गुवाहाटी : एक स्थानीय अदालत द्वारा 2019 में आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन के मामले में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (CM Himanta Biswa Sarma) के खिलाफ जारी किए गए जमानती गिरफ्तारी वारंट के आदेश पर गुवाहाटी उच्च न्यायालय (Gauhati High Court) ने रोक लगा दी है. इस संबंध में उच्च न्यायालय ने बुधवार को भारत के चुनाव आयोग और असम के राज्य चुनाव विभाग को चार सप्ताह के भीतर इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए नोटिस जारी किया.
सरमा के वकील देवजीत लोन सैकिया ने ईटीवी भारत को बताया कि कामरूप के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा 2019 में आदर्श आचार संहिता के मामले में इस साल 25 फरवरी को उन्हें पेश होने के लिए बुलाए जाने के बाद सरमा ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. चूंकि न तो सरमा और न ही उनके वकील 25 फरवरी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश हुए, इस पर सीजेएम अदालत ने उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया. हालांकि, बाद में सीजेएम अदालत ने अपने गिरफ्तारी वारंट को वापस ले लिया, जब कोर्ट को सरमा के वकील ने बताया कि उन्हें राष्ट्रपति की राज्य की यात्रा में व्यस्तता के कारण कोर्ट के सामने पेश होने का समय नहीं मिला. अब सीजेएम कोर्ट में 21 मार्च को पेशी होगी. हालांकि, 28 फरवरी को सरमा ने सीजेएम अदालत द्वारा पारित आदेशों के संशोधन की मांग करते हुए गुवाहाटी हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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बता दें कि राज्य चुनाव विभाग ने 14 मई 2019 को असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) की शिकायत के आधार पर सरमा के खिलाफ मामला दर्ज किया था. एपीसीसी ने शिकायत में आरोप लगाया था कि सरमा, जो उस समय स्वास्थ्य मंत्री थे, तब उन्होंने पहले चरण के चुनाव के 48 घंटों के भीतर एक समाचार चैनल को लाइव साक्षात्कार देकर लोकसभा चुनाव आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया था. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कामरूप की अदालत ने सरमा की पत्नी रिंकी भुयान सरमा पर भी आरोप लगाया था, जो सरमा के लाइव साक्षात्कार को प्रसारित करने के लिए प्राइड ईस्ट एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक हैं.