नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में 9-10 सितंबर को होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन से पहले अंतरराष्ट्रीय संगठनों के एक समूह ने अंतर सरकारी मंच के सभी नेताओं को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए तत्काल कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले हम आपसे तत्काल कार्रवाई का अनुरोध करने के लिए आपको पत्र लिख रहे हैं.
इसमें लिखा गया कि एक पीढ़ी में पहली बार, अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. इस पर ग्लोबल सिटीजन में एडवोकेसी के उपाध्यक्ष फ्रेडरिक रोडर, वन कैंपेन के नीति निदेशक एमी डोड, महामारी एक्शन नेटवर्क के कार्यकारी निदेशक और सह-संस्थापक एलोइस टॉड और ई3जी में स्वच्छ अर्थव्यवस्था के एसोसिएट निदेशक रोनन पामर ने हस्ताक्षर किए.
5 सितंबर को लिखा गया पत्र यह कहता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, अस्थिर ऋण बोझ, महामारी के खतरे और बढ़ती खाद्य असुरक्षा ने दुनिया में बहुत से लोगों को कई और ओवरलैपिंग चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. दुनिया संकट में है और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए 'प्रमुख' मंच के रूप में अपनी स्वघोषित भूमिका निभाने के लिए जी20 की जरूरत है.
साल 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा अपनाया गया सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा, लोगों और ग्रह के लिए शांति और समृद्धि का एक साझा खाका प्रदान करता है. इसके केंद्र में 17 एसडीजी हैं, जो वैश्विक साझेदारी में विकसित और विकासशील सभी देशों द्वारा कार्रवाई के लिए एक जरूरी आह्वान है.
वे मानते हैं कि गरीबी और अन्य अभावों को समाप्त करने के लिए उन रणनीतियों को साथ-साथ चलाया जाना चाहिए, जो स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार करें, असमानता को कम करें और आर्थिक विकास को गति दें - यह सब जलवायु परिवर्तन से निपटने और हमारे महासागरों और जंगलों को संरक्षित करने के लिए काम करते हुए भी किया जाना चाहिए.
संगठनों के संयुक्त पत्र में कहा गया कि आगामी नेताओं का शिखर सम्मेलन कार्रवाई, तात्कालिकता और समावेशन का क्षण होना चाहिए. इसमें कहा गया है कि यह इतिहास का एक ऐसा क्षण है जिसके लिए हमारे भविष्य को वित्तपोषित करने और हमारे लोगों और ग्रह को बचाने के लिए नेतृत्व और महत्वाकांक्षा की आवश्यकता है.
बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) में सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाने का आह्वान करते हुए इसमें आगे कहा गया कि एमडीबी संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक लक्ष्यों (या सतत विकास लक्ष्यों, एसडीजी) को प्राप्त करने, गरीबी समाप्त करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. 2023 में G20 के अपने स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह ने एमडीबी वित्तपोषण को तीन गुना करने सहित ट्रिपल एजेंडे के साथ उनके महत्व और उन्हें सही आकार देने की आवश्यकता पर जोर दिया.
इस प्रयोजन के लिए, एमडीबी के शेयरधारकों के रूप में जी20 को एमडीबी को अतिरिक्त ऋण देने की जगह का लाभ उठाने के लिए जी20 एमडीबी पूंजी पर्याप्तता फ्रेमवर्क (सीएएफ) समीक्षा सिफारिशों को तेजी से और पूरी तरह से लागू करने का निर्देश देना चाहिए. संगठनों ने जलवायु वित्त के लिए आवश्यक 100 बिलियन डॉलर के लक्ष्य को पूरा करने के लिए तत्काल सार्थक पारदर्शिता और कार्रवाई का भी आह्वान किया, जबकि यह इंगित किया कि इस वर्ष इसमें पहले ही तीन साल की देरी हो चुकी है.
पत्र में कहा गया कि इस प्रयोजन के लिए, अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वित्त प्रदान करने वाले सभी दाताओं और देशों को 2021 और 2022 के लिए अपने पूर्ण डेटा सेट की रिपोर्ट करने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा और COP28 से पहले OECD को 2023, 2024 और 2025 के लिए संभावित प्रतिज्ञाओं की रूपरेखा देनी होगी. संगठनों ने यह भी कहा कि जीवाश्म ईंधन के उपयोग को समाप्त करने के लिए वैश्विक कार्रवाई और समयबद्ध महत्वाकांक्षा की आवश्यकता है.
जी20 नेताओं को प्रतिबद्ध होना चाहिए और यह निर्धारित करना चाहिए कि वे 2025 या उससे पहले जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से कैसे समाप्त करने की योजना बना रहे हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए काम करें कि जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को स्वच्छ, टिकाऊ ऊर्जा प्रणालियों और सबसे गरीब और सबसे कमजोर लोगों का समर्थन करने के लिए हरित पुनर्प्राप्ति में पुनर्निवेश किया जाए.
पत्र में जिन अन्य मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है, उनमें वैश्विक भूख संकट से निपटना और कोविड-19 के मद्देनजर महामारी की तैयारी शामिल है. एसडीजी को पूरा करने के संदर्भ में जी20 क्या निर्णय लेगा, इसे लेकर दुनिया की नजरें नई दिल्ली पर होंगी. इस वर्ष जून में वाराणसी में जी20 विकास मंत्रियों की बैठक के बाद जारी सात-वर्षीय कार्य योजना में यह कहा गया है.
समूह का तुलनात्मक लाभ इसकी संयोजक शक्ति और उच्चतम वैश्विक स्तर पर पहलों को अपनाने और समर्थन करने की सामूहिक क्षमता में निहित है, जिसमें मैक्रो-इकोनॉमिक ढांचा शामिल है, और वैश्विक सक्षम वातावरण बनाना शामिल है, जो 2030 एजेंडा और उसके एसडीजी को प्राप्त करने में मदद करेगा.