हैदराबाद : कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन 4 देशों में फैल चुका है. भारत सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को विदेश से आने वाली यात्रियों की कड़ी निगरानी करने और नमूनों को जीनोम सीक्वेसिंग के लिए जल्द भेजना सुनिश्चित करने की हिदायत दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों को ओमिक्रोन के मामलों की जल्द पहचान और जांच बढ़ाने की सलाह दी है. साथ ही विदेश से आने वाले लोगों के लिए जांच और क्वारंटीन के नियम लागू किए गए हैं. गौरतलब है कि कोरोना का नया वैरिएंट ओमीक्रॉन (Corona Omicron Variant) का पता एक सप्ताह पहले दक्षिण अफ्रीका में चला था. इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 'खतरनाक' घोषित किया है.
आरटीपीसीआर टेस्ट से कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि होती है मगर वैरिएंट का पता नहीं चलता है. इसके लिए जीनोम सीक्वेसिंग जरूरी है. ड्ब्ल्यूएचओ के मुताबिक, जीनोम सीक्वेसिंग से कोरोना के रूप बदलने की पुष्टि हो सकती है. यानी जीनोम सीक्वेसिंग से ही वैरिएंट ओमीक्रॉन की मौजूदगी का पता चल सकता है. जीनोम सीक्वेसिंग की प्रक्रिया 24 से 96 घंटे में पूरी हो पाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देशों से सर्विलांस बढ़ाने और सीक्वेसिंग पर भी फोकस करने की हिदायत दी है.
वायरस एक अवधि के बाद अपने जेनेटिक संरचना को बदलता रहता है, जिसे म्यूटेशन कहते हैं. कई बार म्यूटेशन के बाद वायरस कमजोर हो जाता है. वहीं कई बार म्यूटेशन के बाद वायरस खतरनाक बन जाता है. अगर म्यूटेशन कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में हुआ हो, तो ये ज्यादा संक्रामक होता है. इसी कारण से म्यूटेशन के बाद बना कोरोना के ओमीक्रॉन वैरिएंट को काफी खतरनाक माना गया.
जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिये किसी वायरस के बारे में सारी जानकारी हासिल की जाती है. जैसे वायरस कैसा दिखता है और कैसे फैलता करता है. उसके रूप-रंग बदल रहे हैं या नहीं. सीक्वेंसिंग से इलाज में मदद मिलती है. कोरोना के वैरिएंट ओमीक्रॉन की पहचान साउथ अफ्रीका में हुई.
भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के मुताबिक, SARS-CoV-2 में जीनोमिक बदलाव की निगरानी के लिए पूरे देश में 28 लैब काम कर रही है. अभी देश के सभी प्रमुख राज्यों में जीनोम सीक्वेंसिंग लैब है. इनमें से इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (नई दिल्ली), सीएसआईआर-आर्कियोलॉजी फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (हैदराबाद), डीबीटी - इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (भुवनेश्वर), डीबीटी-इन स्टेम-एनसीबीएस (बेंगलुरु), डीबीटी - नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (NIBMG),आईसीएमआर- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (पुणे) जैसी कई प्रमुख लैब हैं.
म्यूटेशन पर निगराने के लिए कम से कम पांच फीसदी सैंपल की सीक्वेंसिंग अनिवार्य है. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग की स्पीड अमेरिका और यूरोपीय देशों के मुकाबले काफी कम है. दूसरी लहर के दौरान जून में भारत में कुल कोरोना जांच की तुलना में 0.0939 फीसदी ही सीक्वेसिंग हुई थी. बताया जा रहा है कि अभी भी कई राज्य कम सैंपल टेस्ट के लिए भेज रहे हैं.
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