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Joshimath sinking: जोशीमठ भू धंसाव पर आई GSI और NIH की रिपोर्ट, NTPC को दी क्लीन चिट, संघर्ष समिति ने खारिज की - Joshimath Bachao Sangharsh Samiti

Report on Joshimath Sinkink इस साल की शुरुआत से उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित धार्मिक, पौराणिक और पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध जोशीमठ में दरारों की खबर दुनिया भर की सुर्खियां बनी थी. मकानों और सड़कों में दरारें आने से हड़कंप मच गया था. बड़ी संख्या में लोगों को विस्थापित किया गया था. जोशीमठ भू धंसाव के लिए एनटीपीसी की परियोजना को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था. लेकिन एनटीपीसी के लिए राहत भरी खबर है. जांच एजेंसियों ने एनटीपीसी को क्लीन चिट दे दी है. हालांकि जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया है.

Joshimath sinking
जोशीमठ भू धंसाव रिपोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 23, 2023, 10:56 AM IST

Updated : Sep 23, 2023, 12:06 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड): जोशीमठ भू धंसाव को लेकर चल रही तमाम एजेसिंयों की जांच के बाद जीएसआई और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी ने एनटीपीसी को अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दे दी है. यानी जोशीमठ में जो कुछ भी हो रहा था, फिलहाल रिपोर्ट यही कहती है कि उसके पीछे एनटीपीसी की परियोजना वजह नहीं है. राज्य सरकार ने जोशीमठ में घरों में आ रही दरारें के बाद तमाम बड़े संस्थानों को जोशीमठ के सर्वे का काम दिया था. इसमें नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलॉजी, वाडिया इंस्टीट्यूट, रुड़की आईआईटी और जीएसआई सहित अन्य इंस्टिट्यूट शामिल थे.

Report on Joshimath Sinkink
जोशीमठ भू धंसाव पर जांच रिपोर्ट

जोशीमठ भू धंसाव में एनटीपीसी को क्लीन चिट: इसी साल 5 जनवरी को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने एनटीपीसी के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में जोशीमठ के लोगों सहित तमाम पर्यावरणविद शामिल हुए थे. लोगों का यह आरोप था कि जोशीमठ में शहर में आ रही दरारों का मुख्य कारण एनटीपीसी की परियोजना है, जिसकी वजह से शहर के यह हालात बने हैं. यही कारण है कि उस विरोध प्रदर्शन के बाद से अब तक एनटीपीसी का काम रुका हुआ है.

जांच एजेंसियों ने ये बताई वजह: अब एजंसियों ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट में यह पाया है कि जोशीमठ में आ रही दरारों का एनटीपीसी के काम से कोई संबंध नहीं है. क्योंकि जिस जगह यह दरारें आ रही हैं, उस जगह से एनटीपीसी प्रोजेक्ट की दूरी 1 किलोमीटर से भी ज्यादा है. 520 मेगावाट की इस परियोजना और शहर के तमाम सर्वे के बाद इस रिपोर्ट को राज्य सरकार को सौंप दिया गया है. राज्य सरकार ने इस रिपोर्ट को कोर्ट को सौंपा है.
ये भी पढ़ें: जोशीमठ में धंस रहे मकान, दरक रही दीवार, जमीन से फूट रही पानी की धार

रिपोर्ट में कहा गया है कि जेपी कॉलोनी और अन्य जगहों पर जो पानी का रिसाव हो रहा है, उनके तमाम नमूने लिए गए और यह पाया गया कि दोनों का जल अलग-अलग है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जो पानी का रिसाव तेजी से हो रहा था, वह कहीं ना कहीं इस वजह से था कि ऊपरी हिस्से में एक पानी का बड़ा हिस्सा जमा हो गया था. धीरे-धीरे वह पानी नीचे की तरफ रिसाव कर रहा था. सुनील वार्ड और अन्य इलाकों में जो पानी का रिसाव हो रहा था, उसकी दूरी भी एनटीपीसी प्लांट से अधिक है. ऐसे में एनटीपीसी का इस भू धंसाव से भी कोई संबंध नहीं है.
ये भी पढ़ें: जोशीमठ में आफत का नया दौर! भूस्खलन से बढ़ने लगा जमीन में पड़ी दरारों का दायरा, लोगों ने छोड़े घर

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने रिपोर्ट खारिज की: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती कहते हैं कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से एनटीपीसी को बचाने के लिए तैयार की गई है. रिपोर्ट फरवरी महीने में पूरी हो गई थी. आखिरकार अब इसको बंद लिफाफे में कोर्ट को क्यों सौंपा जा रहा है? इतने दिनों तक क्यों रिपोर्ट को छिपा कर रखा गया? अतुल सती यह भी कहते हैं कि यही जीएसआई था जो पहले अपनी रिपोर्ट में इसको दोषी मान रहा था. अचानक ऐसा क्या हुआ कि रिपोर्ट पूरी तरह से विपरीत बनाई गई है. अतुल सती कहते हैं कि हम इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज करते हैं. आज भी हम यही मानते हैं कि एनटीपीसी ही जोशीमठ की बर्बादी का कारण है. सरकार और एजेंसियां एनटीपीसी को बचाने के लिए यह सभी रिपोर्ट तैयार कर रही हैं.
ये भी पढ़ें: जोशीमठ आपदा को लेकर फिर शुरू हुआ सियासी घमासान, आमने सामने बीजेपी-कांग्रेस, पढ़िये पूरी रिपोर्ट
ये भी पढ़ें: Joshimath Sinking: 4 वार्ड अनसेफ घोषित, दरारों ने 849 मकानों को किया खोखला! ढहाए जाएंगे

देहरादून (उत्तराखंड): जोशीमठ भू धंसाव को लेकर चल रही तमाम एजेसिंयों की जांच के बाद जीएसआई और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी ने एनटीपीसी को अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दे दी है. यानी जोशीमठ में जो कुछ भी हो रहा था, फिलहाल रिपोर्ट यही कहती है कि उसके पीछे एनटीपीसी की परियोजना वजह नहीं है. राज्य सरकार ने जोशीमठ में घरों में आ रही दरारें के बाद तमाम बड़े संस्थानों को जोशीमठ के सर्वे का काम दिया था. इसमें नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलॉजी, वाडिया इंस्टीट्यूट, रुड़की आईआईटी और जीएसआई सहित अन्य इंस्टिट्यूट शामिल थे.

Report on Joshimath Sinkink
जोशीमठ भू धंसाव पर जांच रिपोर्ट

जोशीमठ भू धंसाव में एनटीपीसी को क्लीन चिट: इसी साल 5 जनवरी को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने एनटीपीसी के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में जोशीमठ के लोगों सहित तमाम पर्यावरणविद शामिल हुए थे. लोगों का यह आरोप था कि जोशीमठ में शहर में आ रही दरारों का मुख्य कारण एनटीपीसी की परियोजना है, जिसकी वजह से शहर के यह हालात बने हैं. यही कारण है कि उस विरोध प्रदर्शन के बाद से अब तक एनटीपीसी का काम रुका हुआ है.

जांच एजेंसियों ने ये बताई वजह: अब एजंसियों ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट में यह पाया है कि जोशीमठ में आ रही दरारों का एनटीपीसी के काम से कोई संबंध नहीं है. क्योंकि जिस जगह यह दरारें आ रही हैं, उस जगह से एनटीपीसी प्रोजेक्ट की दूरी 1 किलोमीटर से भी ज्यादा है. 520 मेगावाट की इस परियोजना और शहर के तमाम सर्वे के बाद इस रिपोर्ट को राज्य सरकार को सौंप दिया गया है. राज्य सरकार ने इस रिपोर्ट को कोर्ट को सौंपा है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि जेपी कॉलोनी और अन्य जगहों पर जो पानी का रिसाव हो रहा है, उनके तमाम नमूने लिए गए और यह पाया गया कि दोनों का जल अलग-अलग है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जो पानी का रिसाव तेजी से हो रहा था, वह कहीं ना कहीं इस वजह से था कि ऊपरी हिस्से में एक पानी का बड़ा हिस्सा जमा हो गया था. धीरे-धीरे वह पानी नीचे की तरफ रिसाव कर रहा था. सुनील वार्ड और अन्य इलाकों में जो पानी का रिसाव हो रहा था, उसकी दूरी भी एनटीपीसी प्लांट से अधिक है. ऐसे में एनटीपीसी का इस भू धंसाव से भी कोई संबंध नहीं है.
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जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने रिपोर्ट खारिज की: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती कहते हैं कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से एनटीपीसी को बचाने के लिए तैयार की गई है. रिपोर्ट फरवरी महीने में पूरी हो गई थी. आखिरकार अब इसको बंद लिफाफे में कोर्ट को क्यों सौंपा जा रहा है? इतने दिनों तक क्यों रिपोर्ट को छिपा कर रखा गया? अतुल सती यह भी कहते हैं कि यही जीएसआई था जो पहले अपनी रिपोर्ट में इसको दोषी मान रहा था. अचानक ऐसा क्या हुआ कि रिपोर्ट पूरी तरह से विपरीत बनाई गई है. अतुल सती कहते हैं कि हम इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज करते हैं. आज भी हम यही मानते हैं कि एनटीपीसी ही जोशीमठ की बर्बादी का कारण है. सरकार और एजेंसियां एनटीपीसी को बचाने के लिए यह सभी रिपोर्ट तैयार कर रही हैं.
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Last Updated : Sep 23, 2023, 12:06 PM IST
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