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600 किलोमीटर दूर बिहार से भटककर सिमडेगा पहुंची महिला को फिर से मिला मां का आंचल, लोगों की मदद से वापस पहुंची घर

600 किलोमीटर दूर से भटककर एक महिला सिमडेगा पहुंची. कई महीनों तक वह वहां रही. उसने अपने घर की काफी खोजबीन की. लेकिन उसे कुछ पता नहीं चला. अंत में लोगों ने उनकी मदद की और महिला सकुशल अपने घर पहुंच गई.

woman lost in simdega
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Published : Jul 6, 2023, 8:53 PM IST

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सिमडेगा: एक भटकी हुई महिला को महीनों बाद घर मिल गया, उसके परिजन मिल गए हैं. 600 किलोमीटर दूर से भटककर पहुंची महिला को उसके घर पहुंचाने में कई लोगों ने मदद की. सभी की मेहनत आखिर में रंग ला गई. मामला सुनने में काफी साधारण सा लगता है, लेकिन इसके पीछे समाज में मौजूद भलाई की एक अच्छी तस्वीर उजागर होती है.

यह भी पढ़ें: ईटीवी भारत की खबर का असर: साहिबगंज में भटकी विक्षिप्त महिला की हुई पहचान, साथ ले गए परिजन

कौन कहता है भलाई का जमाना नहीं रहा. आप एक कोशिश तो कीजिए, एक-एक कर लोग जुड़ते जाएंगे और फिर कारवां बनता जाएगा. ऐसा ही कुछ मामला सिमडेगा में देखने को मिला, जब बिहार के कटिहार सलोनी की रहने वाली रीता देवी करीब 600 किलोमीटर दूर भटक कर सिमडेगा पहुंचीं. जिन्हें ना तो हिंदी बोलनी आती थी, ना ही सिमडेगा की स्थानीय भाषा को वह समझ सकती थीं. यहां तक कि उनकी भाषा को भी सिमडेगा के लोग समझने में असमर्थ थे. ऐसे में इस महिला का अपने परिवार के पास पहुंचना कितना मुश्किल रहा होगा. इसका अंदाजा तो सहज ही लगाया जा सकता है.

नारी निकेतन में मिला महिला को छत: करीब 6 महीने पहले भटकती हुई रीता देवी किसी प्रकार सिमडेगा पहुंचीं. जहां पहले वह वन स्टॉप सेंटर में रहीं. फिर वह नारी निकेतन में रहने लगीं. महीनों की कोशिशों के बावजूद जब उन्हें अपने घर का पता नहीं चला. तब उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकार के समक्ष लाया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव मनीष कुमार ने रीता देवी के टूटे-फूटे शब्दों के आधार पर खोजबीन शुरू की. उन्होंने गूगल की मदद से जगह का नाम सर्च कर उस लोकेशन को रीता देवी को दिखाया. अनगिनत तस्वीर दिखाई गई. आखिर में एक जगह को रीता देवी ने पहचान लिया.

महिला के घर को खोज निकाला गया: इसके बाद डीएलएसए सेक्रेटरी मनीष कुमार ने कटिहार डीएलएसए से संपर्क कर महिला के नाम और पता की जांच करायी. जांच में उन्हें रीता देवी के घर का पता चला. लेकिन रीता देवी को घर भेजने में आर्थिक मुश्किलें आड़े आई. मगर, कहते हैं ना दिल में नेकी का इरादा हो तो मदद के हाथ कम नहीं पड़ते. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव मनीष कुमार के पहल पर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बसंत प्रसाद, सचिव संजय महतो, संयुक्त सचिव पद्युमन सिंह, मेडिएटर प्रभात श्रीवास्तव ने आपसी सहयोग से भटकी महिला रीता देवी को उसके घर और परिजनों तक पहुंचाने का निर्णय लिया. जिला विधिक सेवा प्राधिकार और जिला बार एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से पैसे जमा किए और अंततः महिला को उसके घर भिजवाया गया.

परिजनों ने दिया धन्यवाद: इस संबंध में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव मनीष कुमार ने बताया कि भाषा अलग होने के कारण घर और परिजनों को ढूंढने में काफी मुश्किल हुई. लेकिन आखिर में उन्हें खुशी है कि रीता देवी को उनका घर और उनके परिजन मिल गये. वहीं जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बसंत प्रसाद कहते हैं कि मानवता सर्वोपरि है. उन्हें खुशी है सभी के सहयोग से एक महिला को उसका घर फिर से मिल गया. महीनों बाद रीता देवी अपने परिजनों से मिलकर भावुक हो गई. उनके परिजनों का कहना था कि वह बहुत खुश हैं कि रीता सकुशल है. उन्होंने रीता देवी को घर पहुंचाने में सहयोग करने वाले सभी को धन्यवाद दिया.

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सिमडेगा: एक भटकी हुई महिला को महीनों बाद घर मिल गया, उसके परिजन मिल गए हैं. 600 किलोमीटर दूर से भटककर पहुंची महिला को उसके घर पहुंचाने में कई लोगों ने मदद की. सभी की मेहनत आखिर में रंग ला गई. मामला सुनने में काफी साधारण सा लगता है, लेकिन इसके पीछे समाज में मौजूद भलाई की एक अच्छी तस्वीर उजागर होती है.

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कौन कहता है भलाई का जमाना नहीं रहा. आप एक कोशिश तो कीजिए, एक-एक कर लोग जुड़ते जाएंगे और फिर कारवां बनता जाएगा. ऐसा ही कुछ मामला सिमडेगा में देखने को मिला, जब बिहार के कटिहार सलोनी की रहने वाली रीता देवी करीब 600 किलोमीटर दूर भटक कर सिमडेगा पहुंचीं. जिन्हें ना तो हिंदी बोलनी आती थी, ना ही सिमडेगा की स्थानीय भाषा को वह समझ सकती थीं. यहां तक कि उनकी भाषा को भी सिमडेगा के लोग समझने में असमर्थ थे. ऐसे में इस महिला का अपने परिवार के पास पहुंचना कितना मुश्किल रहा होगा. इसका अंदाजा तो सहज ही लगाया जा सकता है.

नारी निकेतन में मिला महिला को छत: करीब 6 महीने पहले भटकती हुई रीता देवी किसी प्रकार सिमडेगा पहुंचीं. जहां पहले वह वन स्टॉप सेंटर में रहीं. फिर वह नारी निकेतन में रहने लगीं. महीनों की कोशिशों के बावजूद जब उन्हें अपने घर का पता नहीं चला. तब उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकार के समक्ष लाया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव मनीष कुमार ने रीता देवी के टूटे-फूटे शब्दों के आधार पर खोजबीन शुरू की. उन्होंने गूगल की मदद से जगह का नाम सर्च कर उस लोकेशन को रीता देवी को दिखाया. अनगिनत तस्वीर दिखाई गई. आखिर में एक जगह को रीता देवी ने पहचान लिया.

महिला के घर को खोज निकाला गया: इसके बाद डीएलएसए सेक्रेटरी मनीष कुमार ने कटिहार डीएलएसए से संपर्क कर महिला के नाम और पता की जांच करायी. जांच में उन्हें रीता देवी के घर का पता चला. लेकिन रीता देवी को घर भेजने में आर्थिक मुश्किलें आड़े आई. मगर, कहते हैं ना दिल में नेकी का इरादा हो तो मदद के हाथ कम नहीं पड़ते. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव मनीष कुमार के पहल पर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बसंत प्रसाद, सचिव संजय महतो, संयुक्त सचिव पद्युमन सिंह, मेडिएटर प्रभात श्रीवास्तव ने आपसी सहयोग से भटकी महिला रीता देवी को उसके घर और परिजनों तक पहुंचाने का निर्णय लिया. जिला विधिक सेवा प्राधिकार और जिला बार एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से पैसे जमा किए और अंततः महिला को उसके घर भिजवाया गया.

परिजनों ने दिया धन्यवाद: इस संबंध में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव मनीष कुमार ने बताया कि भाषा अलग होने के कारण घर और परिजनों को ढूंढने में काफी मुश्किल हुई. लेकिन आखिर में उन्हें खुशी है कि रीता देवी को उनका घर और उनके परिजन मिल गये. वहीं जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बसंत प्रसाद कहते हैं कि मानवता सर्वोपरि है. उन्हें खुशी है सभी के सहयोग से एक महिला को उसका घर फिर से मिल गया. महीनों बाद रीता देवी अपने परिजनों से मिलकर भावुक हो गई. उनके परिजनों का कहना था कि वह बहुत खुश हैं कि रीता सकुशल है. उन्होंने रीता देवी को घर पहुंचाने में सहयोग करने वाले सभी को धन्यवाद दिया.

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