नई दिल्ली : मीडिया में मदरसों में गीता-रामायण का पठन अनिवार्य करने को लेकर आई खबरों पर केंद्र ने स्पष्टीकरण दिया है. केंद्र के अनुसार समाचार में तथ्यों के साथ खिलवाड़ किया गया है, यह वास्तविकता से परे है और इसके पीछे दुर्भावनापूर्ण इरादा नजर आता है.
यहां पर स्पष्ट किया जाता है कि एनआईओएस मदरसों को एसपीक्यूईएम (मदरसों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान) के तहत मान्यता देता है. इस प्रावधान के अंतर्गत छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली के विपरीत निश्चित विषय संयोजन की बंदिशों के बिना विभिन्न विषयों की पेशकश की जाती है. एनआईओएस द्वारा उपलब्ध कराए गए विषयों में से विषय संयोजन का चयन करना छात्र के विवेक पर निर्भर है. लगभग 100 मदरसों को एनआईओएस से मान्यता मिली हुई है, जिनमें 50,000 छात्र पढ़ते हैं.
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इसके अलावा, एनआईओएस की निकट भविष्य में लगभग 500 और मदरसों को मान्यता देने की योजना है. ऐसा पूरी तरह से मदरसों की मांग के आधार पर ही किया जाएगा.