हमें क्या बताती है कि लोग व्यक्तियों को वोट देते हैं, ऐसे मामलों में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ गया है. उन्होंने कहा, ऐसी कोई प्रवृत्ति नहीं है कि बड़ी संख्या में ईसाई भाजपा के साथ चल रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे ऐसा होगा मैं यह नहीं कहूंगा कि ईसाई केवल भाजपा के साथ हैं, क्योंकि लोग विकल्प के रूप में नई पार्टियों की तलाश कर रहे हैं. नाइक ने कहा, लोगों भी डर है कि अगर कांग्रेस को वोट दिया तो वे पाला बदल लेंगे.

एआईसीसी के पूर्व सचिव गिरीश चोडांकर ने कहा कि बीजेपी एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रही है कि ईसाई मतदाता उनके साथ हैं. लेकिन यह सही नहीं है. हालांकि उन्होंने हमारे विधायकों और नेताओं को अपने पाले में कर लिया, इसका मतलब यह नहीं है कि लोग दलबदलुओं के साथ भाजपा में चले गए हैं. पूरे देश में, भाजपा की 'पिक एंड चूज' की राजनीति उजागर हो गई है. भाजपा क्षेत्र के अनुसार अपनी रणनीति बदलती है. उनके कई संगठन भी उन्हें अपने एजेंडे को हासिल करने के लिए राजनीतिक रूप से मदद करते हैं. वे पूर्वोत्तर व गोवा में ईसाई नेताओं का उपयोग कर रहे हैं और अन्य राज्यों में संगठित रूप से समुदाय को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

चोंडानकर ने कहा, अगर उन्हें ईसाई समुदाय से प्यार होता, तो वे भारत के प्रवासी नागरिकों (ओसीआई) की नई पाबंदियों की अधिसूचना नहीं लाते. नए प्रतिबंधों के अनुसार, गोवा ओसीआई मंदिरों, चर्चें, मस्जिदों और गुरुद्वारों को दान नहीं कर सकते हैं और भारत में अपने प्रियजनों को धन वापस भेजना मुश्किल हो गया है. चोंडानकर ने कहा, ईसाइयों के लिए भाजपा का प्रेम नीतिगत निर्णयों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति या ओसीआई अधिसूचनाओं में भी परिलक्षित नहीं होता है.

ये भी पढ़ें : गोवा विपक्ष ने मुख्यमंत्री के कन्नड़ भाषा में दिए गए भाषण को लेकर उड़ाया मजाक

मडगांव नगरपालिका परिषद के सलसेटे के पूर्व अध्यक्ष सावियो कुटिन्हो ने कहा कि बीजेपी को भले ही कांग्रेस से ईसाई विधायक मिले हों, लेकिन एक बड़ा सवाल है कि क्या ईसाई मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा अपने विधायकों के साथ शिफ्ट हो गया है. उन्होंने कहा, 'हो सकता है कि इन विधायकों के कुछ करीबी समर्थक अपना काम कराने के लिए भाजपा में चले गए हों. मुझे नहीं लगता कि उन्हें वोट देने वाले सभी लोग भाजपा के साथ होंगे. कुटिन्हो ने कहा, लोगों को एहसास हो गया है कि भाजपा नौकरियों की सब्जबाग दिखा रही है, जो राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए संभव नहीं है.

(आईएएनएस)

पणजी : गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में 16 ईसाई विधायक हैं और इनमें ज्यादातर भाजपा के सदस्य हैं. हालांकि नेताओं और लोगों का मानना है कि सभी ईसाई मतदाता भगवा पार्टी के साथ नहीं हैं. उनके अनुसार लोग व्यक्ति को वोट देते हैं, न कि पार्टी को. हालांकि, बीजेपी ईसाई मतदाताओं तक पहुंचने की पुरजोर कोशिश कर रही है, जो तटीय राज्य में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. भाजपा के पास अभी 11 ईसाई विधायक हैं. जोशुआ डी सूजा को छोड़कर, बाकी सभी विधायक कांग्रेस से भगवा पार्टी में आए हैं.

जोशुआ डी सूजा के पिता, दिवंगत फ्रांसिस डी सूजा, पहली बार 1999 में गोवा राजीव कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए थे. बाद में 2002, 2007, 2012 और 2017 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा. 2019 में उनकी मृत्यु के बाद, जोशुआ डी सूजा 2019 के उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर निर्वाचित हुए. वह वर्तमान में गोवा विधानसभा के उपाध्यक्ष हैं, जो 2022 में दूसरी बार जीते थे.

फरवरी 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद, भाजपा ने जोशुआ डी सूजा, अटानासियो मोनसेरेट और उनकी पत्नी जेनिफर मोनसेरेट, मौविन गोडिन्हो और नीलेश कैबरल को चुना. पार्टी को निर्दलीय विधायकों एंटोनियो वास और अलेक्सी लोरेंको का भी समर्थन मिला. लौरेंको पूर्व कांग्रेसी हैं, जिन्होंने पार्टी छोड़ दी थी और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने तृणमूल भी छोड़ दी और निर्दलीय चुनाव लड़ा.

सितंबर 2022 में, पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत, माइकल लोबो, डेलिलाह लोबो, केदार नाइक, संकल्प अमोनकर, राजेश फलदेसाई, अलेक्सो सिकेरा और रुडोल्फ फर्नांडीस कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए, इससे 40 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के मात्र तीन विधायक रह गए. ईसाई समुदाय के 16 विधायकों में से कांग्रेस विधायक व विपक्ष के नेता यूरी अलेमाओ, कार्लोस अल्वारेस फरेरा और अल्टोन डी कोस्टा, और आप विधायक वेंजी विगास और क्रूज सिल्वा विपक्षी पक्ष में रह गए हैं.

आठ विधानसभा क्षेत्रों वाला सलकेते तालुका कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. इस तालुका पर नजर गड़ाए भाजपा ने अपने उम्मीदवारों को चुनने की कोशिश की थी, लेकिन 2022 में नवेलिम निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक सीट ही जीत सकी थी. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने चुनाव के बाद कहा था कि जैसे उन्होंने सलकेटे से एक सीट जीती है, अब वे सात अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में पैठ बनाना शुरू करेंगे. दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी पैर जमाने के लिए 'मिशन सलामते' की शुरुआत की थी, लेकिन तब कुछ खास नहीं हुआ.

सालकेटे ने हमेशा कांग्रेस को सरकार बनाने में फायदा पहुंचाया है क्योंकि उनके अधिकांश उम्मीदवार यहां से जीतते थे. इस तालुका को गोवा की राजनीति में गेम चेंजर माना जाता है. निर्दलीय विधायक अलेक्सो लौरेंको (साल्सेटे से) ने कहा कि गोवा के लोग किसी पार्टी को वोट नहीं देते, वे एक व्यक्ति को वोट देते हैं. उन्होंने कहा, पिछले विधानसभा चुनावों के परिणामों ने इसे साबित कर दिया है. कांग्रेस का मतलब ईसाई मुक्त है. राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं है. अगर बीजेपी अच्छा करती है तो लोग बीजेपी को वोट देंगे, अगर ऐसा नहीं है तो लोग वोट नहीं देंगे. आपको 2024 के लोकसभा चुनाव में रुझान पता चल जाएगा. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उम्मीदवार कौन है.

फतोर्दा के पूर्व विधायक और भाजपा के महासचिव दामोदर नाइक ने कहा कि ईसाई समुदाय धीरे-धीरे भगवा पार्टी की ओर आ रहा है, लेकिन लोग व्यक्तिगत उम्मीदवारों को वोट देंगे. नाइक ने कहा, मेरे निर्वाचन क्षेत्र में, ईसाई एसटी सदस्यों ने एक व्यक्ति के रूप में मेरा समर्थन किया न कि पार्टी के लिए. जब एक व्यक्ति निर्वाचित होता है, तो हम यह नहीं मान सकते कि मतदाताओं का पूरा समूह पार्टी में स्थानांतरित हो गया है. ऐसा कभी नहीं होता है. लोग अधिक देते हैं. लोग पार्टी की तुलना में व्यक्तियों को अधिक महत्व देते हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में ईसाई भाजपा की ओर आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन कुछ बाधाएं हैं.

नाइक ने कहा कि गोवा में कुछ हिंदू बहुल निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां से ईसाई उम्मीदवार जीते हैं. यह प्रवृत्ति हमें क्या बताती है कि लोग व्यक्तियों को वोट देते हैं, ऐसे मामलों में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ गया है. उन्होंने कहा, ऐसी कोई प्रवृत्ति नहीं है कि बड़ी संख्या में ईसाई भाजपा के साथ चल रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे ऐसा होगा मैं यह नहीं कहूंगा कि ईसाई केवल भाजपा के साथ हैं, क्योंकि लोग विकल्प के रूप में नई पार्टियों की तलाश कर रहे हैं. नाइक ने कहा, लोगों भी डर है कि अगर कांग्रेस को वोट दिया तो वे पाला बदल लेंगे.

एआईसीसी के पूर्व सचिव गिरीश चोडांकर ने कहा कि बीजेपी एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रही है कि ईसाई मतदाता उनके साथ हैं. लेकिन यह सही नहीं है. हालांकि उन्होंने हमारे विधायकों और नेताओं को अपने पाले में कर लिया, इसका मतलब यह नहीं है कि लोग दलबदलुओं के साथ भाजपा में चले गए हैं. पूरे देश में, भाजपा की 'पिक एंड चूज' की राजनीति उजागर हो गई है. भाजपा क्षेत्र के अनुसार अपनी रणनीति बदलती है. उनके कई संगठन भी उन्हें अपने एजेंडे को हासिल करने के लिए राजनीतिक रूप से मदद करते हैं. वे पूर्वोत्तर व गोवा में ईसाई नेताओं का उपयोग कर रहे हैं और अन्य राज्यों में संगठित रूप से समुदाय को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

चोंडानकर ने कहा, अगर उन्हें ईसाई समुदाय से प्यार होता, तो वे भारत के प्रवासी नागरिकों (ओसीआई) की नई पाबंदियों की अधिसूचना नहीं लाते. नए प्रतिबंधों के अनुसार, गोवा ओसीआई मंदिरों, चर्चें, मस्जिदों और गुरुद्वारों को दान नहीं कर सकते हैं और भारत में अपने प्रियजनों को धन वापस भेजना मुश्किल हो गया है. चोंडानकर ने कहा, ईसाइयों के लिए भाजपा का प्रेम नीतिगत निर्णयों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति या ओसीआई अधिसूचनाओं में भी परिलक्षित नहीं होता है.

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मडगांव नगरपालिका परिषद के सलसेटे के पूर्व अध्यक्ष सावियो कुटिन्हो ने कहा कि बीजेपी को भले ही कांग्रेस से ईसाई विधायक मिले हों, लेकिन एक बड़ा सवाल है कि क्या ईसाई मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा अपने विधायकों के साथ शिफ्ट हो गया है. उन्होंने कहा, 'हो सकता है कि इन विधायकों के कुछ करीबी समर्थक अपना काम कराने के लिए भाजपा में चले गए हों. मुझे नहीं लगता कि उन्हें वोट देने वाले सभी लोग भाजपा के साथ होंगे. कुटिन्हो ने कहा, लोगों को एहसास हो गया है कि भाजपा नौकरियों की सब्जबाग दिखा रही है, जो राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए संभव नहीं है.

(आईएएनएस)

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