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रेलवे की गुजरात लोको सुविधा विकसित करने में घरेलू व वैश्विक कंपनियां इच्छुक

दाहोद में मौजूदा रोलिंग स्टॉक वर्कशॉप से 2023-34 की अवधि में ट्रेनों की आपूर्ति किए जाने का लक्ष्य है. बता दें कि भाप इंजनों के लिए 1926 में इस वर्कशॉप की स्थापना की गई थी. इसे अब इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव निर्माण इकाई में अपग्रेड किया जाएगा.

रेलवे की गुजरात लोको सुविधा
रेलवे की गुजरात लोको सुविधा
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Published : Jun 15, 2022, 11:33 AM IST

Updated : Jun 15, 2022, 12:09 PM IST

नई दिल्ली : एल्सटॉम, सीमेंस, हिताची, स्टैडलर रेल, वैबटेक और आर्को समेत वैश्विक कंपनियों ने गुजरात के दाहोद में 20,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश पर भारतीय रेलवे द्वारा एक नई लोकोमोटिव सुविधा विकसित करने में अपनी रुचि दिखाई है. अधिकारियों ने कहा कि कई विदेशी और स्थानीय कंपनियों ने 9,000 हॉर्स पावर (एचपी) के 1,200 इलेक्ट्रिक इंजनों के निर्माण और आपूर्ति के लिए बोली-पूर्व परामर्श में भाग लिया. घरेलू कंपनियों में राज्य द्वारा संचालित भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) और निजी खिलाड़ी जैसे मेधा समूह और सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस एनएसई 0.95% शामिल हैं.

दाहोद में मौजूदा रोलिंग स्टॉक वर्कशॉप में 2023-24 से 2033-34 तक 11 साल की अवधि में ट्रेनों की आपूर्ति की जानी है. भाप इंजनों के आवधिक ओवरहाल के लिए 1926 में कार्यशाला की स्थापना की गई थी. इसे बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव निर्माण इकाई में अपग्रेड किया जाएगा. प्रस्तावित सुविधा भारतीय रेलवे के लिए ब्रॉड गेज के लिए 1,200 एचपी इलेक्ट्रिक इंजन और निर्यात के लिए मानक गेज का निर्माण करेगी. इन ट्रेन इंजनों का उपयोग भारतीय रेलवे नेटवर्क में 4,500 टन भार ढोने के लिए किया जाएगा, जिसकी औसत गति एक लोकोमोटिव द्वारा 75 किमी प्रति घंटा होगी.

इस टेंडर के बाद चुयनित टेक्नोलॉजी पार्टनर को मौजूदा सुविधाओं को अपग्रेड करना होगा. मौजूदा सुविधाओं को मैन्युफैक्चरिंग साइट और नामित सरकारी रखरखाव डिपो में विकसित करना होगा. निविदा दस्तावेज के अनुसार, इन लोकोमोटिवों के रखरखाव के लिए नामित चार सरकारी डिपो में प्रत्येक की क्षमता 300-300 होगी. डिपो खड़गपुर (पश्चिम बंगाल), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), रायपुर (छ.ग.) और पुणे (महाराष्ट्र) में हैं. चयनित तकनीकी साझेदार को विनिर्माण और रखरखाव के उद्देश्यों के लिए निर्माण इकाई और सरकारी रखरखाव डिपो में स्थापित बुनियादी ढांचे, सुविधाओं और उपकरणों को बनाए रखना होगा. इस परियोजना में भारतीय रेलवे की कोई इक्विटी भागीदारी नहीं होगी. भारतीय रेलवे ने लगभग 30,000 करोड़ रुपये के अनुबंध के तहत 800 लोकोमोटिव के निर्माण और आपूर्ति के लिए बोलियां भी आमंत्रित की हैं. अगले 10 वर्षों में 12,000 एचपी इलेक्ट्रिक इंजनों की आपूर्ति की जानी है और बनारस लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी में निर्मित किया जाएगा.

यह भी पढ़ें-मध्यप्रदेश : भोपाल पहुंचा देश का पहला 12 हजार हॉर्स पावर का लोकोमोटिव इंजन

नई दिल्ली : एल्सटॉम, सीमेंस, हिताची, स्टैडलर रेल, वैबटेक और आर्को समेत वैश्विक कंपनियों ने गुजरात के दाहोद में 20,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश पर भारतीय रेलवे द्वारा एक नई लोकोमोटिव सुविधा विकसित करने में अपनी रुचि दिखाई है. अधिकारियों ने कहा कि कई विदेशी और स्थानीय कंपनियों ने 9,000 हॉर्स पावर (एचपी) के 1,200 इलेक्ट्रिक इंजनों के निर्माण और आपूर्ति के लिए बोली-पूर्व परामर्श में भाग लिया. घरेलू कंपनियों में राज्य द्वारा संचालित भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) और निजी खिलाड़ी जैसे मेधा समूह और सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस एनएसई 0.95% शामिल हैं.

दाहोद में मौजूदा रोलिंग स्टॉक वर्कशॉप में 2023-24 से 2033-34 तक 11 साल की अवधि में ट्रेनों की आपूर्ति की जानी है. भाप इंजनों के आवधिक ओवरहाल के लिए 1926 में कार्यशाला की स्थापना की गई थी. इसे बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव निर्माण इकाई में अपग्रेड किया जाएगा. प्रस्तावित सुविधा भारतीय रेलवे के लिए ब्रॉड गेज के लिए 1,200 एचपी इलेक्ट्रिक इंजन और निर्यात के लिए मानक गेज का निर्माण करेगी. इन ट्रेन इंजनों का उपयोग भारतीय रेलवे नेटवर्क में 4,500 टन भार ढोने के लिए किया जाएगा, जिसकी औसत गति एक लोकोमोटिव द्वारा 75 किमी प्रति घंटा होगी.

इस टेंडर के बाद चुयनित टेक्नोलॉजी पार्टनर को मौजूदा सुविधाओं को अपग्रेड करना होगा. मौजूदा सुविधाओं को मैन्युफैक्चरिंग साइट और नामित सरकारी रखरखाव डिपो में विकसित करना होगा. निविदा दस्तावेज के अनुसार, इन लोकोमोटिवों के रखरखाव के लिए नामित चार सरकारी डिपो में प्रत्येक की क्षमता 300-300 होगी. डिपो खड़गपुर (पश्चिम बंगाल), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), रायपुर (छ.ग.) और पुणे (महाराष्ट्र) में हैं. चयनित तकनीकी साझेदार को विनिर्माण और रखरखाव के उद्देश्यों के लिए निर्माण इकाई और सरकारी रखरखाव डिपो में स्थापित बुनियादी ढांचे, सुविधाओं और उपकरणों को बनाए रखना होगा. इस परियोजना में भारतीय रेलवे की कोई इक्विटी भागीदारी नहीं होगी. भारतीय रेलवे ने लगभग 30,000 करोड़ रुपये के अनुबंध के तहत 800 लोकोमोटिव के निर्माण और आपूर्ति के लिए बोलियां भी आमंत्रित की हैं. अगले 10 वर्षों में 12,000 एचपी इलेक्ट्रिक इंजनों की आपूर्ति की जानी है और बनारस लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी में निर्मित किया जाएगा.

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Last Updated : Jun 15, 2022, 12:09 PM IST

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