नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण और सत्यापन योग्य परमाणु निरस्त्रीकरण के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में 'परमाणु खतरे को कम करने' पर भारत के वार्षिक प्रस्ताव में परमाणु हथियारों के अनजाने या आकस्मिक उपयोग के जोखिम को कम करने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया गया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (MEA Spokesperson Arindam Bagchi) ने कहा कि एक जिम्मेदार परमाणु हथियार देश के रूप में, भारत का सिद्धांत है कि हम पहले परमाणु का उपयोग नहीं (No First Use posture) करेंगे.
उन्होंने कहा कि भारत ऐसे देशों के खिलाफ परमाणु हथियार के प्रयोग का पक्षधर नहीं है, जो परमाणु से लैस नहीं हैं. इस आधार पर भारत विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध बनाए रखने के सिद्धांत (doctrine of maintaining credible minimum deterrence) को मानता है.
विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत परमाणु युद्ध को रोकने और हथियारों की होड़ से बचने (Preventing Nuclear War and Avoiding Arms Races) के विषय में जारी संयुक्त वक्तव्य का स्वागत करता है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त वक्तव्य परमाणु खतरों को कम करने के महत्व की पुष्टि करता है. वक्तव्य सुरक्षा वातावरण को और अधिक अनुकूल बनाने की दिशा में काम करने की इच्छा को रेखांकित भी करता है.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रमुख परमाणु संपन्न देशों (key nuclear armed States) के संयुक्त बयान पर कहा कि एक ऐसी दुनिया बनाने की दिशा में काम किया जाना चाहिए, जहां परमाणु हथियार न हों. देशों का अंतिम लक्ष्य परमाणु निरस्त्रीकरण हो और किसी की भी सुरक्षा कम न की जा सके.
(एएनआई)