श्रीनगर : मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलमुला स्थित प्रसिद्ध माता खीर भवानी मंदिर में वार्षिक 'मेला खेर भवानी' का आयोजन हुआ. घाटी में हाल ही में लगातार हुई लक्षित हत्याओं के बीच भय के कारण कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों के आने पर आशंका थी. लेकिन इस मेले में बड़ी संख्या कश्मीरी कश्मीरी पंडितों के अलावा अन्य पर्यटकों ने हिस्सा लिया. इस दौरान सुरक्षा के पुख्ते इंतजाम देखे गये. उल्लेखनीय है कि तुलामुला में खीर भवानी माता कश्मीरी पंडितों के लिए एक पवित्र स्थान है, जहां राग्या देवी का मंदिर है. कश्मीरी पंडितों के अनुसार राग्या देवी की पूजा सिर्फ कश्मीर में की जाती है.
इस मेले में आए कश्मीरी पंडितों ने बताया कि कोरोना महामारी के प्रकोप की वजह से पूरे दो साल बाद इस मेले का आयोजन हुआ है. श्रीनगर से करीब 25 किलोमीटर दूर तुलमुला गांव में हर साल ज्येष्ठ माह की अष्टमी पर पुराने वक्त से ही यह मेला आयोजित होता आया है. घाटी में अमरनाथ यात्रा के बाद खीर भवानी मंदिर की मान्यता सबसे अधिक है. इस मेले में आकर श्रद्धालु मोक्ष की कामना करते हैं. हर साल देश और विदेश में रहने वाले कश्मीरी पंडित इस मेले में जरूर पहुंचते हैं क्योंकि इससे कश्मीरी पंडितों की कई यादें जुड़ी हुई हैं.
महाराष्ट्र से आए कुछ पर्यटकों ने कहा कि वे यहां आकर बहुत खुश हैं. मेले में पंडितों के साथ स्थानीय मुसलमानों की भागीदारी कश्मीर के पारंपरिक भाईचारे की मिसाल है. मेला खीर भवानी की खास बात यह है कि पिछले दो दशकों से इसने प्रवासी कश्मीरी पंडितों को अपने स्थानीय कश्मीरी मुस्लिम भाइयों से भाईचारा बनाए रखने का अवसर दिया है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण 1990 के दशक में घाटी से पलायन कर गए थे.
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बता दें कि कश्मीरी पंडितों और गैर-स्थानीय लोगों की हाल ही में आतंकवादियों द्वारा की गई हत्याओं के बावजूद, जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलमुल गांव में बुधवार को बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित यहां पहुंचे. आपसी भाईचारे का मिसाल पेश करते हुए स्थानीय मुसलमान बड़ी संख्या में अपने पंडित भाइयों के स्वागत के लिए निकले. माता खीर भवानी मंदिर के बाहर मिट्टी के बर्तनों में दूध लेकर और भक्तों पर पुष्पवर्षा करते हुए, दोनों समुदाय पुराने दिनों की तरह एक-दूसरे के साथ मिले.