हैदराबाद: नए साल की शुरुआत में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव (assembly polls in 5 states) होने हैं. मीडिया में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश और कुछ पंजाब की चर्चा है लेकिन इस सबके बीच एक और चुनावी राज्य गोवा में जो सियासी हलचल हो रही है उससे हर दल में उथल-पुथल मच गई है. गोवा में भी अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और मणिपुर के साथ चुनाव हैं.
गोवा में इस्तीफों की झड़ी (a flurry of resignations in goa)
वैसे ये सियासत का मिजाज है कि नेता चुनाव से पहले मौसम वैज्ञानिक बनकर अपना हित खोजने लगते हैं. चुनावी मौसम में अपनी पार्टी से मोह भंग होना और जिस विपक्षी को हमेशा कोसते रहे उसका दामन थाम लेना आम बात है. ऐसा ही कुछ चुनाव की दहलीज पर खड़े गोवा में इन दिनों हो रहा है और इससे गोवा में सरकार चला रही बीजेपी भी अछूती नहीं है.
बीजेपी की महिला विधायक का इस्तीफा
गोवा विधानसभा चुनाव 2022 (Goa assembly election 2022) से पहले इस्तीफों की झड़ी लगी हुई है. गोवा की पूर्व वन मंत्री और बीजेपी की मौजूदा विधायक अलीना सलदान्हा (Alina Saldanha) ने गुरुवार को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. अलीना ने राज्य में अपनी ही सरकार को घेरते हुए राज्य में नेतृत्व पर पार्टी सिद्धांतो को भूलने का आरोप लगाया है. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष राजेश पाटनेकर को अपना इस्तीफा सौंपा है. अलीना ने कहा कि "ऐसा लगता है कि पार्टी अपने सभी सिद्धांतों को भूल गई है और राज्य में बदहाली है. कोई नहीं जानता कि पार्टी में कौन आ रहा है और कौन पार्टी से बाहर जा रहा है"
अलीना 2012 में कोर्टालिम विधानसभा क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुनी गईं थी, तब उन्होंने अपने पति और प्रसिद्ध पर्यावरणविद् मथानी के निधन के बाद उनकी जगह ली थी. माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की तरफ से उन्हें टिकट का आश्वासन नहीं मिला है. आगे की रणनीति को लेकर अलीन ने कहा कि "मैंने कोई निर्णय नहीं लिया है, मेरे संपर्क में कई दल हैं. मैं जल्दबाजी में कुछ नहीं करूंगी. मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से सलाह लूंगी और उसी के अनुसार मैं निर्णय लूंगी"
प्रियंका के दौरे के दौरान भी लगी थी इस्तीफों की झड़ी
बीते दिनों कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के गोवा दौरे के दौरान ही गोवा कांग्रेस में मानो इस्तीफा देने की होड़ लग गई. प्रियंका गांधी के दौरे से ऐन पहले पोरवोरिम विधानसभा सीट के कई नेताओं ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया. इन नेताओं का कहना था कि कांग्रेस राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है क्योंकि अब तक पार्टी की तरफ से चुनाव को लेकर कोई तैयारी नहीं की गई है. इस्तीफा देने वाले नेताओं का गुट निर्दलीय विधायक के समर्थन में आ गया है.
दक्षिण गोवा के वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोरनो रेबेलो ने भी पार्टी का हाथ छोड़ दिया है. वो मौजूदा विधायक को फिर से टिकट दिए जाने पर नाराज बताए जा रहे हैं. उनका आरोप है कि मौजूदा विधायक पार्टी नेताओं के खिलाफ बोलते हैं और पार्टी के खिलाफ काम करते हैं, इसके बावजूद टिकट दिया जा रहा है, बीते साढ़े चार साल में विधायक पार्टी के किसी कार्यक्रम में नहीं दिखाई दिए.
इससे पहले राज्य में पार्टी के वरिष्ठतम नेता और पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरियो ने कई नेताओं के साथ कांग्रेस का दामन छोड़ टीएमसी ज्वाइन कर ली थी. दरअसल गोवा में भी कांग्रेस राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, हरियाणा समेत कई राज्यों की तरह की अंदरूनी कलह से जूझ रही है और हर बार की तरह आलाकमान के पास इसका कोई हल नहीं है. जिसका खामियाजा कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.
NCP के इकलौते विधायक का भी इस्तीफा
बीते सोमवार को ही गोवा में एनसीपी के एकमात्र विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री चर्चिल अलेमाओ (Churchill Alemao) ने विधानसभा स्पीकर राजेश पाटेनकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया. बताया जा रहा है कि चर्चिल अब तृणमूल कांग्रेस में शामिल होंगे. गौरतलब है कि चर्चिल इससे पहले कांग्रेस, टीएमसी, सेव गोवा फ्रंट में भी रह चुके हैं. 18 दिन के लिए राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके चर्चिल लोकसभा सांसद भी रहे हैं. उनका तृणमूल कांग्रेस में जाना तय माना जा रहा है, वैसे वो 2014 का लोकसभा चुनाव भी टीएमसी की टिकट पर लड़ चुके हैं.
TMC की बल्ले-बल्ले
गोवा में चल रही इस्तीफों की झड़ी और सियासी उठापटक के दौर में तृणमूल कांग्रेस की बल्ले-बल्ले है. एनसीपी के चर्चिल अलेमाओ से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरियो तक अपनी-अपनी पार्टियां छोड़कर टीएमसी के साथ जा चुके हैं. इसके अलावा फिल्म एक्ट्रेस नफीसा अली (Nafisa Ali) और टेनिस स्टार लिएंडर पेस (Leander Paes) भी ममता बनर्जी की मौजूदगी में टीएमसी का दामन थाम चुके हैं. इसके अलावा गोवा फॉरवर्ड पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष किरन कंडोलकर भी अपनी पार्टी से इस्तीफा देकर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
गोवा में दिलचस्प हुआ सियासी दंगल
गोवा में 40 विधानसभा सीटें हैं. राज्य में सियासी मुकाबला कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच ही होता रहा है. लेकिन साल 2012 से यहां बीजेपी सत्ता पर काबिज है और इस बार भी बीजेपी जीत का दावा कर रही है. लेकिन चुनाव से पहले चल रहे इस्तीफों के दौर और आम आदमी पार्टी से लेकर टीएमसी तक की सियासी गतिविधियों ने इस छोटे से राज्य में सियासी दंगल को बहुत दिलचस्प बना दिया है. कांग्रेस का गिरता ग्राफ क्या गोवा में संभलेगा ? क्या बीजेपी यहां जीत की हैट्रिक लगा पाएगी ? या टीएमसी ने जो बंगाल में और आम आदमी पार्टी ने जो दिल्ली में किया वो गोवा में दोहरा पाएगी ? ये सवाल गोवा के सियासी दंगल में तड़का लगा रहे हैं. वैसे चुनाव की तारीखों का ऐलान होने में अभी भी कुछ वक्त है और जिस तरह से इस छोटे से राज्य में सियासी हलचलें बढ़ी हैं उसे देखते हुए कह सकते हैं कि पिक्चर अभी बाकी है.
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