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स्वतंत्र निदेशकों की राय, अगले दो साल में बढ़ेंगे धोखाधड़ी के मामले : सर्वे - एफआरएम

एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि महामारी से प्रभावित मौजूदा कारोबारी माहौल अगले दो वर्षों में धोखाधड़ी को बढ़ावा दे सकता है. सर्वे के नतीजे बुधवार को जारी किए गए. जानिए और क्या है इस सर्वे में.

धोखाधड़ी के मामले
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Published : Oct 6, 2021, 8:06 PM IST

नई दिल्ली : महामारी से प्रभावित मौजूदा कारोबारी माहौल अगले दो वर्षों में धोखाधड़ी को बढ़ावा दे सकता है. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है. डेलॉइट टच तोहमात्सु इंडिया एलएलपी (डीटीटीआईएलएलपी) ने इंस्टिट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स (आईओडी) के सहयोग से किए गए एक सर्वे 'कारपोरेट धोखाधड़ी और अनुशासनहीनता: स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका' को बुधवार को जारी किया.

सर्वेक्षण के निष्कर्ष दर्शाते हैं कि लगभग 63 प्रतिशत स्वतंत्र निदेशकों (आईडी) का मानना है कि अगले दो वर्षों में धोखाधड़ी के मामले बढ़ेंगे. सर्वेक्षण के अनुसार, बड़े पैमाने पर 'रिमोट' कार्य और नकदी प्रवाह की कमी को धोखाधड़ी में अपेक्षित वृद्धि के प्रमुख कारकों के रूप में पहचाना गया है. धोखाधड़ी के मामलों में साइबर अपराध और वित्तीय विवरण में गड़बड़ी प्रमुख रूप से शामिल रहने की आशंका है.

डीटीटीआईएलएलपी के वित्तीय सलाहकार रोहित गोयल ने कहा, 'हालांकि वर्तमान आर्थिक माहौल को देखते हुए कामकाज के संचालन के लिए कई प्राथमिकताएं हैं. यह संभावना है कि कुछ संगठन अन्य मामलों पर संचालन की स्थिरता को प्राथमिकता देने पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर सकते हैं. ऐसी परिस्थितियों में, स्वतंत्र निदेशकों को सतर्कता और सावधानी के उच्चतम मानकों के साथ कार्य करने की आवश्यकता होती है.' लगभग 75 प्रतिशत स्वतंत्र निदेशकों का मानना ​​है कि वे धोखाधड़ी की रोकथाम और उसका पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

पढ़ें- UP : धोखाधड़ी में बर्खास्त क्लर्क से होगी 7.86 करोड़ रुपये की रिकवरी

सर्वेक्षण में कहा गया है कि इसके अलावा, लगभग 57 प्रतिशत स्वतंत्र निदेशकों ने संकेत दिया कि उनके बोर्ड ने एक प्रभावी धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन (एफआरएम) ढांचा स्थापित किया है. एफआरएम का प्रशिक्षण इस समय की जरूरत है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : महामारी से प्रभावित मौजूदा कारोबारी माहौल अगले दो वर्षों में धोखाधड़ी को बढ़ावा दे सकता है. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है. डेलॉइट टच तोहमात्सु इंडिया एलएलपी (डीटीटीआईएलएलपी) ने इंस्टिट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स (आईओडी) के सहयोग से किए गए एक सर्वे 'कारपोरेट धोखाधड़ी और अनुशासनहीनता: स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका' को बुधवार को जारी किया.

सर्वेक्षण के निष्कर्ष दर्शाते हैं कि लगभग 63 प्रतिशत स्वतंत्र निदेशकों (आईडी) का मानना है कि अगले दो वर्षों में धोखाधड़ी के मामले बढ़ेंगे. सर्वेक्षण के अनुसार, बड़े पैमाने पर 'रिमोट' कार्य और नकदी प्रवाह की कमी को धोखाधड़ी में अपेक्षित वृद्धि के प्रमुख कारकों के रूप में पहचाना गया है. धोखाधड़ी के मामलों में साइबर अपराध और वित्तीय विवरण में गड़बड़ी प्रमुख रूप से शामिल रहने की आशंका है.

डीटीटीआईएलएलपी के वित्तीय सलाहकार रोहित गोयल ने कहा, 'हालांकि वर्तमान आर्थिक माहौल को देखते हुए कामकाज के संचालन के लिए कई प्राथमिकताएं हैं. यह संभावना है कि कुछ संगठन अन्य मामलों पर संचालन की स्थिरता को प्राथमिकता देने पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर सकते हैं. ऐसी परिस्थितियों में, स्वतंत्र निदेशकों को सतर्कता और सावधानी के उच्चतम मानकों के साथ कार्य करने की आवश्यकता होती है.' लगभग 75 प्रतिशत स्वतंत्र निदेशकों का मानना ​​है कि वे धोखाधड़ी की रोकथाम और उसका पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

पढ़ें- UP : धोखाधड़ी में बर्खास्त क्लर्क से होगी 7.86 करोड़ रुपये की रिकवरी

सर्वेक्षण में कहा गया है कि इसके अलावा, लगभग 57 प्रतिशत स्वतंत्र निदेशकों ने संकेत दिया कि उनके बोर्ड ने एक प्रभावी धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन (एफआरएम) ढांचा स्थापित किया है. एफआरएम का प्रशिक्षण इस समय की जरूरत है.

(पीटीआई-भाषा)

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