कोच्चि : लोकतंत्र के लिए एक जीवंत और स्वतंत्र प्रेस आवश्यक है लेकिन भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व्यक्तियों के लिए कुछ भी कहने या आधे-अधूरे तथ्यों के साथ आरोप लगाने का लाइसेंस नहीं हो सकती है.
केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को अभिनेता दिलीप की अग्रिम जमानत याचिका पर मीडिया का ध्यान आकर्षित करने का हवाला देते हुए कहा कि अधूरे तथ्यों से लैस और न्यायपालिका का बहुत कम या कोई ज्ञान नहीं होने पर भी न्याय वितरण प्रणाली का दुरुपयोग करने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला नहीं दिया जा सकता.
मामला अभिनेता और अन्य को जमानत से जुड़ा है, जिन पर 2017 में अभिनेत्री के साथ मारपीट मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को धमकाने और कथित रूप से उन्हें खत्म करने की साजिश रचने का आरोप है. अदालत ने कहा कि मुख्यधारा के टेलीविजन मीडिया और सोशल मीडिया ने तत्काल मामले में कार्यवाही के तरीके पर टिप्पणी की है. न्यायमूर्ति गोपीनाथ पी ने कहा कि सुनवाई के दौरान अदालत में की गई टिप्पणियों को विच्छेदित किया गया और गहन चर्चा का विषय बनाया गया.
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अदालत ने आगे कहा कि एक जीवंत और स्वतंत्र प्रेस का अस्तित्व निस्संदेह लोकतंत्र के लिए आवश्यक है. इस देश में संवैधानिक न्यायालय भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उत्साही रहे हैं लेकिन यह व्यक्तियों के लिए लाइसेंस नहीं हो सकता है.