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G20 Summit: जी20 घोषणापत्र प्रधानमंत्री मोदी के लिए अप्रत्याशित सफलता: अंतरराष्ट्रीय मीडिया

भारत में जी20 शिखर सम्मेलन के सफलतापूर्वक खत्म होने के बाद यह विदेशी मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया इस आयोजन को सफल बता रहा हैं. साथ ही विदेशी मीडिया ने जी20 घोषणापत्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफलता बताई है.

G20 Summit
जी20 शिखर सम्मेलन
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 10, 2023, 10:49 PM IST

वाशिंगटन/लंदन: अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने रविवार को कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रमुख मतभेदों को दूर करते हुए सदस्य देशों के शनिवार को 'नयी दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन' को अपनाया जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक अप्रत्याशित सफलता है. हालांकि, इसमें यूक्रेन पर रूस के हमले का जिक्र करने से परहेज किया गया.

मीडिया के अनुसार, ऐसा लगता है कि अंतिम समझौता वक्तव्य में अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा रूस को लेकर अपनाये गये रुख की तुलना में कहीं अधिक नरम रुख अपनाया गया है. भारत ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ वार्ताओं के जरिये यूक्रेन के विवादास्पद मुद्दे पर जी20 देशों के बीच एक अप्रत्याशित आम सहमति बनाने में कामयाब रहा.

नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं के बीच घोषणापत्र को लेकर सहमति बनी. घोषणापत्र में जलवायु परिवर्तन और आर्थिक विकास पर साझा विचार रखे गये, लेकिन इसमें यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करने से बचा गया. 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने कहा कि शनिवार शाम को नई दिल्ली में जी20 समूह के शिखर सम्मेलन में गहन चर्चा के बाद घोषित घोषणापत्र में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण या उसके क्रूर युद्ध आचरण की निंदा नहीं की गई, बल्कि यूक्रेनी लोगों की पीड़ा पर दुख जताया गया.

अखबार ने कहा है कि इस साल कम ही उम्मीद थी कि समूह यूक्रेन के मुद्दे पर किसी तरह की सहमति पर पहुंच पाएगा. न्यूयॉर्क टाइम्स ने शिखर सम्मेलन के दौरान भारत को मध्य पूर्व और यूरोप से जोड़ने के लिए एक रेल और नौवहन गलियारा परियोजना की घोषणा पर भी प्रकाश डाला है. इसने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शिखर सम्मेलन के दौरान अपना अधिकतर समय नरेंद्र मोदी के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने में बिताया.

अखबार ने विदेश नीति के दिग्गज रिचर्ड एन. हास के हवाले से कहा कि पिछले राष्ट्रपतियों की तरह, बाइडन भी भारत को करीब लाने की कोशिश कर रहे हैं. 'सीएनएन' ने कहा कि अंततः घोषणापत्र शिखर सम्मेलन के मेजबान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अप्रत्याशित सफलता के समान है. लेकिन, फिर भी यह अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से अपनाई गई स्थिति से कहीं अधिक नरम रुख को दर्शाता है.

बीबीसी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि घोषणापत्र पश्चिम और रूस दोनों को सकारात्मकता खोजने का रास्ता दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है. लेकिन, इस प्रक्रिया में उसने मॉस्को की निंदा में ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया है जो उतनी कड़ी नहीं है जितनी पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में की गई थी.

(पीटीआई-भाषा)

वाशिंगटन/लंदन: अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने रविवार को कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रमुख मतभेदों को दूर करते हुए सदस्य देशों के शनिवार को 'नयी दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन' को अपनाया जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक अप्रत्याशित सफलता है. हालांकि, इसमें यूक्रेन पर रूस के हमले का जिक्र करने से परहेज किया गया.

मीडिया के अनुसार, ऐसा लगता है कि अंतिम समझौता वक्तव्य में अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा रूस को लेकर अपनाये गये रुख की तुलना में कहीं अधिक नरम रुख अपनाया गया है. भारत ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ वार्ताओं के जरिये यूक्रेन के विवादास्पद मुद्दे पर जी20 देशों के बीच एक अप्रत्याशित आम सहमति बनाने में कामयाब रहा.

नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं के बीच घोषणापत्र को लेकर सहमति बनी. घोषणापत्र में जलवायु परिवर्तन और आर्थिक विकास पर साझा विचार रखे गये, लेकिन इसमें यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करने से बचा गया. 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने कहा कि शनिवार शाम को नई दिल्ली में जी20 समूह के शिखर सम्मेलन में गहन चर्चा के बाद घोषित घोषणापत्र में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण या उसके क्रूर युद्ध आचरण की निंदा नहीं की गई, बल्कि यूक्रेनी लोगों की पीड़ा पर दुख जताया गया.

अखबार ने कहा है कि इस साल कम ही उम्मीद थी कि समूह यूक्रेन के मुद्दे पर किसी तरह की सहमति पर पहुंच पाएगा. न्यूयॉर्क टाइम्स ने शिखर सम्मेलन के दौरान भारत को मध्य पूर्व और यूरोप से जोड़ने के लिए एक रेल और नौवहन गलियारा परियोजना की घोषणा पर भी प्रकाश डाला है. इसने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शिखर सम्मेलन के दौरान अपना अधिकतर समय नरेंद्र मोदी के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने में बिताया.

अखबार ने विदेश नीति के दिग्गज रिचर्ड एन. हास के हवाले से कहा कि पिछले राष्ट्रपतियों की तरह, बाइडन भी भारत को करीब लाने की कोशिश कर रहे हैं. 'सीएनएन' ने कहा कि अंततः घोषणापत्र शिखर सम्मेलन के मेजबान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अप्रत्याशित सफलता के समान है. लेकिन, फिर भी यह अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से अपनाई गई स्थिति से कहीं अधिक नरम रुख को दर्शाता है.

बीबीसी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि घोषणापत्र पश्चिम और रूस दोनों को सकारात्मकता खोजने का रास्ता दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है. लेकिन, इस प्रक्रिया में उसने मॉस्को की निंदा में ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया है जो उतनी कड़ी नहीं है जितनी पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में की गई थी.

(पीटीआई-भाषा)

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