गुवाहाटी: असम में हाल में हुई पुलिस मुठभेड़ों पर हो रही आलोचना पर गुरुवार को मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने पलटवार किया. कहा कि राज्य पुलिस को कानून के दायरे में रहकर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की पूरी आजादी है.
विधानसभा में शून्यकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने हाल में राज्य में मुठभेड़ की बढ़ती संख्याओं के मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत की. चर्चा का जवाब देते हुए सरमा ने सभी विधायकों से अपील की कि वे संदेश दें कि सदन किसी भी प्रकार के अपराध के खिलाफ है.
कहा कि सदन का नेता होने के नाते मैं असम पुलिस को उसके कार्य, खास तौर पर मेरे कार्यकाल के कार्य के लिए बधाई देता हूं. मैं डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) को कहना चाहता हूं कि वे निर्दोष लोगों को प्रताड़ित न करें. जहां तक कानून के तहत अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात है तो उसकी आपको पूरी आजादी है.
मुठभेड़ में 15 कथित अपराधी मारे गए
सरमा ने सदन को अवगत कराया कि गत दो महीनों के दौरान पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में 15 कथित अपराधी मारे गए जबकि 23 अन्य घायल हुए. ये मुठभेड़ कथित अपराधियों द्वारा पुलिस के हथियार छीनकर हमला करने और भागने की कोशिश के दौरान हुई. राज्य का मुख्यमंत्री होने के नाते मैं पूरी जिम्मेदारी से कहना चाहता हूं कि गो तस्करी, मादक पदार्थों का कारोबार, मानव तस्करी, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध और हर अपराध के खिलाफ हमारी शून्य बर्दाश्त की नीति है. इनसे धर्म और जाति से परे जाकर निपटा जाएगा.
राज्य सरकार है आत्मविश्वास से लबरेज
असम के गृह विभाग (Assam Home Department) का भी प्रभार संभाल रहे सरमा ने कहा कि अपराधियों को समझना होगा कि राज्य में ऐसी सरकार है जो आत्मविश्वास से लबरेज है. अगर अपराधी हमला करने या भागने की कोशिश करते हैं तो वह कानून के दायरे में रहकर मुहतोड़ जवाब देने की इच्छाशक्ति रखती है.
सरमा ने बताया कि गत दो महीने में मवेशियों की तस्करी के मामले में कुल 504 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से केवल चार आरोपी भागने की कोशिश के दौरान पुलिस की गोली से घायल हुए हैं. कहा कि वह पुलिस है जो इन अपराधियों को अस्पताल ले गई, इलाज कराया और उसके बाद अदालत में पेश किया. हमारी मुख्य कोशिश अपराधियों को सजा दिलाना है.
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गलत जगह सहानुभूति बहुत ही घातक
उन्होंने कहा कि आलोचक कानून और मानवाधिकार का हवाला दे रहे हैं लेकिन वही कानून और संविधान पुलिसकर्मियों को आत्मरक्षा करने और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देता है. सरमा ने दावा किया कि दशकों से पुलिस मुठभेड़ हो रही हैं. उन्होंने कहा कि सहानुभूति अहम है लेकिन गलत जगह सहानुभूति बहुत ही घातक है.अगर यहां से संदेश गया कि पुलिस ने गलत किया तो वे फिर से सो जाएंगे.
मुख्यमंत्री का बयान संविधान विरोधी
इससे पहले सैकिया ने मीडिया रिपोर्ट को रेखांकित करते हुए कहा कि मुठभेड़ में कथित अपराधियों की मौत होने के बाद कानून के तहत जांच के आदेश नहीं दिए गए. हम अपराध को रोकने के लिए उठाए गए कदम का स्वागत करते हैं, लेकिन कानून का पालन नहीं किया गया तो संवैधानिक व्यवस्था ध्वस्त होने जैसा होगा. पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए और जरूरी फौजदारी प्रक्रिया का अनुपालन करना चाहिए. मुख्यमंत्री का पुलिस सम्मेलन में दिया गया बयान संविधान विरोधी था.
गौरतलब है कि, पांच जुलाई को सभी पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारियों के साथ पहली आमने-सामने की हुई बैठक में सरमा ने कहा था कि अगर अपराधी हिरासत से भागने या पुलिस पर हमला करने के लिए हथियार छीनने की कोशिश करते हैं तो उन्हें गोली मारने की परिपाटी चलनी चाहिए. इसके बाद असम मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सात जुलाई को राज्य सरकार को गत दो महीने में हुई उन मुठभेड़ों की परिस्थितियों की जांच कराने के आदेश दिए थे जिनमें कथित अपराधी की या तो मौत हो गई थी या घायल हुए थे.
(पीटीआई-भाषा)