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ड्रग्स और बंदूके भेजने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल, आतंकवाद के खिलाफ पेश कर सकता है नई चुनौती - new terror challenge

जम्मू कश्मीर में भारतीय वायु सेना के अड्डे पर हुए दोहरे ड्रोन हमला, आतंकी रणनीति के एक और विकास का प्रतिनिधित्व करता है, जो आने वाले समय में भारत के लिए आतंकवाद के खिलाफ जारी लड़ाई में नई चुनौतियां पेश कर सकता है. पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

ड्रोन
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Published : Jun 27, 2021, 10:37 PM IST

नई दिल्ली : पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से हथियारों, विस्फोटकों और उच्च श्रेणी की हेरोइन की खेप (high-grade heroin) गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. वह सुरक्षा प्रतिष्ठान में काफी प्रसिद्ध हैं, लेकिन अगर कश्मीरी आतंकवादी (Kashmiri militants ) बढ़ते आतंकी हमलों में ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यह आतंकियों की रणनीति (militants terror tactics) में एक नया विकास होगा.

नागरिक हवाई अड्डे (civil airport) से सटे सतवारी स्थित भारतीय वायुसेना स्टेशन (Indian Air Force) पर रविवार तड़के करीब 1:40 बजे और 1:46 बजे दो विस्फोट हुए. एक धमाका हेलीकॉप्टर पार्किंग क्षेत्र (helicopter parking area) के पास हुआ. हालांकि हमले में IAF की कोई भी संपत्ति क्षतिग्रस्त नहीं हुई, लेकिन IAF का एक वारंट अधिकारी (warrant officer) और एक एयरमैन घायल हो गए.

खुफिया सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रारंभिक जांच से संकेत मिला है कि दो तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि ड्रोन द्वारा बम गिराए गए थे. पहला रोशनी मंडराती हुई दिखाई दे रही थी और दूसरा जिस इमारत में बम विस्फोट हुआ था उसकी छत में एक बड़ा छेद था. यदि यह ड्रोन द्वारा किया गया हवाई हमला होता, तो इसकी उत्पत्ति कहीं पास से होती.

सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा कि इस बात की बहुत अधिक संभावना नहीं है कि यह पाकिस्तान से आया हो, क्योंकि पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा (International Border ) के पास मजबूत निगरानी हो रही है और डिटेक्शन सिस्टम (detection systems) से बचना बहुत मुश्किल होगा.

अंतर्राष्ट्रीय सीमा , IASF बेस से केवल 15 किमी की हवाई दूरी पर है, जहां सियालकोट (Sialkot) सीमा के पार सबसे करीबी पाकिस्तानी शहर है.

अंतर्राष्ट्रीय सीमा जम्मू में लगभग 190 किमी लंबी है, जबकि (Line of Control) एलओसी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pakistan-Occupied Kashmir) में लगभग 860 किमी लंबी है.

इस साल सुरक्षा प्रतिष्ठान में उस समय से खतरे की घंटी बज रही थी, जब फरवरी में कश्मीर में छापेमारी में लगभग 15 'मैग्नेटिक बम' (magnetic bombs) बरामद किए गए थे.

मैग्नेटिक बम अफगानिस्तान में तालिबान आतंकवादियों (Taliban militants) द्वारा लोकप्रिय रूप से उपयोग किए जाते हैं और लक्षित व्यक्तियों पर बढ़ते आतंकवादी हमलों के लिए उपयोग किए जाते हैं.

26 मार्च, 2020 को काबुल में सिख समुदाय (Sikh community) के लोगों को निशाना बनाने के लिए इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान (Islamic State of Khorasan) के संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा मैग्नेटिक बम का इस्तेमाल किया गया था.

पढ़ें - पहली बार ड्रोन से आतंकी हमला, जम्मू के टेक्निकल एयरपोर्ट में 5 मिनट के अंदर 2 ब्लास्ट

इसके बाद हेक्साकॉप्टर ड्रोन (hexacopter drones) का इस्तेमाल हथियारों के परिवहन, ड्रग्स की तस्करी और एलओसी के पार से आतंकवादियों की घुसपैठ (infiltration of terrorists ) में सहायता के लिए लिए किया गया.

सस्ते दामों पर ये हेक्साकॉप्टर ड्रोन खुले बाजार में स्वतंत्र रूप से मिल जाते हैं. इनमें से प्रत्येक ड्रोन AK-47 और चीनी मूल की राइफलें, M14 / M16 राइफल, और एक साथ हथियार छोड़ने के ऑपरेशन में पिस्तौल या कई किलोग्राम ड्रग्स ले जा सकता है, जिसमें मुख्य रूप से ब्राउन शुगर (brown sugar) और हेरोइन शामिल हैं, जो पारंपरिक रूप से अफगानिस्तान से प्राप्त होती हैं, जहां विश्व की कुल अफीम का 90 प्रतिशत उत्पादन होता है.

ड्रोन भारतीय सैनिकों की तैनाती को इंगित करने या निश्चित उच्च रिज़ॉल्यूशन कैमरों के माध्यम से सीमा सुरक्षा ग्रिड (border security grid ) का निर्धारण करने में भी काम आते हैं - भारत में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे एक आतंकवादी के लिए महत्वपूर्ण जानकारी भी हासिल करते हैं.

नई दिल्ली : पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से हथियारों, विस्फोटकों और उच्च श्रेणी की हेरोइन की खेप (high-grade heroin) गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. वह सुरक्षा प्रतिष्ठान में काफी प्रसिद्ध हैं, लेकिन अगर कश्मीरी आतंकवादी (Kashmiri militants ) बढ़ते आतंकी हमलों में ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यह आतंकियों की रणनीति (militants terror tactics) में एक नया विकास होगा.

नागरिक हवाई अड्डे (civil airport) से सटे सतवारी स्थित भारतीय वायुसेना स्टेशन (Indian Air Force) पर रविवार तड़के करीब 1:40 बजे और 1:46 बजे दो विस्फोट हुए. एक धमाका हेलीकॉप्टर पार्किंग क्षेत्र (helicopter parking area) के पास हुआ. हालांकि हमले में IAF की कोई भी संपत्ति क्षतिग्रस्त नहीं हुई, लेकिन IAF का एक वारंट अधिकारी (warrant officer) और एक एयरमैन घायल हो गए.

खुफिया सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रारंभिक जांच से संकेत मिला है कि दो तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि ड्रोन द्वारा बम गिराए गए थे. पहला रोशनी मंडराती हुई दिखाई दे रही थी और दूसरा जिस इमारत में बम विस्फोट हुआ था उसकी छत में एक बड़ा छेद था. यदि यह ड्रोन द्वारा किया गया हवाई हमला होता, तो इसकी उत्पत्ति कहीं पास से होती.

सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा कि इस बात की बहुत अधिक संभावना नहीं है कि यह पाकिस्तान से आया हो, क्योंकि पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा (International Border ) के पास मजबूत निगरानी हो रही है और डिटेक्शन सिस्टम (detection systems) से बचना बहुत मुश्किल होगा.

अंतर्राष्ट्रीय सीमा , IASF बेस से केवल 15 किमी की हवाई दूरी पर है, जहां सियालकोट (Sialkot) सीमा के पार सबसे करीबी पाकिस्तानी शहर है.

अंतर्राष्ट्रीय सीमा जम्मू में लगभग 190 किमी लंबी है, जबकि (Line of Control) एलओसी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pakistan-Occupied Kashmir) में लगभग 860 किमी लंबी है.

इस साल सुरक्षा प्रतिष्ठान में उस समय से खतरे की घंटी बज रही थी, जब फरवरी में कश्मीर में छापेमारी में लगभग 15 'मैग्नेटिक बम' (magnetic bombs) बरामद किए गए थे.

मैग्नेटिक बम अफगानिस्तान में तालिबान आतंकवादियों (Taliban militants) द्वारा लोकप्रिय रूप से उपयोग किए जाते हैं और लक्षित व्यक्तियों पर बढ़ते आतंकवादी हमलों के लिए उपयोग किए जाते हैं.

26 मार्च, 2020 को काबुल में सिख समुदाय (Sikh community) के लोगों को निशाना बनाने के लिए इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान (Islamic State of Khorasan) के संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा मैग्नेटिक बम का इस्तेमाल किया गया था.

पढ़ें - पहली बार ड्रोन से आतंकी हमला, जम्मू के टेक्निकल एयरपोर्ट में 5 मिनट के अंदर 2 ब्लास्ट

इसके बाद हेक्साकॉप्टर ड्रोन (hexacopter drones) का इस्तेमाल हथियारों के परिवहन, ड्रग्स की तस्करी और एलओसी के पार से आतंकवादियों की घुसपैठ (infiltration of terrorists ) में सहायता के लिए लिए किया गया.

सस्ते दामों पर ये हेक्साकॉप्टर ड्रोन खुले बाजार में स्वतंत्र रूप से मिल जाते हैं. इनमें से प्रत्येक ड्रोन AK-47 और चीनी मूल की राइफलें, M14 / M16 राइफल, और एक साथ हथियार छोड़ने के ऑपरेशन में पिस्तौल या कई किलोग्राम ड्रग्स ले जा सकता है, जिसमें मुख्य रूप से ब्राउन शुगर (brown sugar) और हेरोइन शामिल हैं, जो पारंपरिक रूप से अफगानिस्तान से प्राप्त होती हैं, जहां विश्व की कुल अफीम का 90 प्रतिशत उत्पादन होता है.

ड्रोन भारतीय सैनिकों की तैनाती को इंगित करने या निश्चित उच्च रिज़ॉल्यूशन कैमरों के माध्यम से सीमा सुरक्षा ग्रिड (border security grid ) का निर्धारण करने में भी काम आते हैं - भारत में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे एक आतंकवादी के लिए महत्वपूर्ण जानकारी भी हासिल करते हैं.

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