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MP: महात्मा गांधी का सपना पूरा करने में जुटे कैदी, जैन मुनि विद्यासागर की प्रेरणा से जेल में हस्तकरघा केंद्र से कर रहे कमाई - photo of gandhi jayanti

ब्रिटिश हुकूमत की आर्थिक गुलामी का चक्रव्यूह तोड़ने के लिए महात्मा गांधी ने हथकरघा के जरिए बुनकरों को एकजुट किया था. इसी हथकरघा (Sagar jail Handloom) के जरिए जैन मुनि आचार्य विद्यासागर ने अपराधमुक्त भारत की परिकल्पना को साकार करने की अभिनव पहल की है. जैन मुनि आचार्य विद्यासागर (Jain Muni Acharya Vidyasagar) की प्रेरणा से सागर केंद्रीय जेल में हथकरघा केंद्र शुरू किया गया है.(Gandhi Jayanti 2022)

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Published : Oct 2, 2022, 2:40 PM IST

सागर। सागर केंद्रीय जेल में हथकरघा केंद्र शुरू किया गया है, इसमें कैदी सूती और खादी के कपड़े बनाने का हुनर सीखने के साथ कमाई भी कर रहे हैं. सजा पूरी होने के बाद हथकरघा को स्वरोजगार के तौर पर अपनाने में भी जेल प्रशासन मदद कर रहा है. कैदियों द्वारा तैयार किए गए सूती और खादी के कपड़े की मांग बड़ी है. जेल में तैयार कपड़ा बाहर भी भेजा जा रहा है. जेल के शोरूम में भी बिक्री के लिए उपलब्ध है. (Gandhi Jayanti 2022)

Handloom Center in Sagar Jail
सूती और खादी के कपड़े बनाने का हुनर

विद्या सागर की प्रेरणा से शुरुआत: जैन तीर्थ स्थल बीना वारहा में आचार्य विद्यासागर की प्रेरणा से नवम्बर 2015 में हथकरघा केंद्र की शुरुआत की गई थी. केंद्रीय जेल सागर के तत्कालीन और वर्तमान जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने विभागीय स्तर पर समन्वय कर आचार्य विद्यासागर से आग्रह किया था. आचार्य विद्यासागर की प्रेरणा से करीब एक करोड़ की लागत से सक्रिय सम्यक दर्शन सहकार संघ ने सागर केंद्रीय जेल में हथकरघा केंद्र केंद्र की शुरूआत 1 जनवरी 2018 को की. केंद्रीय जेल के भीतर 10250 वर्ग फीट में शेड का निर्माण किया गया. फिलहाल हथकरघा केंद्र में 54 हथकरघा पर 110 बंदी काम कर रहे हैं. जो कमाई के साथ हुनर सीख कर कुशल कारीगर बन गए हैं.

skill of making cotton and khadi cloth
सागर जेल में सजा के दौरान रोजगार

सजा के दौरान रोजगार: केंद्रीय जेल सागर में संचालित हथकरघा केंद्र की संचालिका डॉ. रेखा जैन बताया कि आचार्य विद्यासागर के आशीर्वाद से शुरू किए गए हथकरघा केंद्र में फिलहाल 54 हथकरघों पर 110 कैदी काम कर रहे हैं. जो रोजाना ढाई से तीन सौ रुपये कमा रहे हैं. सामान्य कपड़ा बनाने पर 50 रुपये मीटर और प्रिटेंड, डिजाइनर कपड़े तैयार करने पर ढाई सौ से तीन सौ रुपये मिलता है.

Employment during sentence in Sagar Jail
सागर जेल में हथकरघा केंद्र

सजा के बाद पुनर्वास: जेल से रिहा होने पर पुनर्वास के लिए संस्था हथकरघा और धागा उपलब्ध कराने के साथ उनके द्वारा बनाए गए कपड़ा भी खरीदती हैं. 2012 से हत्या के अपराध में सजा काट रहे विजय रैंकवार बताते हैं कि 2019 में उन्होंने हथकरघा केंद्र पर काम सीखा और करना शुरू किया. सभी तरह के कपड़े तैयार करना सीख लिया है. हर महीने 4 हजार रुपए तक की कमाई हो जाती है. 60-70 हजार रुपए इकट्ठे हो गए हैं. सजा के बाद घर पर हथकरघा शुरू करूंगा और लोगों को सिखाऊंगा. सजा के वक्त हथकरघा बड़ा सहारा है, समय कट जाता है और मन भी लगा रहता है.

कलाकार के हाथ में गए कंकड पत्थर तो बने बापू, देखें महात्मा गांधी की जयंती पर उनकी अद्भुत तस्वीरें

प्रिटेंड और डिजाइनर कपड़े: हथकरघा केंद्र पर सादे कपड़ों के अलावा प्रिंटेड और डिजाइनर कपड़े भी तैयार किए जाते हैं. सूती की डिजाइनर साड़ियां,सलवार शूट, कुर्ता, शर्ट और पेंट तैयार किए जाते हैं. बाजार के मुकाबले इन कपड़ों कीमत भी कम है. केंद्रीय जेल के कथकरघा केंद्र पर बने कपड़ो की बिक्री के लिए सद्भावना विक्रमय केंद्र नामक शोरूम है. यहां खरीदे गए कपड़ो की कम कीमत सिलाई की सुविधा भी है. इसके अलावा यहां का कपड़ा बाहर भी भेजे जा रहा हैं. इनकी ब्राडिंग होने से डिमांड भी बढ़ी है.(Gandhi Jayanti 2022)

सागर। सागर केंद्रीय जेल में हथकरघा केंद्र शुरू किया गया है, इसमें कैदी सूती और खादी के कपड़े बनाने का हुनर सीखने के साथ कमाई भी कर रहे हैं. सजा पूरी होने के बाद हथकरघा को स्वरोजगार के तौर पर अपनाने में भी जेल प्रशासन मदद कर रहा है. कैदियों द्वारा तैयार किए गए सूती और खादी के कपड़े की मांग बड़ी है. जेल में तैयार कपड़ा बाहर भी भेजा जा रहा है. जेल के शोरूम में भी बिक्री के लिए उपलब्ध है. (Gandhi Jayanti 2022)

Handloom Center in Sagar Jail
सूती और खादी के कपड़े बनाने का हुनर

विद्या सागर की प्रेरणा से शुरुआत: जैन तीर्थ स्थल बीना वारहा में आचार्य विद्यासागर की प्रेरणा से नवम्बर 2015 में हथकरघा केंद्र की शुरुआत की गई थी. केंद्रीय जेल सागर के तत्कालीन और वर्तमान जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने विभागीय स्तर पर समन्वय कर आचार्य विद्यासागर से आग्रह किया था. आचार्य विद्यासागर की प्रेरणा से करीब एक करोड़ की लागत से सक्रिय सम्यक दर्शन सहकार संघ ने सागर केंद्रीय जेल में हथकरघा केंद्र केंद्र की शुरूआत 1 जनवरी 2018 को की. केंद्रीय जेल के भीतर 10250 वर्ग फीट में शेड का निर्माण किया गया. फिलहाल हथकरघा केंद्र में 54 हथकरघा पर 110 बंदी काम कर रहे हैं. जो कमाई के साथ हुनर सीख कर कुशल कारीगर बन गए हैं.

skill of making cotton and khadi cloth
सागर जेल में सजा के दौरान रोजगार

सजा के दौरान रोजगार: केंद्रीय जेल सागर में संचालित हथकरघा केंद्र की संचालिका डॉ. रेखा जैन बताया कि आचार्य विद्यासागर के आशीर्वाद से शुरू किए गए हथकरघा केंद्र में फिलहाल 54 हथकरघों पर 110 कैदी काम कर रहे हैं. जो रोजाना ढाई से तीन सौ रुपये कमा रहे हैं. सामान्य कपड़ा बनाने पर 50 रुपये मीटर और प्रिटेंड, डिजाइनर कपड़े तैयार करने पर ढाई सौ से तीन सौ रुपये मिलता है.

Employment during sentence in Sagar Jail
सागर जेल में हथकरघा केंद्र

सजा के बाद पुनर्वास: जेल से रिहा होने पर पुनर्वास के लिए संस्था हथकरघा और धागा उपलब्ध कराने के साथ उनके द्वारा बनाए गए कपड़ा भी खरीदती हैं. 2012 से हत्या के अपराध में सजा काट रहे विजय रैंकवार बताते हैं कि 2019 में उन्होंने हथकरघा केंद्र पर काम सीखा और करना शुरू किया. सभी तरह के कपड़े तैयार करना सीख लिया है. हर महीने 4 हजार रुपए तक की कमाई हो जाती है. 60-70 हजार रुपए इकट्ठे हो गए हैं. सजा के बाद घर पर हथकरघा शुरू करूंगा और लोगों को सिखाऊंगा. सजा के वक्त हथकरघा बड़ा सहारा है, समय कट जाता है और मन भी लगा रहता है.

कलाकार के हाथ में गए कंकड पत्थर तो बने बापू, देखें महात्मा गांधी की जयंती पर उनकी अद्भुत तस्वीरें

प्रिटेंड और डिजाइनर कपड़े: हथकरघा केंद्र पर सादे कपड़ों के अलावा प्रिंटेड और डिजाइनर कपड़े भी तैयार किए जाते हैं. सूती की डिजाइनर साड़ियां,सलवार शूट, कुर्ता, शर्ट और पेंट तैयार किए जाते हैं. बाजार के मुकाबले इन कपड़ों कीमत भी कम है. केंद्रीय जेल के कथकरघा केंद्र पर बने कपड़ो की बिक्री के लिए सद्भावना विक्रमय केंद्र नामक शोरूम है. यहां खरीदे गए कपड़ो की कम कीमत सिलाई की सुविधा भी है. इसके अलावा यहां का कपड़ा बाहर भी भेजे जा रहा हैं. इनकी ब्राडिंग होने से डिमांड भी बढ़ी है.(Gandhi Jayanti 2022)

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