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गीतांजलि श्री का ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास बना - अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार न्यूज़

जानी-मानी लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) को साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज (International Booker Prize) दिया गया है. उनके उपन्यास 'रेत समाधी' (Tomb of Sand) के लिए सम्मानित किया गया है. यह उपन्यास इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होने वाला किसी हिंदी भाषा का पहला उपन्यास है.

ऐसी पहली भारतीय: गीतांजलि श्री को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार
ऐसी पहली भारतीय: गीतांजलि श्री को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार
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Published : May 27, 2022, 8:11 AM IST

Updated : May 27, 2022, 12:34 PM IST

नई दिल्ली/लंदन : लेखिका गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास ‘रेत समाधि’ (टॉम्ब ऑफ सैंड) को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से नवाजा गया है. यह उपन्यास इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होने वाला किसी भारतीय भाषा का पहला उपन्यास है. लंदन में गुरुवार को आयोजित समारोह में गीतांजलि श्री ने कहा कि वह इस पल के लिए तैयार नहीं थीं. पुरस्कार पाकर पूरी तरह से अभिभूत हैं. लेखिका ने 50,000 ब्रिटिश पाउंड का पुरस्कार डेजी रॉकवेल के साथ साझा किया. रॉकवेल ने गीतांजलि श्री के उपन्यास का अंग्रेजी में अनुवाद किया है. बुकर पुरस्कार के निर्णायक दल ने इसे ‘मधुर कोलाहल’ और 'बेहतरीन उपन्यास' करार किया. गीतांजलि श्री ने पुरस्कार ग्रहण करने के दौरान अपने संबोधन में कहा कि मैंने कभी बुकर पुरस्कार जीतने का सपना नहीं देखा था. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं यह कर सकती हूं. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. मैं अभिभूत हूं, प्रसन्न हूं और सम्मानित महसूस कर रही हूं.

उन्होंने कहा कि रेत समाधि/टॉम्ब ऑफ सैंड एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं. यह एक ऐसी ऊर्जा है, जो आशंकाओं के बीच उम्मीद की किरण जगाती है. बुकर पुरस्कार मिलने से यह पुस्तक अब और ज्यादा लोगों के बीच पहुंचेगी. ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है. इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत अच्छा महसूस हो रहा है. 'टॉम्ब ऑफ सैंड' 13 लंबे सूचीबद्ध उपन्यासों में से एक था, जिसका 11 भाषाओं से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था.

पढ़ें: पहला हिंदी उपन्यास 'रेत समाधि' बुकर पुरस्कार की रेस में, जिसका अंग्रेजी अनुवाद है 'टॉम्ब ऑफ सैंड'

पुरस्कार विजेता पुस्तक एक 80 वर्षीय महिला की कहानी बताती है जो अपने पति की मृत्यु के बाद गहरे अवसाद में चली जाती है. आखिरकार, वह अपने अवसाद पर काबू पाती है और विभाजन के दौरान अपने पीछे छोड़े गए अतीत का सामना करने के लिए पाकिस्तान जाने का फैसला करती है. जब बुकर पुरस्कार के लिए नामित पुस्तकों की सूची जारी हुई थी तब जजों ने इस हिंदी उपन्यास के बारे में कहा था कि गीतांजलि श्री की आविष्कारशील, ऊर्जावान रेत समाधि लगातार बदलते दृष्टिकोण और समय-सीमा में एक 80 वर्षीय महिला के जीवन और आश्चर्यजनक अतीत की ओर ले जाती है. डेज़ी रॉकवेल का उत्साही अनुवाद पाठ को और आसान बनाता है. यह एक जोरदार और अनूठा उपन्यास है.

यूपी के मैनपुरी में जन्मी और वर्तमान में नई दिल्ली में रहने वाली गीतांजलि ने तीन उपन्यास और लघु कथाओं के कई संग्रह लिखे हैं, जिनमें से कई का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियाई और कोरियाई भाषा में अनुवाद किया जा चुका है. पुरस्कार के लिए नामित होने के बाद श्री ने कहा था कि लिखना अपने आप में पुरस्कार है लेकिन बुकर की तरह विशेष पहचान प्राप्त करना एक अद्भुत बोनस है. तथ्य यह है कि आज दुनिया भर में बहुत कुछ निराशाजनक है, पुरस्कार साहित्य जैसे क्षेत्र में सकारात्मक मूल्य में वृद्धि करते हैं.

नई दिल्ली/लंदन : लेखिका गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास ‘रेत समाधि’ (टॉम्ब ऑफ सैंड) को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से नवाजा गया है. यह उपन्यास इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होने वाला किसी भारतीय भाषा का पहला उपन्यास है. लंदन में गुरुवार को आयोजित समारोह में गीतांजलि श्री ने कहा कि वह इस पल के लिए तैयार नहीं थीं. पुरस्कार पाकर पूरी तरह से अभिभूत हैं. लेखिका ने 50,000 ब्रिटिश पाउंड का पुरस्कार डेजी रॉकवेल के साथ साझा किया. रॉकवेल ने गीतांजलि श्री के उपन्यास का अंग्रेजी में अनुवाद किया है. बुकर पुरस्कार के निर्णायक दल ने इसे ‘मधुर कोलाहल’ और 'बेहतरीन उपन्यास' करार किया. गीतांजलि श्री ने पुरस्कार ग्रहण करने के दौरान अपने संबोधन में कहा कि मैंने कभी बुकर पुरस्कार जीतने का सपना नहीं देखा था. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं यह कर सकती हूं. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. मैं अभिभूत हूं, प्रसन्न हूं और सम्मानित महसूस कर रही हूं.

उन्होंने कहा कि रेत समाधि/टॉम्ब ऑफ सैंड एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं. यह एक ऐसी ऊर्जा है, जो आशंकाओं के बीच उम्मीद की किरण जगाती है. बुकर पुरस्कार मिलने से यह पुस्तक अब और ज्यादा लोगों के बीच पहुंचेगी. ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है. इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत अच्छा महसूस हो रहा है. 'टॉम्ब ऑफ सैंड' 13 लंबे सूचीबद्ध उपन्यासों में से एक था, जिसका 11 भाषाओं से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था.

पढ़ें: पहला हिंदी उपन्यास 'रेत समाधि' बुकर पुरस्कार की रेस में, जिसका अंग्रेजी अनुवाद है 'टॉम्ब ऑफ सैंड'

पुरस्कार विजेता पुस्तक एक 80 वर्षीय महिला की कहानी बताती है जो अपने पति की मृत्यु के बाद गहरे अवसाद में चली जाती है. आखिरकार, वह अपने अवसाद पर काबू पाती है और विभाजन के दौरान अपने पीछे छोड़े गए अतीत का सामना करने के लिए पाकिस्तान जाने का फैसला करती है. जब बुकर पुरस्कार के लिए नामित पुस्तकों की सूची जारी हुई थी तब जजों ने इस हिंदी उपन्यास के बारे में कहा था कि गीतांजलि श्री की आविष्कारशील, ऊर्जावान रेत समाधि लगातार बदलते दृष्टिकोण और समय-सीमा में एक 80 वर्षीय महिला के जीवन और आश्चर्यजनक अतीत की ओर ले जाती है. डेज़ी रॉकवेल का उत्साही अनुवाद पाठ को और आसान बनाता है. यह एक जोरदार और अनूठा उपन्यास है.

यूपी के मैनपुरी में जन्मी और वर्तमान में नई दिल्ली में रहने वाली गीतांजलि ने तीन उपन्यास और लघु कथाओं के कई संग्रह लिखे हैं, जिनमें से कई का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियाई और कोरियाई भाषा में अनुवाद किया जा चुका है. पुरस्कार के लिए नामित होने के बाद श्री ने कहा था कि लिखना अपने आप में पुरस्कार है लेकिन बुकर की तरह विशेष पहचान प्राप्त करना एक अद्भुत बोनस है. तथ्य यह है कि आज दुनिया भर में बहुत कुछ निराशाजनक है, पुरस्कार साहित्य जैसे क्षेत्र में सकारात्मक मूल्य में वृद्धि करते हैं.

Last Updated : May 27, 2022, 12:34 PM IST
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